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    Tata Motors Demerger: शेयरहोल्डर्स को मिलेगा फायदा या फिर होगा नुकसान? CV की वैल्यू दिखने से पहले समझें एक-एक बात

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 03:01 PM (IST)

    Tata Motors Demerger: टाटा मोटर्स ने अपने व्यवसाय को दो भागों में विभाजित कर दिया है: कमर्शियल व्हीकल्स (सीवी) और पैसेंजर व्हीकल्स (पीवी)। शेयरधारकों को दोनों कंपनियों में समान हिस्सेदारी मिलेगी। यह विभाजन बेहतर प्रदर्शन, रणनीति और त्वरित निर्णय लेने के लिए किया गया है। टाटा मोटर्स का मानना है कि इससे शेयरधारकों को फायदा होगा और कंपनी का विकास होगा। यह डिमर्जर 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा।

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    शेयरहोल्डर्स को मिलेगा फायदा या फिर होगा नुकसान? CV की वैल्यू दिखने से पहले समझें एक-एक बात।

    नई दिल्ली| Tata Motors Demerger: देश की दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स ने आखिरकार अपना बड़ा फैसला लागू कर दिया है। कंपनी अब दो अलग-अलग लिस्टेड कंपनियों में बंट चुकी है। पहली- कमर्शियल व्हीकल्स (CV) यूनिट, जिसमें ट्रक, बस और इससे जुड़े निवेश शामिल होंगे। और दूसरी है- पैसेंजर व्हीकल्स (PV) यूनिट, जिसमें कारें, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) और जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover- JLR) से जुड़ा बिजनेस शामिल होगा।

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    इसे लेकर 4 मार्च 2024 को टाटा मोटर्स के बोर्ड ने घोषणा करते हुए कहा था कि,

    "कंपनी को दो अलग-अलग सूचीबद्ध संस्थाओं में डिमर्ज किया जाएगा। सभी शेयरधारकों की हिस्सेदारी दोनों कंपनियों में बराबर रहेगी।"

    यह डीमर्जर NCLT स्कीम ऑफ अरेंजमेंट के तहत पूरा किया गया है। और सभी शेयरहोल्डर्स के पास दोनों कंपनियों में समान हिस्सेदारी रहेगी। यानी, जिसके पास आज टाटा मोटर्स का एक शेयर है, उसे नई कमर्शियल व्हीकल कंपनी में भी 1:1 अनुपात में एक शेयर मिलेगा। किसी को पैसा नहीं देना होगा और न ही पुराने शेयर सरेंडर करने होंगे।

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    अब सवाल यह है कि आखिर कंपनी ने यह कदम उठाया क्यों? और टाटा मोटर्स डीमर्जर से शेयरहोल्डर्स को फायदा होगा या फिर नुकसान और उन पर इसका क्या असर पड़ेगा? तो चलिए समझते हैं।

    टाटा मोटर्स ने क्यों उठाया यह कदम?

    टाटा मोटर्स और एक्सपर्ट्स इसके पीछे तीन मुख्य वजह बता रहे हैं:
    पहली वजह- बिजनेस स्ट्रक्चर की जरूरतः टाटा मोटर्स के मुताबिक, कमर्शियल और पैसेंजर व्हीकल का मार्केट साइकिल, मार्जिन और ग्रोथ पैटर्न पूरी तरह अलग है। दोनों को अलग करने से हर बिजनेस की परफॉर्मेंस और वैल्यू साफ दिख सकेगी।

    दूसरी वजह- रणनीति और फोकस का सवालः एनालिस्ट मानते हैं कि EV, JLR और ग्लोबल प्लान्स के लिए अलग कैपिटल और स्ट्रेटजी चाहिए। डिमर्जर के बाद हर यूनिट अपना बजट, टेक्नोलॉजी और ग्रोथ प्लान स्वतंत्र तौर पर तय कर सकेगी।

    और तीसरी वजह- फैसले लेने की आजादीः कारोबार अलग होने से नई कंपनियों के मैनेजमेंट को तेज और लचीले फैसले लेने की शक्ति मिलेगी। चाहे निवेश हो, पार्टनरशिप या कोई सौदा-हर यूनिट अपने हिसाब से कदम उठा सकेगी।

    यानी आसान शब्दों में कहें तो इस कदम से हर बिजनेस अपनी रणनीति, पूंजी और वैल्यू को स्वतंत्र रूप से मैनेज कर सकेगा। 2022 में PV और EV बिजनेस को सब्सिडियरी में बदलने के बाद यह अगला तार्किक कदम है। कंपनी का मानना है कि CV और PV बिजनेस के बीच सीमित तालमेल है, लेकिन PV, EV और JLR के बीच तकनीक, सॉफ्टवेयर और ऑटोनॉमस व्हीकल्स के क्षेत्र में बड़ा तालमेल है, जिसे यह डिमर्जर और मजबूत करेगा।

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    शेयरहोल्डर्स के लिए क्या बदलेगा?

    डीमर्जर का कानूनी प्रभाव 1 अक्टूबर 2025 से लागू हो गया है और 14 अक्टूबर 2025 को रिकॉर्ड डेट तय की गई। जो निवेशक इस तारीख तक टाटा मोटर्स के शेयर होल्ड करते थे, उन्हें नई CV कंपनी के शेयर अपने आप मिल जाएंगे। टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा था-

    "डिमर्जर से हमारी तीनों ऑटो यूनिट्स (CV, PV, JLR) अपने-अपने क्षेत्र में तेजी से ग्रोथ कर पाएंगी, जिससे ग्राहकों, कर्मचारियों और शेयरहोल्डर्स, तीनों को फायदा होगा।"

    डीमर्जर के बाद टाटा मोटर्स के शेयरहोल्डर्स को दो अलग-अलग बिजनेस मॉडल्स में ट्रेडेबल हिस्सेदारी मिलेगी, एक कमर्शियल और दूसरा पैसेंजर व्हीकल्स। कंपनी का मानना है कि इससे फोकस बढ़ेगा और शेयर वैल्यू 'अनलॉक' होगी।