जागरूकता के बावजूद बढ़ते हादसे
हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाकर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने की कोशिश की जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हादसे कम होने की बजाय बढ़ रहे हैं।
सड़क निर्माण में लापरवाही, ओवरलोड वाहन और तेज रफ्तार ड्राइविंग इसके प्रमुख कारण बने हुए हैं। कई स्थानों पर डिवाइडर ठीक से नहीं बने, सड़कें अधूरी छोड़ दी गईं और न तो सड़क किनारे उचित संकेत बोर्ड लगाए गए।
इसके बावजूद इन खामियों को सुधारने की कोई ठोस पहल अब तक देखने को नहीं मिली है।
नियमों की नियमित जांच नहीं
जिले में यातायात नियमों के पालन की नियमित जांच भी नहीं हो रही। महज औपचारिकता के तौर पर कभी-कभार अभियान चलाया जाता है, लेकिन लगातार निगरानी की व्यवस्था बिल्कुल नहीं है।
नतीजा यह है कि बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, तेज रफ्तार और गलत दिशा में वाहन चलाने जैसी खतरनाक प्रवृत्तियाँ आम हो चुकी हैं।
सीट बेल्ट को लेकर गंभीरता नहीं
जिले में हजारों चारपहिया वाहन तेज रफ्तार से सड़कों पर दौड़ते हैं, लेकिन इनमें से करीब 50-60 प्रतिशत में सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं होता।
हैरानी की बात यह है कि कई सरकारी वाहनों में भी नियमों का पालन नहीं किया जाता। पिछले पांच वर्षों में सीट बेल्ट उल्लंघन पर की गई कार्रवाई की संख्या भी नगण्य रही है।
हाइवे पर डेंजर जोन की भरमार
एनएच-27 सहित जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर कई ऐसे ‘डेंजर जोन’ हैं जहाँ हर पल हादसे का खतरा बना रहता है।
कई ओवरब्रिज निर्माणाधीन हैं, जिससे शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में सड़क पार करना जोखिम भरा हो गया है। डिवाइडर, पार्किंग स्लॉट और रिफ्लेक्टर लाइट की अनुपस्थिति और भी खतरा बढ़ा देती है।
दुर्घटनाओं का आंकड़ा (2025)
| एनएच 27 | 50 हादसे | 38 मौतें | 40 घायल |
| एनएच 531 | 5 हादसे | 6 मौतें | 3 घायल |
| एसएच 90 | 11 हादसे | 7 मौतें | 5 घायल |
| एनएच 101 | 1 हादसा | 1 मौत | 2 घायल |
| अन्य सड़कें | 141 हादसे | 108 मौतें | 51 घायल |
| कुल | 208 हादसे | 160 मौतें | 103 घायल |
प्रशासन का दावा
सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाने और ब्लैक स्पॉट की पहचान कर सुरक्षात्मक उपाय करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि जमीनी स्थिति बताती है कि दुर्घटनाओं में आई तेजी को रोकने के लिए अब सख्त और सतत कार्रवाई की जरूरत है।
पवन कुमार सिन्हा,जिलाधिकारी
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