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    NDA-RJD ने शेरघाटी विधानसभा में नए चेहरों पर लगाया दांव, जसुपा ने बढ़ाया सियासी तापमान

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 05:14 AM (IST)

    शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और आरजेडी ने नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिससे चुनावी माहौल गरमा गया है। जसुपा ने भी स्थानीय मुद्दों को उठाकर मुकाबले को और रोमांचक बना दिया है। युवा चेहरों पर दांव लगाने से सियासी समीकरण बदलने की संभावना है और स्थानीय मुद्दे चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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    शेरघाटी विधानसभा में नए चेहरे में विश्वास तलाश रहें मतदाता। फोटो जागरण

    कौशलेंद्र कुमार, शेरघाटी। शेरघाटी विधानसभा के तीन प्रखंडों के मतदाताओं में चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। एक निर्दलीय प्रत्याशी के महागठबंधन के समर्थन में आने के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। राज्य स्तर पर तीसरा कोण बना रहा जन सुराज का तापमान भी बढ़ रहा है।

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    इसके अलावा, एक कद्दावर निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराने के प्रयास में लगा है। यहां एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज ने नए चेहरे पर विश्वास जताया है।

    ऐसे में इसी सीट से चुने जाने वाले प्रतिनिधि को विरासत प्राप्त नहीं है। शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रत्याशी अपनी जीत के लिए अपने-अपने दावे दे रहे हैं। कोई समीकरण की दुहाई दे रहा है तो कोई अपने कैडर वोटर के सहारे चुनावी बैतरणी पार करने की जुगाड़ में है।

    कोई जेन-जी की तर्ज वाली हवा के सहारे चुनाव को साधने में जुटा है। महागठबंधन ने बहुत ही कम वोट रखने वाले समाज से आए कार्यकर्ता को टिकट देकर एक संदेश देने का प्रयास किया है, भले ही उसे वैश्य की श्रेणी के चश्मे से देखा जा रहा हो।

    वहीं, एनडीए की ओर से बगैर जनाधार वाले कार्यकर्ता दल को सीट देने से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति है। हालांकि, बिहार सरकार के एक पूर्व मंत्री की उपस्थिति के बाद परिवर्तन दिखना शुरू हो गया है। लेकिन यह कितना कारगर होगा यह भविष्य के गर्त में है।

    गोपालपुर मोड़ पर चाय की दुकान में चुनावी चर्चा में ढाब चिरैया के रामनिवास यादव ने कहा कि हम सामाजिक न्याय की सरकार चुनने के लिए वोट करेंगे। इसी गांव के पूर्व सरपंच उमेश यादव ने कहा कि समीकरण प्रतिदिन बन बिगड़ रहा है। हमारा वोट तो परंपरागत तरीके से सामाजिक न्याय के लिए ही जाएगा।

    इसी प्रकार चिलीम की सुनीता देवी कहती हैं कि इस बार नए चेहरे को मौका दिया जाएगा जो लंबे समय से क्षेत्र में ग्रामीणों के साथ रहे हैं। इधर, आमस प्रखंड के युवा वोटर राहुल कुमार कहते हैं कि वोट का बिखराव है।

    किसी एक या दो पार्टी को पहले की तरह वोट नहीं मिलकर लोग रोज गमछा का रंग बदल रहे हैं। बहुत सारे युवा को पीला गमछा का रंग चढ़ गया है वहीं हरा गमछा भी दमदार उपस्थिति दिखा रहा है। भगवा गमछा ओझल होने से बैंगनी ब्लू का रंग चढ़ नहीं पा रहा है।

    इस्माइलपुर निवासी नरेश सिंह कहते हैं कि नगर परिषद में विकास कार्य को देखकर विधानसभा में भी वोट करने का मन बना रहे हैं। इसी गांव के भोला सिंह का कहना है कि हमारा संबंध लंबे समय से जिनसे रहा है हम उनके पक्ष में वोट करेंगे।

    आमस प्रखंड के औरंगाबाद जिले के सीमा पर बसे रामपुर, नवगढ़ के राम पुकार सिंह ने कहा कि जो सरकार सतत विकास कर रही है। हम उसे वोट करेंगे। इसी गांव के बीरेंद्र यादव बड़े ही उदास मन से कहते हैं कि नेता जनता की भावना नहीं समझते। ऐसे ऐसे उम्मीदवार भेजे हैं जिसमें निर्णय लेना मुश्किल है। अभी कुछ नहीं बता सकते।

    शहर में रोज लगने वाला राजनीतिक चौपाल के लिए दो जगह निर्धारित हैं। दक्षिणी क्षेत्र में जेपी चौक और उत्तरी क्षेत्र में थाना मोड़ चौराहा। कहा जाता है कि उक्त दो स्थानों से होने वाली चुनावी चौपाल का असर ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ता है।

    जेपी चौक पर ग्रामीण क्षेत्र से आए नागेंद्र कुमार बताते हैं कि वोट अंततः युवा प्रत्याशी की ओर है। इसी गांव के विनोद प्रसाद बताते हैं कि वोट विकास के लिए ही करेंगे। इधर, पलकिया निवासी निशांत सिंह का कहना है कि इस बार वोट शिक्षा और रोजगार के लिए जाएगा।

    जीविका से जुड़ी चांपी की प्यारी देवी, मुनि देवी, सविता कुमारी का कहना है कि जो महिलाओं के लिए काम कर रहा है हम वोट उसे करेंगे। लेकिन जिस छाप पर बटन दबाने की बात महिलाएं कर रही हैं वो छाप शेरघाटी विधानसभा के ईवीएम में नहीं दिखेगा।

    जब उन्हें इसकी जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा कि तो फिर हमलोग सोचेंगे। लीपगंज चट्टी के यदुनंदन प्रसाद कहते हैं कि इस तरह का उहापोह कभी नहीं रहता था। लेकिन वोट निश्चित करेंगे। यहां दोनों ही गठबंधनों को अंतर्कलह और कार्यकर्ताओं की उदासीनता चुनावी नैया को मझधार में फंसा सकता है।

    पिछले तीन विधानसभा चुनाव की तस्वीर

    2010 में बदले गए परिसीमन के बाद बोधगया से अलग होकर शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। पहली बार राजद के सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे शकील अहमद खान और उन्हीं के चेला रहे विनोद प्रसाद यादव जद यू के बीच चुनावी टकराव हुआ। तत्कालीन समय में दुर्गा वाहिनी के कार्यकर्ता रही हिंदुत्व छवि की मंजू अग्रवाल ने निर्दलीय से चुनावी ताल ठोक दिया।

    इस चुनाव में जदयू के विनोद प्रसाद यादव 25,447 मत लाकर चुनाव जीत गए। दूसरे नंबर पर निर्दलीय रही सुषमा देवी उर्फ मंजू अग्रवाल ने 18,944 मत प्राप्त किए जबकि शकील अहमद खान को राजद प्रत्याशी के रूप में 18,623 मत प्राप्त हुए।

    यहां सुरेन्द्र कुमार सुमन उर्फ भगत यादव ने भी दमदार उपस्थिति दर्ज करते हुए 15,007 मत प्राप्त किए। इसी प्रकार 2015 में जदयू के विनोद यादव को 44,579 और एनडीए प्रत्याशी हम पार्टी के डाक्टर मुकेश कुमार यादव उर्फ कृष्णा यादव को 39,745 मत प्राप्त हुए। 4844 मत से वे पुनः विजय हो गए, जबकि तीसरे स्थान पर मंजू अग्रवाल ने 29,671 मत प्राप्त किए। 2020 में स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया।

    महागठबंधन के तौर पर राजद से मंजू अग्रवाल उम्मीदवार बनाई गई। उन्होंने 61,804 मत लाकर 16 हजार 690 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब हुई, जबकि डॉक्टर विनोद प्रसाद यादव को 45,114 मत प्राप्त कर सीट गंवानी पड़ी।

    अब 2025 में ये सभी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं हैं। लोजपा, राजद और जन सुराज पार्टी ने अपने-अपने नए उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन निर्दलीय रहे सुरेन्द्र कुमार सुमन उर्फ भगत यादव और एआइएमआइएम के प्रत्याशी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जोर लगा रहे हैं।

    एक नजर में शेरघाटी विधानसभा 226

    विवरण संख्या
    कुल मतदाता 2,79,254
    कुल मतदान केंद्र 367
    पुरुष मतदाता 1,45,913
    महिला मतदाता 1,33,335
    थर्ड जेंडर मतदाता 6
    सेवा मतदाता 274
    पीडब्ल्यूडी मतदाता 9
    ८५ प्लस मतदाता 11