बिल्डरों की मनमानी से घर खरीदार परेशानी, बिल्डर-बायर एग्रीमेंट में मांगा एग्जिट क्लॉज
घर खरीदारों ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी में बिल्डरों पर मनमानी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बिल्डरों की आर्थिक दशा खराब हो जाए तो उनके पास एनसीएलटी जैसे प्लेटफार्म पर जाने का अधिकार है लेकिन खरीदार के पास अपना पैसा बचाने का कोई जरिया नहीं है। अगर किसी मुसीबत के चलते घर खरीदारों को फ्लैट कैंसल करना पड़ता है तो उन्हें आर्थिक क्षति न उठानी पड़े।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। रेरा की केंद्रीय सलाहकार परिषद के एक सदस्य अभय उपाध्याय ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय से घर खरीदारों को बिल्डरों की मनमानी से बचाने के लिए बिल्डर-बायर एग्रीमेंट में अनिवार्य रूप से एग्जिट क्लॉज का प्रविधान करने की मांग की है। उपाध्याय घर खरीदारों के सबसे बड़े संगठन फोरम फार पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट (एफपीसीए) के अध्यक्ष भी हैं।
उन्होंने मंत्रालय से कहा है कि रेरा अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाए कि वे बिल्डर-बायर एग्रीमेंट में इस उपबंध को शामिल कराएं। रियल इस्टेट नियामक कानून यानी रेरा में सुधार-संशोधन की चर्चाओं के बीच उपाध्याय ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को पत्र लिखकर उन लोगों की समस्याओं का मामला उठाया है, जो वित्तीय स्थिति खराब हो जाने के कारण खर खरीदने का अपना सपना बीच में ही छोड़ देने के लिए विवश हो जाते हैं।
उपाध्याय के अनुसार यह आश्चचर्यजनक है कि बिल्डर-बायर एग्रीमेंट में उपभोक्ताओं के लिए अनुबंध से बाहर निकलने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। इसके चलते वे बिल्डरों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने एक ऐसे मामले का उदाहरण भी दिया जिसमें बायर को फ्लैट कैंसल करने पर जमा राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा गंवाना पड़ा।
केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी में उपाध्याय ने कहा है कि बिल्डरों की आर्थिक दशा खराब हो जाए तो उनके पास एनसीएलटी जैसे प्लेटफार्म पर जाने का अधिकार है, लेकिन खरीदार के पास अपना पैसा बचाने का कोई जरिया नहीं है। उसे यह सुविधा मिलनी चाहिए कि अगर वह नौकरी गंवाने या किसी अन्य मुसीबत के चलते उसे फ्लैट कैंसल करना पड़ता है तो उसे आर्थिक क्षति न उठानी पड़े।
रेरा में यह कहा गया है कि अगर डेवलपर अगर अपनी गलती के कारण फ्लैट का कब्जा न दे सके तो उसे उपभोक्ता को हर्जाने के साथ पैसा वापस करना चाहिए, लेकिन ऐसी भी स्थिति हो सकती है कि उपभोक्ता को अपना फ्लैट कैंसल करना पड़े। यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है कि अगर कोई व्यक्ति फ्लैट बुक करता है तो उसे हर हाल में किस्तें देनी पड़ें।
एफपीसीए ने सुझाव दिया है कि अगर तीन महीने में फ्लैट आवंटी की ओर से कैंसल कर दिया जाता है तो उसे 15 दिनों के भीतर पूरा पैसा वापस किया जाए। अगर यह काम तीन महीने के बाद किया जाता है तो डेवलपर जमा पैसे पर बैंक ब्याज दर के अनुसार कटौती करके एक माह के अंदर भुगतान कर दे।यह भी पढ़ें : Noel Tata: कौन हैं नोएल टाटा, जो अब संभालेंगे Tata Trust की कमान