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Child Obesity: बच्चों में बढ़ता मोटापा बन सकता है इन गंभीर बीमारियों की वजह, जानें इससे बचाव के तरीके

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन बिहार शाखा ने मेडिवर्सल मातृ में प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर चर्चा की गई। प्रदेश में पांच वर्ष से कम उम्र के 1.4 प्रतिशत बच्चे प्रदेश में मोटापे का शिकार हैं। कार्यशाला में पहुंचे डॉक्टरों ने बदलते लाइफ स्टाइल और खाने को मोटापे के लिए जिम्मेदार बताया। साथ ही इससे बचने के उपायों पर भी चर्चा की।

By Pawan Mishra Edited By: Divya Agnihotri Updated: Mon, 18 Nov 2024 12:22 PM (IST)
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बच्चों में मोटापे से बढ़ रही बीमारियां
जासं, पटना। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन बिहार शाखा ने रविवार को 15वीं प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन मेडिवर्सल मातृ में किया गया। इसमें प्रसिद्ध शिशु एंडोक्राइनोलॉजिस्ट कानपुर के डॉ. अनुराग बाजपेयी ने बच्चों के बढ़ते मोटापे (Childhood Obesity) पर चिंता जताई। उन्होंने खराब जीवनशैली और खान-पान को इसके लिए जिम्मेदार बताया।

डॉ. अनुराग बाजपेयी ने कहा कि बच्चों में बढ़ता मोटापा व हार्मोन असंतुलन चिंताजनक है। इसका प्रमुख कारण खराब जीवनशैली, खेलकूद से दूरी व गलत खानपान है। गोल-मटोल बच्चे अब अच्छे नहीं माने जाते हैं। अब समय आ गया है, जब अधिक वजन वाले बच्चों में यह परखा जाए कि इसकी वजह अधिक पोषण है या हार्मोनल असंतुलन।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील पाठक ने कहा कि बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए जरूरी है कि उनका स्क्रीन टाइम एक घंटे से अधिक नहीं हो। इसके साथ ही पैकेटबंद जंक फूड से दूरी सुनिश्चित की जाए। यदि वजन बढ़ रहा है तो तुरंत चिकित्सक से मिलकर मोटापे के कारणों का निदान करें, इसले भविष्य की समस्याओं से बचा जा सकता है।

निदान के पहले मोटापे के कारण की पहचान जरूरी

डॉ. अनुराग बाजपेयी ने कहा कि अधिक कैलोरी, फैट, चीनी-नमक वाला अस्वास्थ्यकर भोजन मोटापे की प्रमुख वजह है। इसके अलावा 25 से 40 प्रतिशत बच्चों में इसका कारण आनुवंशिक हो सकता है। ऐसे में माता-पिता, दादा-दादी के बारे में जानकर आनुवंशिक कारणों का पता लगाना चाहिए।

इसके बाद गतिहीन जीवनशैली यानी बच्चा यदि मैदान के बजाय मोबाइल-कंप्यूटर में ज्यादा समय बिता रहा है। घर में यदि अधिक तला-भुना खाना बनता है। मनोवैज्ञानिक व बिहेवियरल डिसआर्डर इसके बड़े कारण हैं। गर्भावस्था में जेस्टेशनल हाइपरटेंशन या डायबिटीज, गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना, धूम्रपान व शराब सेवन से भी बच्चा मोटा हो सकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विजय जैन ने कहा कि बच्चों में बढ़ता वजन, मधुमेह, बीपी यदि नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में स्थिति भयावह हो जाएगी।

आंकड़ों में मोटापे की भयवहता

  • प्रदेश में पांच वर्ष से कम उम्र के 1.4 प्रतिशत बच्चे प्रदेश में मोटापे का शिकार हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वयस्कों में मोटापे के मामले में देश पांचवे नंबर पर है।
  • देश में पांच वर्ष से कम उम्र के 1.8 करोड़ बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं, वहीं दुनिया में 3.8 करोड़।
  • 2030 तक प्रति 10 में से एक बच्चा मोटापे से पीड़ित होगा- यूनिसेफ की वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस की रिपोर्ट के अनुसार
  • देश में 13.5 करोड़ वयस्क मोटापे से पीड़ित हैं।
  • हर वर्ष करीब 28 लाख लोगों की मोटापे की वजह से हुए रोगों के कारण मौत हो रही है।

बचपन में मोटापे से इन रोगों का खतरा

  • हृदय संबंधी रोग जैसे हाइपरटेंशन व डिस्लिपिडेमिया
  • एंडोक्राइन डिसऑर्डर जैसे टाइप-2 डायबिटीज, हाइपोथायरायडिज्म, मेटाबोलिक सिंड्रोम , पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
  • पेट संबंधी रोग जैसे पित्त की पथरी, अग्न्याशय की पथरी व नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर
  • मस्कुलोस्केलेटल यानी घुटनों, कूल्हों,रीढ़ व जोड़ों में दर्द से चलने-फिरने में परेशानी।
  • श्वांस सबंधी रोग जैसे ब्रॉन्कियल अस्थमा, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया।

मोटापे से बचाव के लिए अपनाएं स्वस्थ जीवनशैली

  • हरी सब्जियों-फलों के साथ घर का बना पारंपरिक पौष्टिक ताजा आहार।
  • शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा, मैदान में प्रतिदिन खेलना सुनिश्चित करना।
  • मोबाइल-कंप्यूटर पर एक घंटे से अधिक का समय नहीं देना।
  • बच्चों में खेलकूद की आदत डलवाने के लिए माता-पिता साथ में खुद खेलें ताकि उनकी आदत बन जाए।
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