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    Bihar Chunav : माहौल बनाने तक ही सिमट गई पीके की पार्टी, 2005 के बाद थर्ड फ्रंट का कैसा रहा हाल?

    By Rajat Kumar Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Fri, 14 Nov 2025 04:45 PM (IST)

    Bihar Chunav Result news: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए और महागठबंधन के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी समेत तीसरे विकल्प के तौर पर उतरी पार्टियां विफल रहीं। तेज प्रताप यादव भी अपनी सीट हार गए। ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम का प्रदर्शन सीमांचल में कुछ बेहतर रहा। बिहार में तीसरे विकल्प की विफलता का इतिहास पुराना है, 2005 के बाद से यही स्थिति बनी हुई है।

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    Bihar vidhan sabha chunav Result 2025 News Update: प्रशांत किशोर के जन सुराज व तेज प्रताप यादव की जेजेडी का नहीं चला जादू।

    कुमार रजत, पटना। Bihar Vidhan Sabha Chunav Result latest News : विधानसभा चुनाव-2025 के परिणाम ने एक बार फिर बता दिया कि बिहार के वोटर आमने-सामने की लड़ाई में भरोसा रखते हैं।

    इस बार के चुनाव में भी मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच ही रहा। प्रशांत किशोर की नई-नवेली पार्टी जनसुराज ने तीसरा विकल्प होने का माहौल जरूर बनाया मगर यह सब हवाबाजी ही साबित हुई।

    पार्टी को एक अदद सीट तो नहीं ही मिली, दूसरे स्थान के लिए भी तरसना पड़ा। इसके अलावा भी अलग-अलग क्षेत्रों में जिन छोटे और नए दलों ने तीसरा विकल्प बनने की कोशिश की उन्हें मुंह की खानी पड़ी।

    तेज प्रताप भी रह गए फ‍िसड्डी

    तेजप्रताप यादव की नई पार्टी जनशक्ति जनता दल का भी यही हाल रहा। तेजप्रताप यादव खुद महुआ से चुनाव हार गए। ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम सीमांचल में पांच-छह सीटों पर कुछ प्रभावी रही।

    वहीं बसपा का इक्का-दुक्का सीटों पर प्रभाव रहा। 
    दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब बिहार के विधानसभा चुनाव में तीसरा विकल्प फेल हुआ है। 2005 के बाद हुए सभी चार चुनावों का यही हाल रहा है।

    हर चुनाव में तीसरे विकल्प के दल बदलते रहे हैं, मगर परिणाम एक जैसा ही रहा है। बिहार के लोग पिछले दो दशकों से एकदम स्पष्ट बहुमत दे रहे हैं।

    वर्ष 2025 : बड़बोले प्रशांत किशोर शून्य पर आउट

    प्रशांत किशोर ने चुनाव में परिवारवाद, विकास, रोजगार जैसे जनहित के मुद्दे तो उठाए मगर जनता का दिल नहीं जीत पाए। करीब तीन साल तक पदयात्रा से लेकर कई रोड शो करने वाले प्रशांत के दावे-बयान बड़बोले ही साबित हुए।

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    प्रशांत किशोर को अपनी पार्टी को लेकर किए गए दावे तो फेल हुए ही, जदयू को लेकर दिया उनका बयान भी गलत साबित हुआ।

    प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि जदयू को इस चुनाव में 25 सीटें भी नहीं आएंगी। इस तरह के बड़बोले बयान को लेकर प्रशांत किशोर की किरकिरी हो रही। 

    वर्ष 2020 : तीसरे विकल्प को छह सीटें, निर्दलीय-लोजपा को एक-एक 

    वर्ष 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 और महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आईं। तीसरे विकल्प के रूप में ओवैसी के दल एआइएमआइएम को पांच जबकि बसपा को एक सीट मिली थीं।

    इसके अलावा लोजपा को एक जबकि चकाई से सुमित कुमार सिंह निर्दलीय जीते थे। 

    वर्ष 2015 : तीसरे विकल्प को तीन सीटें, चार निर्दलीय को मिली जीत


    वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस के गठबंधन को 178 जबकि भाजपा नीत एनडीए को 58 सीटें आई थीं।

    वामदलों ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़कर तीसरा विकल्प वोटरों को दिया मगर भाकपा माले तीन सीटें ही जीत पाईं। इसके अलावा चार निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी।


    वर्ष 2010 : तीसरे विकल्प को चार सीट, निर्दलीय को छह सीट 

    2010 के विधानसभा चुनाव एनडीए में जदयू-भाजपा के मुकाबले राजद और लोजपा के नए गठबंधन में मुख्य मुकाबला रहा। एनडीए को 206 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला।

    राजद-लोजपा को 25 सीटें आईं। कांग्रेस गठबंधन से अलग सभी 243 सीटों पर लड़ीं मगर चार सीट ही जीत सकी। निर्दलीयों को छह जबकि वाम दल-झामुमो को एक-एक सीट मिली।