Bihar Election Result 2025: 'दोस्ताना' लड़ाई ने महागठबंधन को लगाई करारी चोट, NDA की झोली में 11 सीटें
बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की 'दोस्ताना' लड़ाई ने उन्हें नुकसान पहुंचाया, जिससे एनडीए को 11 सीटें मिलीं। आपसी मतभेदों के कारण महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव परिणामों से पता चलता है कि महागठबंधन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा।
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नीतीश कुमार और पीएम मोदी।
राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन की इस इस चुनाव बड़ी पराजय की कई वजहें हैं। इन्हीं वजहों में एक वजह बना 11 सीटों पर दोस्ताना संघर्ष। इस संघर्ष ने महागठबंधन के सभी समीकरण को बुरी तरह बिगाड़ दिया। महागठबंधन ने भले ही औपचारिक तौर पर इन सीटों पर तालमेल का दावा किया हो, लेकिन जमीनी सच्चाई यह थी कि सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ ही मोर्चाबंदी करते दिखे। नतीजा यह हुआ कि इन सभी 11 सीटों पर एनडीए ने फायरब्रांड तरीके से कब्जा जमाया और महागठबंधन खाली हाथ रह गया।
बिहार शरीफ, राजापाकर, बछवाड़ा, वैशाली, बेलदौर, कहलगांव, सुल्तानगंज, नरकटियागंज, करहगर, चैनपुर और सिकंदरा सीट पर पर महागठबंधन की रणनीतिक कमियों और समन्वयहीनता का असर साफ दिखाई दिया। जिन सीटों पर एकजुट होकर लड़ना, वहां चार सीटों पर कांग्रेस बनाम सीपीआई, चार पर राजद बनाम कांग्रेस, एक सीट पर आईआईपी बनाम कांग्रेस और एक सीट पर वीआईपी बनाम राजद के बीच टक्कर खड़ी हो गई।
यह लड़ाई दोस्ताना भले कही गई हो, लेकिन नुकसान सीधा महागठबंधन के खाते में दर्ज हुआ। जिसका सीधा लाभ एनडीए को मिला। इन 11 सीटों में से सात सीटें जदयू, तीन भाजपा और एक हम (से.) को दिलाकर पूरी बाजी अपने पक्ष में कर ली। महागठबंधन के वोट दो-दो हिस्सों में बंटते गए, जबकि एनडीए एकजुट होकर मैदान में डटा रहा। यह वोट-बैंक विभाजन महागठबंधन की सबसे बड़ी रणनीतिक भूल साबित हुआ।
महागठबंधन के कार्यकर्ताओं की नाराजगी, टिकट वितरण को लेकर असंतोष और शीर्ष नेतृत्व की कमजोर समन्वय क्षमता ने इन सीटों पर नुकसान को और बढ़ाया। स्थानीय स्तर पर यह भ्रम तक फैला रहा कि असली उम्मीदवार कौन है और किसे समर्थन देना है। इसका सीधा फायदा एनडीए को मिला, जिसने इन सीटों पर अपने बूथ मैनेजमेंट और माइक्रो कैडर नेटवर्क के दम पर वोटों का ध्रुवीकरण कर दिया।
नतीजा यह साफ हो गया कि ''दोस्ताना संघर्षÓ सिर्फ नाम का दोस्ताना था, असल में यह महागठबंधन की पीठ में सबसे बड़ी राजनीतिक चोट बनकर उभरा। ये 11 सीटें परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाने वाली थीं, और यहां का नुकसान महागठबंधन की कुल सीटों के ग्राफ को नीचे धकेलने वाला साबित हुआ।

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