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शहरों में सुस्त रहेगा घरेलू खर्च, ग्रामीण इलाकों में पानी की तरह बहेगा पैसा; जानिए क्या है पूरा मामला

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत के ओवरऑल घरेलू खर्च (Household Spending) में सुस्ती का अनुमान है। गुड्स और सर्विसेज पर घरेलू खर्च में ग्रोथ काफी कम रहेगी। इसमें पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 4-5 फीसदी का उछाल दिख सकता है। साल 2011 से 2020 के दौरान इसमें 6.5-7 फीसदी का तेज उछाल दिखा था। हालांकि रूरल और लग्जरी खर्च में सुधार होने की उम्मीद है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Published: Sat, 11 May 2024 02:02 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2024 02:02 PM (IST)
चालू वित्त वर्ष में गुड्स और सर्विसेज पर घरेलू खर्च में ग्रोथ काफी कम रह सकती है।

एएनआई, नई दिल्ली। भारत का घरेलू खर्च (Household Spending) वित्त वर्ष 2024-25 में सुस्त बनी रहने का अनुमान है। हालांकि, रूरल और लग्जरी खर्च में सुधार होने की उम्मीद है। यह बात स्विटजरलैंड की फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली UBS की रिपोर्ट 'इंडिया इकोनॉमिक पर्सपेक्टिव्स' में कही गई है।

क्या कहती है UBS की रिपोर्ट?

UBS की रिपोर्ट का अनुमान है कि गुड्स और सर्विसेज पर घरेलू खर्च में ग्रोथ काफी कम रहेगी। इसमें पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 4-5 फीसदी का उछाल दिख सकता है। साल 2011 से 2020 के दौरान इसमें 6.5-7 फीसदी का तेज उछाल दिखा। उसकी तुलना में यह ग्रोथ काफी सुस्त मानी जा रही है।

क्यों नहीं ज्यादा बढ़ेगा घरेलू खर्च?

रिपोर्ट कुछ अहम वजहें भी बताती है, जिसके चलते घरेलू खर्च में मजबूत उछाल आने के आसार नहीं हैं। एक कारण यह है कि अब शहरों में रहने वाले लोग पहले की तरह खर्च नहीं करते, क्योंकि कंपनियां पहले की तरह वेतन नहीं बढ़ा रहीं। साथ ही, लोग अब घर को छोड़कर दूसरी चीजें खरीदने के लिए कर्ज भी ज्यादा नहीं ले रहे। UBS की रिपोर्ट का यह भी कहना है कि अब बैंक कर्ज देने के मामले में ज्यादा सतर्क हो गए हैं।

लेकिन यहां पानी की तरह बहेगा पैसा

ओवरऑल खर्च में भले ही बड़ा इजाफा ना हो, लेकिन समाज के कुछ हिस्से महंगी चीजों की खरीदारी जारी रखेंगे। UBS की रिपोर्ट के मुताबिक, रईस लोग पहले की पैसे उड़ाना जारी रख सकते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में भी घरेलू खर्च में कुछ तेजी आ सकती है।

पिछले दिनों मौसम विभाग ने अनुमान जताया कि इस साल मानसून सामान्य से अच्छा रहेगा। अगर अच्छे मानसून से कृषि उपज बढ़ती है, तो ग्रामीण इलाकों में डिमांड में तेजी आ सकती है। अगर सरकार कृषि उत्पादों के निर्यात की इजाजत देती है, तो भी रूरल डिमांड बढ़ेगी।

साथ ही, अगर रोड और बिल्डिंग बनाने जैसे प्रोजेक्ट बढ़ते हैं, तब भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। लोगों की कमाई बढ़ेगी और वे खर्च भी बढ़ा सकते हैं।

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