एनडीए की रणनीति ने बदला बिहार का नक्शा: AIMIM ने बढ़ाई महागठबंधन की मुश्किलें, 2020 की मजबूत सीटों राजद को झटका
बिहार में एनडीए की रणनीति ने राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया है। एआईएमआईएम के कारण महागठबंधन, खासकर राजद को 2020 की मजबूत सीटों पर नुकसान हुआ है। एनडीए की इस सफलता ने बिहार के राजनीतिक मानचित्र को प्रभावित किया है, जिससे राजद की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025। मैप प्रतीकात्मक
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार चुनाव के नतीजों ने शुक्रवार को सभी अटकलों को गलत साबित कर दिया। उम्मीद से बिल्कुल अलग, मगध क्षेत्र ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को बड़ी जीत दिलाई। इस जीत ने राज्य की राजनीति की तस्वीर बदल दी और महागठबंधन काफी पीछे धकेल दिया। जहां एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर ही सिमट गया।
सुबह आए शुरुआती रुझानों में मुकाबला बराबरी का लग रहा था, लेकिन कुछ ही देर में एनडीए बड़ी बढ़त लेने लगा और महागठबंधन लगातार पीछे होता गया। 2020 में राजद की मजबूत विधानसभा सीटों का हाल, इस बार काफी अलग रही। इनमें से कई सीटें एनडीए के पाले में चली गई।
एनडीए की इस विशाल जीत ने बिहार के राजनीतिक मैप में बदलाव कर दिया है। 243 सीटों वाली विधानसभा सीटों में 202 सीटों पर एनडीए के नाम हो गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत ने दिखाया कि मजबूत रणनीति, सही लाभ योजनाएं और सावधानी से बनाई गई जातीय समझदारी विपक्ष को मात दे सकती हैं। इस जीत के केंद्र में एक बार फिर नीतीश कुमार रहे, जो दो-तिहाई से ज्यादा सीटों के साथ एक बार फिर सरकार बनाने की स्थिति में हैं।
AIMIM ने बढ़ा दी महागठबंधन की मुश्किलें
महागठबंधन की सबसे बड़ी दिक्कत यह रही कि उसका पुराना जातीय आधार कमजोर पड़ गया। राजद अपने यादव–मुस्लिम वोटरों को तो साथ रख पाया, लेकिन ओबीसी मतदाता बड़ी संख्या में एनडीए के साथ चले गए।
सीमांचल जैसे मुसलमान बहुल इलाकों में भी एनडीए ने कई सीटें जीत लीं। इसके अलावा, AIMIM की 5 सीटों पर जीत और कई जगह बढ़ता वोट शेयर महागठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित हुआ, जिसकी वजह से अल्पसंख्यक वोट बंट गए और महागठबंधन के प्रत्याशियों को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

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