RBI Record Dividend पर अर्थशास्त्रियों ने दी मिली-जुली प्रतिक्रिया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने का एलान किया है। इस फैसले पर अर्थशास्त्री अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई लोगों ने बैंक के इस आदेश को देश की आर्थिक मजबूती का प्रमाण बताया तो कुछ ने इसके संभावित परिणामों को लेकर आशंकाएं जताईं। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुमन मुखर्जी ने आरबीआई के इस फैसले का स्वागत किया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने का एलान किया है। इस एलान के बाद जहां एक तरफ शेयर बाजार में तेजी आई तो वहीं दूसरे तरफ बैंक के इस फैसले पर अर्थशास्त्री अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कई लोगों ने बैंक के इस आदेश को देश की आर्थिक मजबूती का प्रमाण बताया, तो कुछ ने इसके संभावित परिणामों को लेकर आशंकाएं जताईं।प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुमन मुखर्जी ने आरबीआई के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि लाभांश भविष्य में उधारदाताओं को बचाने के लिए आरबीआई की क्षमता को सीमित कर सकता है क्योंकि केंद्रीय बैंक के पास तुरंत कदम उठाने के लिए पर्याप्त धन नहीं हो सकता है।
मुखर्जी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि यह कोई संयोग नहीं है। इस अप्रत्याशित लाभ के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि, वाणिज्यिक बैंकों को ऋण और आकस्मिकताओं के प्रबंधन में सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण सहित कई कारक जिम्मेदार हैं।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आरबीआई के इस फैसले का असर स्टॉक मार्केट पर देखने को मिला है। स्टॉक मार्केट गुरुवार को ऑल-टाइम हाई रिकॉर्ड पर बंद हुआ था।
मुखर्जी ने बढ़ती ब्याज दरों के बारे में चिंताओं को कम करते हुए सुझाव दिया कि कम दरों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने से संभावित मंदी के प्रभावों का मुकाबला किया जा सकेगा। मुखर्जी ने मुद्रास्फीति प्रभाव के प्रति आगाह किया, वास्तविक ब्याज दरों में गिरावट की भविष्यवाणी की, जो सेवानिवृत्त लोगों और ब्याज आय पर निर्भर व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। सरकार की प्राथमिक चिंता आरबीआई की वित्तीय ताकत और स्वतंत्रता के संभावित कमजोर होने पर केंद्रित है।