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Riga Sugar Mill: रीगा चीनी मिल की देनदारी 150 करोड़ से बढ़कर 300 करोड़, भुगतान पर ऊहापोह

रीगा चीनी मिल की देनदारी में भारी वृद्धि हुई है। यह 150 करोड़ से बढ़कर 300 करोड़ हो गई है। मिल के अधिग्रहण के बाद भी मजदूरों और किसानों के बकाया भुगतान को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस लेख में हम मिल की देनदारी में वृद्धि के कारणों भुगतान में प्राथमिकता और किसानों के भुगतान के लिए सरकार के प्रयासों पर चर्चा करेंगे।

By Neeraj Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 28 Oct 2024 03:51 PM (IST)
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रीगा चीनी मिल में चल रहा काम। फोटो- जागरण
नीरज कुमार, शिवहर। रीगा चीनी मिल का निरानी शुगर्स लिमिटेड बेंगलुरु ने अधिग्रहण किया है। कुल 150 करोड़ की देनदारी के विरुद्ध 86.50 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया गया है। हालांकि, मिल के मजदूर और किसानों के बकाया भुगतान को लेकर ऊहापोह बरकरार है, जबकि मिल की देनदारी चार साल में सूद समेत 150 करोड़ से बढ़कर 300 करोड़ हो गई है।

मार्च, 2020 से पहले ओपी धानुका की स्वामित्व वाली इस मिल की देनदारी से नए मालिक का कोई लेना-देना नहीं है। कोलकाता ट्रिब्यूनल कोर्ट के निर्देश के आलोक में निरानी शुगर्स ने जिस अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है उसमें पुरानी किसी भी देनदारी के भुगतान या पुराने कर्मियों की नौकरी बरकरार रखने को बाध्य नहीं है।

भुगतान में सेवानिवृत्त मजदूरों को दी जाएगी प्राथमिकता

नीलामी के बाद देनदारों द्वारा भुगतान के लिए कोलकाता ट्रिब्यूनल कोर्ट में दावेदारी की गई है। निरानी शुगर्स द्वारा जमा 86 करोड़ रुपये से सबसे पहले कंपनी के सेवानिवृत्त मजदूरों का भुगतान होगा। इसके बाद सबसे बड़े देनदार बैंक आफ इंडिया, यूनियन बैंक आफ इंडिया व कोलकाता की तीन माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को भुगतान किया जाएगा। जितने में मिल नीलाम हुआ है इससे साढ़े तीन गुना अधिक राशि की देनदारी है। हालांकि, यह कोलकाता ट्रिब्यूनल कोर्ट की जिम्मेदारी है।

रही बात किसानों की तो बिहार सरकार ने भी किसानों के भुगतान के लिए कोलकाता ट्रिब्यूनल कोर्ट में दावा किया है। उधर, इसी साल राज्य कैबिनेट की बैठक में 51 करोड़, 30 लाख, 92 हजार रुपये का भुगतान करने की स्वीकृति दी गई थी। साथ ही, यह राशि गन्ना उद्योग विभाग को आवंटित भी कर दी है। हालांकि, भुगतान के लिए शर्त रखी गई है जिसमें किसानों के गन्ना मद की बकाये राशि का भुगतान पेराई सत्र के समापन के बाद किया जाएगा।

2020 में मिल में लटका था ताला

2020 में जब मिल में ताला लटका था, तब ईंख मूल्य का 69 करोड़ व कर्मियों का 12 करोड़ रुपये बकाया था। इसके पहले वर्ष 2017 में चीनी मिल ने केसीसी करा 12 हजार किसानों के नाम पर 80 करोड़ रुपये बैंकों से उठा लिया था। इसमें उद्योग विभाग के महाप्रबंधक ने 20 अगस्त, 2020 को तत्कालीन सीएमडी ओपी धानुका व महाप्रबंधक आरके पांडेय के खिलाफ धोखाधड़ी की प्राथमिकी कराई थी।

दिवालिया घोषित करने के वक्त बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की छोड़ मिल पर कुल देनदारी 161 करोड़ की थी। किसानों का 69 करोड़ सूद समेत बढ़कर 85 करोड़ हो गया है तो 1200 कर्मी व मजदूरों के वेतन-बोनस व ओवरटाइम का 12 करोड़ रुपये ब्याज समेत बढ़कर 17 करोड़ के पार कर गया है।

12 हजार किसानों के नाम केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) लोन की 80 करोड़ की राशि ब्याज समेत 140 करोड़ हो गई है जबकि अन्य बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लिए गए ऋण सहित कुल देनदारी 300 करोड़ के पार कर गई है। ईखोत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह के अनुसार सरकार और कोलकाता ट्रिब्यूनल कोर्ट सभी लोगों के भुगतान की दिशा में काम कर रही है।

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