बक्सर के दिलदार किसान! नीलगाय मारने हैदराबाद से आए स्पेशल शूटर, ग्रामीण बोले- फसल का नुकसान मंजूर, लेकिन...
बक्सर जिले के चंदा पंचायत के किसानों ने अपनी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली नीलगायों के शिकार की अनुमति देने से इनकार कर दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल का नुकसान मंजूर है लेकिन वे बेजुबान जानवरों के शिकार का कलंक नहीं लेंगे। इस मामले को लेकर मुखिया ने वन विभाग को लिखित आवेदन देकर सूचित किया है।
संवाद सहयोगी, चक्की (बक्सर)। किसानों की फसल को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने नीलगायों (घोड़परास) के शिकार का रास्ता अपनाया है। सरकार ने बक्सर जिले में नीलगाय और जंगली सूअर को मारने के लिए बकायदा हैदराबाद से शूटर बुला लिए हैं।
सरकार की अनुमति के बाद बक्सर जिले की कई पंचायतों में बीते दिनों कुछ नीलगायों का शिकार किया गया। लेकिन, चक्की प्रखंड के चंदा पंचायत के किसानों ने अपने इलाके में नीलगायों के शिकार की अनुमति देने से साफ मना कर दिया है।
चक्की प्रखंड की चंदा पंचायत में नीलगायों को मारने के लिए शूटर की टीम पहुंची, तो किसानों ने सीधे तौर पर मना कर दिया। गांव के किसान चलाखु नोनिया, सुभाष चौधरी, नित्यानंद यादव और बिरदा बच्चन यादव ने कहा कि सरकार को नीलगायों का शिकार करवाने की बजाय कोई और रास्ता अपनाना चाहिए।
मुखिया अजय कुमार गिरि ने कहा कि किसानों की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन कोई है, तो वह नीलगाय है। रात-रात भर जागकर फसलों की रखवाली करने वाले किसानों को नीलगाय से निपटने का रास्ता अब तक नहीं नजर आ रहा है। इसे देखते हुए पंचायत में शूटर बुलाए गए थे।
फसल का नुकसान मंजूर है, लेकिन...
उन्होंने बताया कि पंचायत में नीलगाय को करने के लिए जैसे ही शूटर पहुंचे, किसानों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल का नुकसान मंजूर है, लेकिन बेजुबान जानवर के शिकार का कलंक नहीं लेंगे।
मुखिया ने इस मामले को लेकर वन विभाग को लिखित आवेदन देकर सूचित किया है। आवेदन में उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि चंदा पंचायत में किसान नीलगायों को मारने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
हैदराबाद से मंगवाए गए हैं शूटर
नीलगायों के शिकार के लिए वन विभाग ने अनुमति दी है। इसके लिए जिले में हैदराबाद से शूटर मंगाए गए हैं। इन शूटरों ने बीतें दिनों डुमरांव प्रखंड की कोरान सराय पंचायत की मुखिया कांति देवी की अनुशंसा पर दो घोड़परास को मार गिराया। वहीं चक्की पंचायत में तीन नीलगायों का शिकार किया गया।
डुमरांव के प्रखंड विकास पदाधिकारी संदीप कुमार पांडे के मुताबिक, फसलों को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 4 (1) सी के तहत किसान की शिकायत पर नीलगाय और जंगली सूअर का शिकार किया जाता है।
मुखिया की अनुशंसा पर होता है नीलगायों का शिकार
मुखिया फसलों को क्षति पहुंचाने वाले नीलगाय या जंगली सूअर को शूट आउट करवा सकते हैं। शूट आउट के बाद शव को दफन करवाने की जिम्मेवारी मुखिया की है। एक बार में मुखिया 50 से अधिक जानवरों को शूट आउट करवा सकते हैं।
शूट आउट हुए जानवरों को दफनाने के बाद ही मुखिया अगली अनुमति दे सकते हैं। नीलगाय को दफनाने के लिए 1250 तो जंगली सूअर को दफनाने के लिए 750 रुपए दर सरकार ने निर्धारित की है।
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