Move to Jagran APP

प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : द्वापरकालीन मंदिर में मां विभुक्षा काली, आस्था और भक्ति का बहुत बड़ा केंद्र बेला

Bihar Tourism Tourist Places बिहार के गया जिले में स्थित बेलागंज विसभुक्षा काली मंदिर आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र है। द्वापर काल में स्थापित माता काली का यह मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। नवरात्र और दीपावली में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के गर्भगृह में स्थित मां काली की प्रतिमा अत्यंत मनमोहक है।

By sanjay kumar Edited By: Yogesh Sahu Updated: Wed, 30 Oct 2024 02:24 PM (IST)
Hero Image
द्वापरकालीन मंदिर में विराजमान मां विभुक्षा काली।
राकेश कुमार, बेलागंज (गया)। यहां श्रद्धालु आते हैं। माता के दर्शन करते हैं और प्रसन्न मन से वापस लौटते हैं। आस्था और भक्ति का बहुत बड़ा केंद्र है बेला वाली मां काली का दरबार। पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित मंदिर विभुक्षा काली के रूप में प्रसिद्ध है।

नवरात्र में माता के दर्शन को भीड़ लगती है तो दीपावली पर भी भक्तों की लंबी कतार। यहां के पुजारी रवि पांडेय बताते हैं कि इस मंदिर के द्वापरकालीन होने की मान्यता है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर के इतिहास के बारे में यह बताया जाता है कि यहां मां काली का प्रतिष्ठापन द्वापर काल में असुर राजा वाणासुर की पुत्री ने किया था।

वर्णित कथा के अनुसार खोदाई के दौरान मां का उद्भव हुआ था और वाणासुर की बेटी उषा ने उन्हें इस स्थान पर स्थापित किया। यहां अति प्रचाीन काल से ही माता की पूजा की जा रही है।

यह कहा जाता है कि मां का पेट नहीं होने के कारण उन्हें मां विभुक्षा काली के नाम से भी जानते हैं। जहां आस्था है, वहां भक्ति। सो, यहां दूसरी जगहों से भी भक्त पूजन के लिए आते हैं।

वैसे तो सालों भर मां के दरबार में लोग पूजा-अर्चना करने पहुंचते है, लेकिन नवरात्र में श्रद्धालुओं उमड़ पड़ते हैं। उनकी सुविधा के लिए मंदिर कमेटी एवं स्थानीय प्रशासन मुस्तैद रहता है।

नवरात्र में अष्टमी की रात सात्विक बलि दी जाती है एवं महानिशा पूजा का आयोजन होता है। दीपावली के समय काली पूजा के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते हैं। यह एक धार्मिक पर्यटन स्थल बन चुका है।

बेलागंज में काली मंदिर के गर्भगृह में स्थित मां काली की प्रतिमा।

बेला काली मंदिर पहुंचने का मार्ग

गया-पटना रेलखंड पर बेला स्टेशन से आधा किलोमीटर पश्चिम है। वहीं, डोभी-पटना सड़क मार्ग पर स्थित बेलागंज बाजार से उत्तर-पूरब है। दोनों स्थलों से श्रद्धालुओं को आने-जाने हेतु आटो की सुविधा उपलब्ध है। यह मंदिर बेलागंज प्रखंड में है।

1980 से मंदिर का विकास

माता का दरबार द्वापरकालीन है। इसी मान्यता पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मंदिर गर्भगृह के बाद वाह्य क्षेत्र का विकास 1980 से शुरू हुआ।

बेलागंज में एक सरकारी अधिकारी की मनोकामना पूर्ण हुई तो उन्होंने मंदिर के विकास को लेकर बहुत पहल की।

स्थानीय लोगों की समिति में बेलागंज के सरकारी अधिकारी सदस्य होते हैं और समिति से ही मंदिर का संचालन होता है। बेलाडीह गांव के पुजारी पूजा करते हैं।

अन्य दर्शनीय स्थल

बेलागंज से 12 किलोमीटर पूरब वाणावर की प्रसिद्ध नागार्जुन गुफाएं हैं। इसी वाणावर पहाड़ी पर बाबा सिद्धनाथ का मंदिर भी है। यहां से 11 किलोमीटर दूर पश्चिम बाबा कोटेश्वरनाथ धाम मेन गांव में स्थित है।

यहां एक दुर्लभ पीपल का वृक्ष है। बेलागंज से तीन किलोमीटर पश्चिम सोइया घाट के नाम से कृत्रिम झरना है। यहां भीषण गर्मी में भी पानी बहता है, जो कि आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

गया के बेलागंज में स्थित मां काली मंदिर का बाह्य भाग व प्रवेश स्थल।

बुद्ध का भी है केंद्र

बेलागंज से 10 किलोमीटर पूरब कौआडोल पहाड़ी है। इसकी तलहटी में भगवान बुद्ध की आठ फीट आसन प्रतिमा अवस्थित है।

पिछले वर्ष पुरातत्व विभाग ने इस क्षेत्र की खोदाई की तो पाया कि अशोक काल में यहां बुद्ध विहार हुआ करता था, जहां शिक्षण का कार्य होता था। आज भी विदेशी बौद्ध भिक्षु क्षेत्र का भ्रमण करने आते हैं।

किन चीजों के लिए है यहां की प्रसिद्धि

बेलागंज में जहां मां का आशीर्वाद मिलता है, वहीं खानपान के मामले में भी प्रसिद्ध है। बेलागंज में खोवा की लाई प्रसिद्ध हो चुकी है। यहां सड़क मार्ग से गुजरने वाले बेलागंज में रूककर खोवा की लाई व सौगात के रूप में लेकर जाते हैं।

यह भी पढ़ें

प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : देवकुंड मंदिर परिसर में विराजीं ग्राम देवी तो बढ़ा स्थानीय लोगों का जुड़ाव

प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : मन्नीपुर दुर्गा मंदिर में पिंडी की होती है पूजा, नवरात्र में विदेश से भी आते हैं श्रद्धालु

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।