ITR Refund 2025: रिफंड लेट होने पर इनकम टैक्स विभाग देगा ब्याज? क्या है इसे लेकर नियम
आईटीआर फाइलिंग (ITR Filing 2025) के बाद सभी टैक्सपेयर्स बेसब्री से रिफंड(ITR Refund 2025) का इंतजार करते हैं। अभी तक कई टैक्सपेयर्स ऐसे रहें, जिन्हें रिफंड नहीं मिला है। इस बीच ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि रिफंड लेट होने पर इनकम टैक्स विभाग की ओर से रिफंड के साथ ब्याज दिया जाएगा, लेकिन क्या ऐसा सच में है?
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नई दिल्ली। आईटीआर फाइलिंग (ITR Filing 2025) के बाद सभी टैक्सपेयर्स बेसब्री से रिफंड (ITR Refund 2025) का इंतजार करते हैं। आमतौर पर आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है। लेकिन इस बार इनकम टैक्स ने सभी टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करने के लिए 16 सितंबर का समय दिया था।
ये पहले 15 सितंबर था, जिसे टैक्सपेयर्स की डिमांड में एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया। इस बीच ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि रिफंड लेट होने पर इनकम टैक्स विभाग की ओर से रिफंड के साथ ब्याज दिया जाएगा। आइए जानते हैं कि इसे लेकर क्या नियम है और किन्हें इसका फायदा मिलता है?
क्या है इसे लेकर नियम?
आयकर अधिनियम की धारा 244A के अनुसार अगर रिफंड में देरी होती है, तो ऐसे में 6 फीसदी ब्याज रिफंड के साथ दिया जाता है। ये उस तारीख से कैलकुलेट होता है, जब से रिफंड देय हो। लेकिन इस ब्याज को पाने के लिए एक शर्त है कि आपकी ये देरी गलत फाइलिंग या जानकारी में गलती की वजह से न हो।
इसके साथ ही धारा 437(1) ये कहता है कि देय रिफंड पर प्रतिमाह के हिसाब से 0.5% ब्याज देना पड़ेगा। इसमें ब्याज रिफंड राशि के हिसाब से कैलकुलेट किया जाता है।
किन्हें मिलेगा फायदा?
ऊपर दिए गए नियम के अनुसार रिफंड में देरी के साथ ब्याज का फायदा उन्हें ही मिलेगा, जो आईटीआर फाइलिंग में किसी भी तरह की गलती न करें।
हमने इसके बारे में और बेहतर तरीके से समझने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट सिद्धार्थ केजरीवाल से भी बातचीत की है। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या जानकारी दी है-
1. यदि रिफंड अतिरिक्त टीडीएस/टीसीएस/अग्रिम कर से उत्पन्न होता है
- 0.5% प्रति माह (6% प्रति वर्ष) की दर से ब्याज
- आकलन वर्ष की 1 अप्रैल से रिफंड जारी होने की तिथि तक भुगतान किया जाता है।
2. यदि रिफंड अतिरिक्त स्व-आकलन कर (SAT) से उत्पन्न होता है
- 0.5% प्रति माह की दर से ब्याज
- SAT के भुगतान की तिथि से रिफंड की तिथि तक भुगतान किया जाता है।
3. यदि रिफंड कुल कर देयता का 10% से अधिक है
- ब्याज अनिवार्य है।
- यदि रिफंड 10% से कम है, तो ब्याज का भुगतान नहीं किया जा सकता है।
4. ब्याज कब कम किया जाता है?
ब्याज कम किया जा सकता है या अस्वीकार किया जा सकता है यदि:
• आपने अपना रिटर्न देर से दाखिल किया → विलंब की अवधि कम कर दी गई है
• रिटर्न में आपकी अपनी गलती के कारण रिफंड हुआ है
• मूल्यांकन आदेश रिफंड राशि को संशोधित करता है
क्यों हो रही है रिफंड में देरी?
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने रिफंड न मिलने के कई कारण बताएं। उन्होंने कहा कि लो-वैल्यू रिफंड जारी किए जा रहे हैं। कई हाई-वैल्यू रिफंड या सिस्टम द्वारा रेड-फ्लैग किए गए मामले जांच में हैं। कुछ लोग गलत डिडक्शन क्लेम कर रहे थे, इसलिए एनालिसिस जरूरी है। इस बार देरी की सबसे बड़ी वजह कुछ मामलों में गलत डिडक्शन या गलत रिफंड क्लेम का पाया जाना है। विभाग ऐसे मामलों की गहराई से जांच कर रहा है।

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