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Anshuman Gaekwad: उंगली से बहता रहा खून, फिर भी योद्धा की तरह लड़े; अंशुमन के इस जज्बे को हमेशा याद रखेगी दुनिया

Anshuman Gaekwad Kingston Match 1976 भारतीय क्रिकेट टीम के योद्धा रहे अंशुमन गायकवाड़ आज हमारे बीच नहीं रहे। ब्लड कैंसर से गायकवाड़ का निधन हो गया। आज अंशुमन दुनिया भले ही छोड़कर चले गए हो लेकिन उनके साहस और जोश की कहानियां हमेशा-हमेशा के लिए अमर रहेंगी। अंशुमन भारतीय टीम का वो नाम है जिसने कभी हार नहीं मानी और मुश्किलों का डटकर सामना किया।

By Priyanka Joshi Edited By: Priyanka Joshi Updated: Thu, 01 Aug 2024 09:32 AM (IST)
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Anshuman Gaekwad: उंगली से बहता रहा खून, फिर भी योद्धा की तरह लड़े
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Anshuman Gaekwad Bravery। कहते है कि अगर दिल से किसी भी चीज को पाने की चाहत हो, तो आपको एक न एक दिन वह जरूर मिलती है। जिंदगी में कामयाब बनने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। फिर ये संघर्ष किसी भी तरह का क्यों न हो, लेकिन वक्त बदलने में ज्यादा समय नहीं लगता और कामयाबी खुद एक दिन आपके कदम चूमती है।

क्रिकेट के मैदान पर भी ऐसे कई किस्से हमें देखने को मिलते रहते है, जहां मेहनत और जोश के दम पर क्रिकेटर्स एक दम से चमक जाते हैं। भारतीय टीम में भी कई ऐसे दिग्गज रहे, जिन्होंने खुद से पहले टीम को रखा, जिनमें से एक रहे अंशुमन गायकवाड़ (ANSHUMAN GAEKWAD), जिनके साहस और जज्बे की कहानियां आज सभी को प्रेरित करती हैं।

अंशुमन खुद तो दुनिया छोड़कर चले गए, लेकिन उनके किस्से और कामयाबी हमेशा-हमेशा के लिए अमर रहेगी। अंशुमन की बहादुरी का एक किस्सा रहा, एक टेस्ट सीरीज , जिसमें उन्होंने अपने आंखों के सामने अपने साथी खिलाड़ी को घायल होते हुए देखा, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अकेले एक योद्धा की तरफ लड़ते रहे। उनके संघर्ष की मिसाल को भुलाया नहीं जा सकता है।

Anshuman Gaekwad Story: जब अंशुमन-गावस्कर की जोड़ी ने विंडीज का किया था बुरा हाल

बात है साल 1976 की, जब अंशुमन गायकवाड़ और सुनील गावस्कर (Anshuman Gaekwad Kingston Match 1976) की शानदार साझेदारी की मदद से वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बल्ले से तबाही मचाई। उस समय वेस्टइंडीज की टीम विश्व क्रिकेट की सबसे शक्तिशाली टीमों में से एक मानी जाती थी। खासकर, क्लाइव लॉयड की अगुआई में उनकी पेस बैटरी ने विपक्षी टीमों को परेशान किया था।

1976 के किंग्सटन टेस्ट में, वेस्टइंडीज ने भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ शॉर्ट गेंदों की झड़ी लगाई, लेकिन इन गेंदों का डटकर सामना करते हुए गायकवाड़ और गावस्कर ने पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े। यह साझेदारी भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण पल था और गायकवाड़-गावस्कर की इस पारी को हमेशा याद किया जाता है।

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शरीर पर लगी काफी चोट, उंगली से खून बहा; कान का पर्दा तक फटा

1976 के किंग्सटन टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज के गेंदबाज जब भारतीय बल्लेबाजों पर लगातार शॉट गेंद फेंक रहे थे, तो उन्होंने बल्लेबाजों के शरीर पर भी निशाना लगाने का तरीका अपनाया, जिससे वह डर की स्थिति पैदा कर सके।

विंडीज गेंदबाजों ने एक ऐसी खतरनाक बाउंसर डाली, जो गुंडप्पा विश्वनाथ पर जा लगी और उन्हें चोट लगने के बाद अस्पताल जाना पड़ा।

साथी खिलाड़ी को चोटिल होता देखने के बावजूद अंशुमन गायकवाड़ ने इस मुश्किल समय में भी अपना हौसला बनाए रखा और खेल जारी रखा।

इस बीच एक बाउंसर उनके कान पर जा लगी, जिससे उनके कान का पर्दा फट गया और यहां तक की बाद में उन्हें ऑपरेशन करना पड़ा। इसके बावजूद, गायकवाड़ ने उस मैच में 81 रन बनाकर भारतीय पारी को संभाला।

हालांकि, इस टेस्ट के दूसरे दिन भारतीय टीम को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और कई प्रमुख खिलाड़ी घायल हो गए। कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी घोषित कर दी और भारत को मैच हारना पड़ा। लेकिन गायकवाड़ की 81 रन की पारी आज भी उनके साहस को दर्शाती है।