Anshuman Gaekwad: उंगली से बहता रहा खून, फिर भी योद्धा की तरह लड़े; अंशुमन के इस जज्बे को हमेशा याद रखेगी दुनिया
Anshuman Gaekwad Kingston Match 1976 भारतीय क्रिकेट टीम के योद्धा रहे अंशुमन गायकवाड़ आज हमारे बीच नहीं रहे। ब्लड कैंसर से गायकवाड़ का निधन हो गया। आज अंशुमन दुनिया भले ही छोड़कर चले गए हो लेकिन उनके साहस और जोश की कहानियां हमेशा-हमेशा के लिए अमर रहेंगी। अंशुमन भारतीय टीम का वो नाम है जिसने कभी हार नहीं मानी और मुश्किलों का डटकर सामना किया।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Anshuman Gaekwad Bravery। कहते है कि अगर दिल से किसी भी चीज को पाने की चाहत हो, तो आपको एक न एक दिन वह जरूर मिलती है। जिंदगी में कामयाब बनने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। फिर ये संघर्ष किसी भी तरह का क्यों न हो, लेकिन वक्त बदलने में ज्यादा समय नहीं लगता और कामयाबी खुद एक दिन आपके कदम चूमती है।
क्रिकेट के मैदान पर भी ऐसे कई किस्से हमें देखने को मिलते रहते है, जहां मेहनत और जोश के दम पर क्रिकेटर्स एक दम से चमक जाते हैं। भारतीय टीम में भी कई ऐसे दिग्गज रहे, जिन्होंने खुद से पहले टीम को रखा, जिनमें से एक रहे अंशुमन गायकवाड़ (ANSHUMAN GAEKWAD), जिनके साहस और जज्बे की कहानियां आज सभी को प्रेरित करती हैं।
अंशुमन खुद तो दुनिया छोड़कर चले गए, लेकिन उनके किस्से और कामयाबी हमेशा-हमेशा के लिए अमर रहेगी। अंशुमन की बहादुरी का एक किस्सा रहा, एक टेस्ट सीरीज , जिसमें उन्होंने अपने आंखों के सामने अपने साथी खिलाड़ी को घायल होते हुए देखा, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अकेले एक योद्धा की तरफ लड़ते रहे। उनके संघर्ष की मिसाल को भुलाया नहीं जा सकता है।
Anshuman Gaekwad Story: जब अंशुमन-गावस्कर की जोड़ी ने विंडीज का किया था बुरा हाल
बात है साल 1976 की, जब अंशुमन गायकवाड़ और सुनील गावस्कर (Anshuman Gaekwad Kingston Match 1976) की शानदार साझेदारी की मदद से वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बल्ले से तबाही मचाई। उस समय वेस्टइंडीज की टीम विश्व क्रिकेट की सबसे शक्तिशाली टीमों में से एक मानी जाती थी। खासकर, क्लाइव लॉयड की अगुआई में उनकी पेस बैटरी ने विपक्षी टीमों को परेशान किया था।
1976 के किंग्सटन टेस्ट में, वेस्टइंडीज ने भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ शॉर्ट गेंदों की झड़ी लगाई, लेकिन इन गेंदों का डटकर सामना करते हुए गायकवाड़ और गावस्कर ने पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े। यह साझेदारी भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण पल था और गायकवाड़-गावस्कर की इस पारी को हमेशा याद किया जाता है।
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