मुकेश सहनी की वजह से बिहार में हारा महागठबंधन; घटक दल के विधायक का बड़ा आरोप, बोले-यदि मैं वहां रहता.....
Bihar Politics: बिहार महागठबंधन की हार पर घटक दल के एक विधायक आइपी गुप्ता ने मुकेश सहनी को जिम्मेदार ठहराया है। विधायक का मानना है कि उन्हें डिप्टी ...और पढ़ें

विधायक आइपी गुप्ता ने मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम उम्मीदवार घोषित करने को बताया गलत। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar News: इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) के अध्यक्ष एवं विधायक आइपी गुप्ता ने कहा है कि विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री के तौर पर घोषित करने का निर्णय गलत था।
इससे महागठबंधन को नुकसान हुआ है। लोगों के बीच गलत संदेश गया। वे मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। यह पहला मौका है, जब महागठबंधन के किसी घटक दल ने सहनी को उप मुख्यमंत्री घोषित करने के निर्णय की सार्वजनिक आलोचना की है।
उन्होंने कहा-मैं उस निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था। अगर मैं वहां रहता तो जरूर विरोध करता। क्योंकि इस निर्णय से मुसलमानों के बीच अच्छा संदेश नहीं गया।
सन ऑफ मल्लाह को घोषित किया था डिप्टी सीएम उम्मीदवार
किसी मुसलमान का नाम यदि इस पद के लिए प्रस्तावित किया जाता तो चुनाव में लाभ मिल सकता था। उन्होंने स्वीकार किया कि विधायक बनने के बाद एनडीए के कई नेताओं ने उन्हें फोन पर बधाई दी। एनडीए में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया।
लेकिन, वह इस समय जहां हैं, बने रहेंगे। हमारे सामने संघर्ष का लंबा रास्ता है। हां, हम RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) की तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी दिल से सम्मान करते हैं।
राजद ने की वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की तिथि एक वर्ष बढ़ाने की मांग
राजद की ओर से विधान पार्षद मो. कारी सोहैब ने ‘उम्मीद’ पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि को एक वर्ष के लिए बढ़ाने की मांग की है।
इस आग्रह के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर उनहोंने कहा है कि राज्यों में इस प्रक्रिया को व्यवस्थित, पारदर्शी और पूर्ण रूप से संपन्न करने के लिए पंजीकरण की अवधि में विस्तार आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए अंतिम तिथि पांच दिसंबर है। कारी के अनुसार, पंजीकरण की प्रक्रिया तकनीकीगत है, जिसके लिए पर्याप्त समय चाहिए।
यदि समय सीमा नहीं बढ़ाई गई तो अनेक वक्फ संपत्तियां औपचारिक पंजीकरण से वंचित रह जाएंगी। इससे भविष्य में विवाद, अतिक्रमण और कानूनी जटिलताएं बढ़ने की आशंका है।

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