बहनों ने रखा ये व्रत तो नरक यात्रा से बचेंगे भाई! मकर लग्न में होगी पूजा अर्चना; पंचांग की पूरी डिटेल समझें
भाई की सलामती को लेकर बहनें कर्मा-धर्मा का व्रत करेंगी। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र व मकर लग्न में इसके लिए पूजा अर्चना की जाएगी। यह व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। बता दें कि इस व्रत को करने से व्यक्ति नरक यात्रा से बचता है। व्रत बिहार के अलावा झारखंड ओडिशा आदि इलाकों में मनाया जाता है। करमा पर्व को प्रकृति के रूप में मनाया जाता है।
जागरण संवाददाता, पटना। भाई की सलामती को लेकर बहनें भाद्रपद शुक्ल एकादशी शनिवार 14 सितंबर को शोभन योग में कर्मा-धर्मा एकादशी का व्रत करेंगी। व्रती शुक्रवार 13 सितंबर को दशमी तिथि में नहाय-खाय करेंगी। एकादशी के दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए पूरे विधि-विधान के साथ व्रत व पूजन करेंगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत को करने से व्यक्ति नरक यात्रा से बचता है। व्रत बिहार के अलावा झारखंड, ओडिशा आदि इलाकों में मनाया जाता है। करमा पर्व को प्रकृति के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से नई फसल आने की उम्मीद में खुशियां मनाते हैं।
पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि पर्व मकर लग्न में मनाया जाएगा। इस दिन साधु-संत व गृहस्थ लोग एकादशी व्रत करेंगे। हरिशयन एकादशी में जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं तो कर्मा-धर्मा एकादशी के दिन करवट बदलते हैं। फिर कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी के दिन उन्हें योग निद्रा से जागृत किया जाता है।
कर्मा-धर्मा के दिन एकादशी तिथि शाम 4.35 बजे तक है। इस दिन निर्जला या फलाहार कर महिलाएं व्रत करेंगी। 15 सितंबर रविवार को द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद व्रती पारण करेंगी।
कुश से नारायण की प्रतिमा
कर्मा-धर्मा एकादशी के दिन कुश तथा राढ़ी घास से भगवान नारायण की प्रतिमा बनाकर रोली, चंदन, पंचामृत, फूल, दूर्वा, धुप-दीप व फल-नैवेद्य आदि से पूजा होगी। इसके अलावे गौरी-गणेश व भगवान भोलेनाथ की भी विधिवत पूजा होगी। भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेंगे।
पूजन नदी, पोखर या घर के आंगन व छत पर किया जाएगा। एकादशी की रात महिलाएं कीर्तन-भजन, पारंपरिक लोकगीत गाकर रात्रि जागरण तथा उत्सव मनाती हैं। अगले दिन पूजन सामग्री को नदी में विसर्जित कर पारण करेंगी।