Munger Flood News: मुंगेर में गंगा का कहर, कई गांवों में बाढ़ का पानी; लोगों में हिंसक जानवरों का डर
मुंगेर में गंगा नदी उफान पर है और चेतावनी स्तर से 63 सेमी ऊपर बह रही है। कई गांवों में पानी घुस गया है और लोगों में हिंसक जानवरों का डर है। प्रशासन बाढ़ से निपटने के लिए तैयार है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं। प्रशासनिक पदाधिकारी लगातार गंगा नदी का निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं।
संवाद सूत्र, हेमजापुर (मुंगेर)। जिले में एक बार फिर से गंगा उफान पर है। 72 घंटे से गंगा के जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। 39.33 गंगा के खतरे का निशान है। अभी गंगा चेतावनी स्तर 38.33 मीटर से 63 सेमी ऊपर बह रही है। बुधवार दोपहर एक बजे तक गंगा का जलस्तर 38.96 मीटर रहा।
केंद्रीय जल आयोग के हरेराम प्रसाद ने बताया कि हर घंटे दो सेमी गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। स्थिति यही रही तो अगले 24 घंटे में जिले में गंगा खतरे के निशान को पार कर जाएगी। जिले में गंगा से छह प्रखंड प्रभावित होते हैं। इसमें धरहरा प्रखंड, जमालपुर प्रखंड, सदर और बरियारपुर अधिक प्रभावित है।
गंगा का पानी सीमावर्ती गांवों में प्रवेश करने लगा है। धरहरा प्रखंड के हेमजापुर, बाहाचौकी, सिंघिया, शिवकुंड के गांव के निचले इलाकों में पानी प्रवेश कर गया है। अचानक गंगा के जलस्तर में वृद्धि से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सहम गए हैं। बाढ़ का पानी गांव के पास बने सुरक्षा बांध को पार कर चुका है।
कई स्कूलों के पास पानी पहुंच चुका है। दुर्गापुर व रामनगर नवटोलिया की तरफ से गांव में पानी घुस रहा है। एक तरफ दियारा क्षेत्र तो दूसरी तरफ टाल क्षेत्र में आए बाढ़ के पानी की वजह से गांव टापू के समान तब्दील हो रहा है। ऐसे में लोग विषैले जीव-जंतु और हिंसक जानवरों के डर से भी सहमे हुए हैं।
बन रहा टापू, हिंसक जानवरों का डर
जिले के चार प्रखंडों के दर्जनों से अधिक गांवों में इन दोनों हिंसक जानवरों का खौफ लोगों के मन में समाया हुआ रहता है। दियारा और टाल इलाके में बाढ़ का पानी आ जाने की वजह से सभी जानवर अपना रुख गांव की ओर कर लेते हैं। ऐसे में विषैले जीव-जंतु के साथ-साथ हिंसक जानवर का भी आगमन गांव में हो रहा है। ऐसे में लोगों को काफी सावधानी पूर्वक गांव में रहना पड़ रहा है।
कुछ जगहों पर लोग देर रात तक अपने गांव की रखवाली करते नजर आ रहे हैं। बात सदर प्रखंड के मुफस्सिल इलाके की हो या फिर नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड के कुछ बाढ़ प्रभावित गांव की। यहां के लोग हमेशा हाथ में लाठी लेकर घूमते नजर आ रहे हैं। टीकारामपुर, कुतलूपुर दियारा, बहादुर नगर, चौधरी टोला, बरियारपुर प्रखंड के झौवा बहियार, बरियारपुर, कल्याणपुर और हरिणमार सहित कई ऐसे इलाके हैं जो टापू का रूप ले रहा है।
जंगली सूअर और सांपों का खतरा
गंगा के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को सबसे अधिक भय जंगली सूअर से हो रहा है। मंगलवार को चांद टोला गांव में जंगली सूअर के आने की खबर लोगों में चर्चा का विषय बनी रही। बाढ़ के दिनों में जंगली सूअर के साथ-साथ नीलगाय (घोड़पड़ास) विषैले सांप, भैसा आदि हिंसक जानवर लोगों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
लोगों को नुकसान पहुंचाने को लेकर बाकायदा बाहाचौकी पंचायत के सौ से अधिक ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों को आवेदन देकर इन हिंसक जानवरों से मुक्ति दिलाने का अनुरोध किया है। बाहाचौकी की मुखिया रंजू कुमारी ने बताया कि ग्रामीणों का आवेदन प्राप्त हुआ है। मुंगेर-लखीसराय मुख्य पथ पर काफी सड़क दुर्घटनाएं भी हो रही है। इसके लिए वन विभाग को पत्र लिखकर इस और ध्यान आकृष्ट कराया गया है।
बाढ़ से निपटने तैयारी
जिला प्रशासन के निर्देश पर सभी प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ से निपटने के लिए टीम पूरी तरह से अलर्ट है। बाढ़ प्रभावित धरहरा प्रखंड के इन तीन पंचायत में तैयारी कर ली गई है। धरहरा प्रखंड के कुल 13 विद्यालयों को सामुदायिक किचन बनाने की इस बार व्यवस्था की जा रही है। यहां बाढ़ प्रभावितों को सभी सुविधाएं मिलेगी। इन क्षेत्रों के लिए 20 से अधिक नाव का निबंध किया गया है। जरूरत पड़ने पर इन नौका का प्रयोग बाढ़ प्रभावितों को आने जाने के लिए दिया जा सकेगा।
प्रशासनिक पदाधिकारी लगातार गंगा नदी का निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं। हेमजापुर ओपी प्रभारी नीरज कुमार और अंचलाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि संभावित बाढ़ को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। प्रशासन किसी भी परिस्थिति से निपटने को तैयार है। अगर हिंसक जानवर ज्यादा तबाह करेंगे तो वन विभाग को रिपोर्ट की जाएगी।
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