Bihar News: अब मिट्टी खुद बताएगी, कहां-कौन सी फसल देगी बंपर पैदावार; सभी 38 जिलों में होगा सर्वे
बिहार के सभी 38 जिलों की मिट्टी की जांच की जाएगी, जिससे यह पता चलेगा कि किस क्षेत्र में कौन सी फसल बेहतर होगी। इसके लिए हाईटेक डिजिटल प्रोफाइल तैयार किया जाएगा। 1990 के बाद यह सबसे बड़ा सर्वे होगा, जिसकी शुरुआत भागलपुर और बांका से होगी। इस परियोजना पर लगभग 37 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिससे किसानों को बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा और कृषि अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

ललन तिवारी, भागलपुर। प्रदेश के सभी 38 जिले की मिट्टी अब विज्ञान की कसौटी पर जांची-परखी जाएगी। जिसके बाद इलाके की जमीन खुद बताएगी कि कौन-सी फसल कहां बेहतर पैदावार देगी। इसके लिए पूरे प्रदेश के मिट्टी की जांच कर हाईटेक डिजिटल प्रोफाइल तैयार किया जाएगा। यह मैपिंग न केवल बिहार में कृषि अनुसंधान का राष्ट्रीय केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम भी साबित होगी, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाएगी।
वर्ष 1990 के बाद यह राज्य का सबसे बड़ा सर्वे होगा, पहले चरण में इसकी शुरूआत भागलपुर व बांका से होगी। सरकार के खेती किसानी को लेकर उठाए जा रहे इस पहल पर लगभग 37 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हर जिलों से संकलित किए गए डेटा से किसानों को बेहतर खेती करने का मार्गदर्शन मिलेगा। इस काम के बेहतर संपादन के लिए लिए 56 तकनीशियन की भर्ती भी की जाएगी।
केंद्र सरकार ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर को पूरे राज्य की हाईटेक मिट्टी मैपिंग की ऐतिहासिक जिम्मेदारी सौंपी है। इस प्रोजेक्ट से बिहार की मिट्टी की पूरी वैज्ञानिक प्रोफाइल तैयार होगी, जिससे बेहतर बीज, फसल चयन और उर्वरता बढ़ाने की दिशा में नई राह खुलेगी। यह योजना राज्य में रोजगार, आधुनिक तकनीक और कृषि अनुसंधान को नई ऊंचाई प्रदान करेगा।
9.5 करोड़ की पहली किस्त हुई जारी
राष्ट्रीय महत्व वाले इस प्रोजेक्ट पर 37 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 9.5 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी हो चुकी है। प्रोजेक्ट की अवधि तीन वर्ष तय की गई है। इसके लिए 56 तकनीशियनों की भर्ती होगी। पीएचडी धारक को 75 हजार, एमएससी को 45 हजार व बीएससी (एजी) को 35 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। भर्ती में बीएयू के विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे युवाओं को जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, मिट्टी प्रोफाइलिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी उन्नत तकनीक सीखने का अवसर मिलेगा।
मिट्टी की पोषक क्षमता व कार्बनिक पदार्थ की मात्रा का डेटा होगा तैयार
विज्ञानियों के अनुसार मिट्टी फसल की ‘गर्भस्थली’ होती है। इसमें जितनी ऊर्जा, पोषक तत्व और सूक्ष्मजीव सक्रिय होंगे, बीज उतना ही ताकतवर और रोग-प्रतिरोधी बनेगा। इस हाईटेक सर्वे में मिट्टी की पोषक क्षमता, माइक्रोन्यूट्रिएंट स्तर, कार्बनिक पदार्थ की मात्रा, जल धारण क्षमता, मिट्टी की बनावट और बाढ़-सुखाड़ के प्रभाव का पूरा डेटा तैयार किया जाएगा।
यह जानकारी जीआईएस आधारित डिजिटल मैप पर तैयार होगी और केंद्र सरकार की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी, ताकि किसान आसानी से इसका लाभ ले सकें।
1990 के बाद पहली बार होगा विस्तृत सर्वे
1990 के बाद पहली बार बिहार की मिट्टी का इतना बड़ा वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे को लेकर पहले चरण में 29 जिले व दूसरे चरण में 9 जिले को शामिल किया गया है। सर्वे की शुरुआत भागलपुर और बांका जिले से होगी। जहां पिछले तीन दशकों में बाढ़, सुखाड़ और जलवायु परिवर्तन के कारण मिट्टी में हुए बदलाव का अपडेटेड रिकार्ड अब तैयार किया जाएगा।
बीएयू बनेगा देश का प्रमुख कृषि अनुसंधान केंद्र
इस प्रोजेक्ट के लिए बीएयू में नई हाईटेक लैब स्थापित की जाएगी। जीआईएस और मैपिंग लैब को अपग्रेड किया जाएगा तथा आधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे। इससे बीएयू देश के अग्रणी कृषि अनुसंधान संस्थानों की श्रेणी में और मजबूत स्थान हासिल करेगा।
खेती में आएगा हाईटेक बदलाव बढ़ेगी आमदनी
मिट्टी मैपिंग से किसानों को अपने गांवो की मिट्टी कैसी है इसकी स्पष्ट जानकारी मिलेगी। किस इलाके में कौन-सी फसल सबसे ज्यादा सफल साबित होगी। किस क्षेत्र की मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की मात्रा कम या ज्यादा है, कहां बाढ़-सुखाड़ का असर ज्यादा है, और किस जमीन में कौन-सा सुधार किया जाना जरूरी है। सर्वे के बाद प्राप्त जानकारी का वैज्ञानिक डेटा किसानों तक पहुंचेगा। इससे बिहार में खेती अधिक सटीक, लाभकारी होगी।
बीज की गर्भस्थली यानी मिट्टी, जब ऊर्जा और पोषकता से भरपूर होगी तो उत्पादन स्वतः ही बंपर और गुणकारी होगा। यह प्रोजेक्ट बिहार की कृषि को खेतों से लेकर लैब तक नई दिशा देगी। हाईटेक मिट्टी मैपिंग से बिहार की कृषि व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। युवाओं को नए अवसर मिलेंगे। साथ ही बीएयू देश के शीर्ष कृषि अनुसंधान संस्थानों की श्रेणी में अपना मजबूत स्थान बनाएगा। - डॉ. डी.आर सिंह कुलपति बीएयू सबौर

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