Sharad Purnima 2023 : शरद पूर्णिमा पर नौ साल बाद लग रहा चंद्रग्रहण का साया, जानें किस राशि के लिए कैसा रहेगा और कब लगेगा सूतक
शरद पूर्णिमा शनिवार 28 अक्टूबर को है। इसी दिन खीर बनाकर चांदनी रात में रखने की परंपरा अब तक चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृत वर्षा करता है। बहरहाल इस दिन चंद्रग्रहण भी है। ऐसे में इसके शुभ-अशुभ प्रभाव के बारे जानना जरूरी है।
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। दो दिन बाद यानि 28 अक्टूबर दिन शनिवार को शरद पूर्णिमा है और इसी दिन खीर बनाकर चांदनी रात में रखने की परंपरा है। मान्यता है कि इस रात में चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृत वर्षा करता है।
हालांकि, इस दिन चंद्रग्रहण का साया भी लग रहा है और मनीषियों ने ग्रहण में चंद्रमा की निकलने वाली किरणों को हानिकारक बताया है।
शरद पूर्णिमा पर चंद्र-ग्रहण नौ साल बाद हो रहा है, अन्यथा यह अमूमन कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन ही लगता है। अपने यहां चंद्रग्रहण खंडग्रास में होगा। ग्रहण का समय काशी समेत पूरे भारत में एक ही रहेगा।
शाम 4.05 बजे लग जाएगा सूतक
ज्योतिषाचार्य नरोत्तम द्विवेदी, आचार्य अमरेंद्र मिश्र, रामेश्वर पंडित आदि ने बताया कि चन्द्र-ग्रहण का सूतक काल नौ घंटा पूर्व यानि शाम 4.05 बजे से लग जाएगा।
सूतक में मंदिर प्रवेश, मूर्ति स्पर्श, भोजन, मैथुन क्रिया एवं यात्रा करना आदि वर्जित है। बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते हैं।
भोजन सामग्री जैसे दूध, दही, घी इत्यादि में कुश रख देना चाहिए। गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा लें या कुशा रखें।
खीर रखने की परंपरा का ऐसे करें निर्वाह
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चांदनी रात में रखने की परंपरा है, लेकिन इस दिन लगने वाले ग्रहण को लेकर लोग पशोपेश में हैं।
आचार्यों ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में सूतक से पहले ही खीर बनाकर भगवान को भोग लगाकर खीर में तुलसी पत्र, कुशा रख दें।
अन्यथा सूतक से पहले दूध में कुशा रख दें और मोक्ष के बाद स्नानकर खीर बनाएं और आंगन में रख दें। अगले दिन सुबह भगवान को भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप उसका सेवन करें।
ग्रहण का समय
- सूतक - शाम 04:05 बजे से प्रारंभ
- ग्रहण प्रारंभ - रात्रि 01:05 बजे
- मध्य- रात्रि 01:44 बजे
- मोक्ष - रात्रि 02:23 बजे
राशिनुसार ग्रहण का गोचर फल
मेष | घात, अरिष्टभय, शत्रुपीड़ा भय |
वृष | धन हानि, कार्य हानि |
मिथुन | लाभ, धनवृद्धि |
कर्क | सुख वृद्धि |
सिंह | मान हानि, वीकार्य हानि |
कन्या | अरिष्ट भय, मृत्यु तुल्य कष्ट भय |
तुला | स्त्री पीड़ा |
वृश्चिक | सुख वृद्धि |
धनु | मानसिक चिन्ता, व्यथा |
मकर | दु:ख, व्यथा |
कुंभ | लक्ष्मी कृपा, लाभ |
मीन | धनादि हानि, कार्य हानि, क्षति |
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