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Bihar News: 100 गर्भवती महिलाओं में से 20 को हाई-रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा, यूनिसेफ ने बताई ये बड़ी वजह

बिहार में हर साल ढाई लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं लेकिन इनमें से 17-20 प्रतिशत को हाई-रिस्क प्रेगनेंसी का सामना करना पड़ता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़ा 20 प्रतिशत तक है। पोषण की कमी और नियमित स्वास्थ्य देखभाल के अभाव को इसके प्रमुख कारणों में से एक माना गया है। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए अभियान शुरू करने का फैसला किया है।

By Sunil Raj Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 22 Sep 2024 03:57 PM (IST)
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बिहार में प्रति वर्ष करीब ढाई लाख स्त्रियां गर्भधारण करती हैं। (सांकेतिक फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में प्रति वर्ष करीब ढाई लाख स्त्रियां गर्भधारण करती हैं, परंतु इनमें 17-20 प्रतिशत मामलों में गर्भवती को हाई रिस्क प्रेगनेंसी के जोखिम का सामना करना होता है। ऐसा सिर्फ खान-पान में कमी, नियमित जांच का अभाव और कई बार कम उम्र में गर्भधारण भी होता है।

ऐसे मामलों में कमी लाने और जच्च-बच्चा की संपूर्ण सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता अभियान की योजना तैयार की है।

स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -पांच के अनुसार, बिहार में 15-49 आयु वर्ग की गर्भवती महिलाओं में करीब 17 प्रतिशत, जबकि यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईरिस्क का यह आंकड़ा 20 प्रतिशत तक है।

सरकार ने इसकी असल वजह पोषण युक्त खान-पान की कमी और नियमित स्वास्थ्य देखभाल से वंचित रहना या जानकारी का अभाव को माना है।

ग्रामीण क्षेत्रों में चलेगा अभियान 

सरकार की प्राथमिकता मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर कई प्रकार की योजनाओं संचालित हैं, जिनका उद्देश्य मात्र जच्चा-बच्चा की सुरक्षा है।

इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने अब यह निर्णय लिया है कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों में कमी लाने के लिए नियमित रूप से जिला से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाया जाएगा।

आशा कर्मियों को मिला सुरक्षित प्रसव का दायित्व

आशा कर्मियों को यह दायित्व दिया जा रहा है कि वे अपने क्षेत्र में नियमित भ्रमण करेंगी और गर्भवती महिलाएं सुरक्षित प्रसव कैसे प्राप्त करें इसकी जानकारी देंगी।

गर्भधारण करने वाली स्त्री को बकायदा आहार तालिका बनाकर देंगी, ताकि वे उसके अनुसार ही भोजन करें और स्वस्थ्य रहें। इसके अलावा अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच को और सख्त बनाया जाएगा।

गर्भधारण के बाद पहली बार जांच को आई महिला को बकायदा कार्ड बनाकर दिया जाएगा। जिसमें अगली जांच की तारीख दर्ज होगी। ताकि अगली तिथि को वह जांच को अस्पताल आए। तिथि को ले संशय न रहे।

डॉक्टर-नर्स भी देंगे जांच और दवाओं की जानकारी

अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स प्राथमिकता के आधार पर गर्भवती महिलाओं की जांच और स्वास्थ्य वर्धक दवाओं की जानकारी देंगे।

विभाग के अनुसार, इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया। कोशिश होगी के गर्भावस्था में हाई प्रेगनेंसी के मामले कम किए जा सकें।

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