बिहार में राजभवन Vs शिक्षा विभाग! BJP नेता ने विजय चौधरी को दे डाली नसीहत; स्कूलों की टाइमिंग पर...
बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर सियासी बवाल मचा है। स्कूलों की टाइमिंग को लेकर एक तरफ विधानसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा कर सदन का वाकआउट कर दिया। वहीं भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि राजभवन एवं शिक्षा विभाग के बीच जारी टकराव शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इसके समाधान के लिए शिक्षा मंत्री को यथाशीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए।

राज्य ब्यूरो ,पटना। राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि राजभवन एवं शिक्षा विभाग के बीच लंबे समय से जारी टकराव बिहार के शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इसका समाधान करने के लिए शिक्षा मंत्री विजय चौधरी को यथाशीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए।
सुशील मोदी ने कहा कि राजभवन की सहमति के बिना कुलपतियों की बैठक बुलाना और उसमें शामिल न होने वालों के वेतन रोकने जैसी कड़ी कार्रवाई करना दुखद है। उन्होंने कहा कि स्कूल में पढाई एवं छुट्टी की अवधि को लेकर भी स्थिति को तनावपूर्ण बनाना उचित नहीं था।
सुशील मोदी ने कहा कि शिक्षक संगठनों एवं विपक्ष की इच्छा के अनुरूप जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक विद्यालय चलाने का समय घोषित कर दिया, तब इसका अक्षरशः पालन होना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि राजभवन की मर्यादा एवं मुख्यमंत्री के आदेश का पालन कराना कार्यपालिका का कर्तव्य है। इसमें टकराव-अवज्ञा के लिए कोई रास्ता खोजना और फिर उसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना किसी भी अधिकारी के लिए शोभनीय नहीं हो सकता।
स्कूलों टाइमिंग के सवाल पर विस में विपक्ष का हंगामा
स्कूलों की टाइमिंग को लेकर विधानसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। प्रश्नकाल के दौरान अध्यक्ष के आसन के समक्ष नारेबाजी की और फिर नारेबाजी करते हुए सदन का वाकआउट कर गए।
इस पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह कहा कि यदि स्कूलों के नयी समय सारिणी पर कार्रवाई नहीं हुई है तो इसकी समीक्षा कर तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया जाएगा। भाकपा (माले) ने इस विषय को प्रश्नकाल के दौरान उठाया।
उन्होंने कहा कि निर्देश यह था कि शिक्षक सुबह 9.15 बजे विद्यालय आएंगे और 4.15 बजे वापस लौटेंगे। पर इस संबंध में कोई निर्णय नहीं हुआ है अब तक।
अध्यक्ष के आसन के समक्ष हंगामा कर रहे विपक्ष के एक नारे पर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने काफी सख्त अंदाज में कहा कि आप असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते। सदन नियम-कानून से चलेगा। किसी की मर्जी से यह नहीं चल सकता।

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