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    Bihar Election Result: बिहार में कांग्रेस 6 सीटों पर कैसे हार गई? राज से हटा पर्दा; इन नेताओं पर लग रहे आरोप

    Updated: Thu, 13 Jun 2024 03:01 PM (IST)

    Bihar Politics बिहार में कांग्रेस को इस बार 6 सीटों पर शिकस्त मिली है। इस हार पर मंथन के बाद कई खुलासे हो रहे हैं। प्रदेश स्तर पर आकलन है कि कुछ सीटों पर कांग्रेस की हार का असली कारण भितरघात रहा। भितरघातियों को चिह्नित कर कार्रवाई की अनुशंसा कर दी गई है। अब जिला इकाइयों में अंदरखाने ठन गई है।

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    बिहार में कांग्रेस ने 6 सीटें गंवाईं (जागरण)

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। Bihar Political News Today: महागठबंधन के बैनर तले बिहार में लोकसभा की 9 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस केवल 3  सीटों पर सफल रही है। पिछली बार की तुलना में उसका प्रदर्शन बेहतर तो रहा है, लेकिन बदली राजनीतिक परिस्थितियों में लक्ष्य के अनुरूप नहीं। प्रदेश स्तर पर आकलन है कि संभावना वाली कुछ सीटों पर कांग्रेस के पराजय का असली कारण भितरघात रहा। भितरघातियों को चिह्नित कर कार्रवाई की अनुशंसा शुरू होते ही जिला इकाइयों में अंदरखाने ठन गई है। सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

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    भीतरघात से हुई हार

    उल्लेखनीय है कि चुनाव परिणाम के बाद अपनी पहली प्रेस-वार्ता में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा था कि भितरघात के कारण कांग्रेस अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई। बताते हैं कि प्रदेश नेतृत्व को चुनाव प्रचार के दौरान ही विभिन्न क्षेत्रों से भितरघात की शिकायतें मिलने लगी थीं। तात्कालिक रूप से कोई कार्रवाई संभव नहीं थी, लेकिन अब जिला इकाइयों द्वारा भितरघाती चिह्नित होने लगे हैं। उसके बाद खलबली मची है। लपेटे की आशंका भांप दूसरा पक्ष मुखर होने लगा है। उसकी शिकायत है कि प्रत्याशियों के चयन से लेकर प्रचार अभियान तक में जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई।

    अजित शर्मा ने जिलाध्यक्ष पर साथ नहीं देने का लगाया आरोप

    भागलपुर में विधायक अजीत शर्मा लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। बैठक में जिला इकाई उन्हें अक्खड़ व मनमर्जी का मालिक बता चुकी है। शिकायत है कि शर्मा ने कार्यकर्ताओं की अवहेलना की, जिससे संभावना प्रभावित हुई। प्रतिकार में अजीत शर्मा ने जिलाध्यक्ष परवेज पर साथ नहीं देने का आरोप मढ़ दिया है।

    पश्चिमी चंपारण में भी हुआ खेला

    पिछड़ा-अति पिछड़ा विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके डा. गौतम कुमार पश्चिम चंपारण से कांग्रेस के टिकट के दावेदार थे। वहां पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी पर पार्टी ने दांव लगाया, जो चुनाव हार गए। पश्चिम चंपारण जिलाध्यक्ष भारत भूषण दूबे ने गौतम को कांग्रेस से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया।

    पड़ोसी पूर्वी चंपारण के जिलाध्यक्ष शशिभूषण राय उर्फ गप्पू राय की भी इसमें सहमति रही। दोनों जिला के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्रों से पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र की संरचना है। गौतम पर आरोप है कि उन्होंने विजेता रहे भाजपा के डा. संजय जायसवाल की सहायता की। गौतम इसका प्रमाण मांग रहे। वे पूछ रहे कि प्रदेश संगठन से जुड़े व्यक्ति पर कार्रवाई का अधिकार जिला इकाई को कैसे मिल गया, वह भी बिना अनुशासन समिति के संज्ञान में दिए हुए।

    दरअसल, आनुशासनिक कार्रवाई के लिए अनुशासन समिति की अनुशंसा आवश्यक होती है। पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक इसके अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि जांच और कार्रवाई के लिए लिखित आग्रह-आवेदन की अपेक्षा होती है। मौखिक चर्चाएं तो हैं, लेकिन उन्हें अभी कोई लिखित शिकायत नहीं मिली। जिला इकाई या प्रत्याशी आदि के द्वारा शिकायत मिलने पर अनुशासन समिति मामले की जांच कर प्रदेश अध्यक्ष को कार्रवाई की अनुशंसा करती है।

    भितरघात नहीं, यह अंतर्कलह

    बहरहाल इस पचड़े से दूर रहने की इच्छा के साथ प्रदेश इकाई में श्रेष्ठ पदों पर रह चुके कुछ लोगों का कहना है कि यह भितरघात नहीं, कांग्रेस का अंतर्कलह है। अभी प्रदर्शन-परिणाम के सही आकलन के बजाय अपनी-अपनी मनमानियों पर पर्दा डालने का उपक्रम हो रहा है। पार्टी के हित में ऐसे लोग चाहते हैं कि मिल-बैठकर आगे की रणनीति तय की जाए, क्योंकि अगले वर्ष विधानसभा का चुनाव कांग्रेस की कठिन परीक्षा लेने वाला है।

    विधानसभा के पिछले चुनाव में कमतर प्रत्याशियों के कारण कांग्रेस की संभावना प्रभावित हुई थी। उसके लिए महागठबंधन में काफी फजीहत हुई थी। कमतर संभावना वाले प्रत्याशी तो लोकसभा चुनाव में भी उतारे गए। भाजपा-जदयू से छंटे-कटे लोगों को टिकट देने के साथ घर का भी ख्याल रखा गया। उनका इशारा मुजफ्फरपुर में डा. अजय निषाद, समस्तीपुर में सन्नी हजारी और महराजगंज में प्रत्याशी बनाए गए आकाश सिंह की ओर है। आकाश प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र हैं।

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