Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राज भवन नहीं, अब ‘बिहार लोक भवन’: नाम बदलाव के साथ इतिहास से लेकर उद्देश्य तक बदला संदर्भ

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 02:26 PM (IST)

    बिहार में राज भवन का नाम बदलकर 'बिहार लोक भवन' कर दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य भवन को जनता से जोड़ना है। अब यह केवल राज्यपाल का निवास नहीं, बल्कि जनता के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा। भवन में पुस्तकालय, संग्रहालय और सभागार जैसी सुविधाएं होंगी, जिनका उपयोग जनता कर सकेगी।

    Hero Image

    राजभवन बिहार

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के राज भवन का नाम अब आधिकारिक रूप से बदल चुका है। केंद्र सरकार के हालिया निर्णय के बाद राज्यपाल आवास को अब ‘बिहार लोक भवन’ के नाम से जाना जाएगा। राज्यपाल के प्रधान सचिव आर.एल. चोंग्थु के हस्ताक्षर से एक दिसंबर को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि 'राजभवन बिहार' को सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए तत्काल प्रभाव से 'बिहार लोक भवन' नामित किया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह निर्णय केंद्र सरकार के उस व्यापक आदेश का हिस्सा है, जिसमें राज्यों के राज भवन और केंद्र शासित प्रदेशों के राज निवास के नाम क्रमशः ‘लोक भवन’ और ‘लोक निवास’ करने का निर्देश दिया गया था।

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 नवंबर 2025 को यह आदेश जारी किया था। इस कदम के पीछे सरकार की मंशा शासन व्यवस्था को और अधिक जनोन्मुखी तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप बनाना है।

    राज भवन और राज निवास जैसे नाम ब्रिटिश शासनकाल की उस परंपरा से जुड़े हुए थे, जब इन भवनों का उपयोग औपनिवेशिक प्रशासन के शीर्ष पदाधिकारियों के आवास के रूप में किया जाता था।

    वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद से केंद्र सरकार लगातार उन संस्थानों, मार्गों और भवनों के नामों में बदलाव कर रही है जो औपनिवेशिक प्रतीकों को दर्शाते हैं।

    ‘बिहार लोक भवन’ नामकरण को भी इसी अभियान की एक अहम कड़ी माना जा रहा है।

    अधिसूचना लागू होते ही बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। राज भवन के नेम प्लेट, साइन बोर्ड और अन्य आधिकारिक बोर्डों को बदलकर ‘लोक भवन’ लिखा जा रहा है।

    राज भवन की आधिकारिक वेबसाइट पर भी नाम अपडेट कर दिया गया है और अब यह ‘बिहार लोक भवन’ के रूप में दिखाई देता है।

    इतिहास के पन्नों में झांकें तो बिहार के राज भवन की आधारशिला तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने 1913 में रखी थी।

    तीन साल बाद, 3 फरवरी 1916 को उन्होंने इसका उद्घाटन भी किया था। उसी दिन पटना हाई कोर्ट और मुख्य सचिवालय भवन का भी उद्घाटन हुआ था।

    न्यूजीलैंड के जे.के. मुनीफ इन भवनों के आर्किटेक्ट थे। उस समय बिहार और ओडिशा एकीकृत प्रदेश थे, और इससे चार साल पहले 1912 में बंगाल से अलग होकर बिहार अलग राज्य बना था।

    नाम बदलने के साथ ही बिहार लोक भवन अब अपने औपनिवेशिक इतिहास से आगे बढ़ते हुए नए लोकतांत्रिक पहचान के साथ सामने आ रहा है।