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Mahakaleshwar Temple: उज्‍जैन पहुंचा LSG का स्‍टार क्रिकेटर, भस्म आरती देखकर हुआ चकित

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के प्‍लेयर यश ठाकुर रविवार को उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। वह सुबह-सुबह होने वाली भस्‍म आरती में शामिल हुए। इसके बाद उन्‍होंने अपना अनुभव शेयर किया। यश ने कहा कि उन्‍होंने पहले कभी भी ऐसा अनुभव नहीं किया था। IPL में यश ठाकुर के प्रदर्शन की बात करें तो उन्‍होंने अब तक 19 मैच में 24 विकेट चटकाए हैं।

By Rajat Gupta Edited By: Rajat Gupta Updated: Sun, 06 Oct 2024 05:59 PM (IST)
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यश ठाकुर ने महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए। इमेज- सोशल मीडिया

 स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेटर यश ठाकुर रविवार सुबह उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। इस दौरान उन्‍हें भस्म आरती में भाग लिया। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के प्‍लेयर यश ठाकुर ने भस्म आरती का अपना अनुभव शेयर किया।

इस दौरान उन्‍होंने कहा एएनआई से बातचीत में कहा, "मैंने पहले कभी ऐसा अनुभव नहीं किया है। मुझे यहां एक ऊर्जा महसूस हुई। मैं जल्द से जल्द इंडिया कैप हासिल करना चाहता हूं और देश के लिए मैच जीतना चाहता हूं।"

भक्ति में डूबे नजर आए

यश ठाकुर ने रविवार सुबह विशेष भस्म आरती की। इस दौरान वह भक्ति में डूबे नजर आए। बाबा महाकाल के दर्शन के लिए वह कतार में लगे रहे। भस्म आरती महाकालेश्वर मंदिर का एक प्रसिद्ध अनुष्ठान है। यह 'ब्रह्म मुहूर्त' के दौरान सुबह लगभग 3:30 से 5:30 बजे के बीच किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भस्म आरती में शामिल होने वाले भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

IPL में यश ठाकुर का प्रदर्शन

IPL में यश ठाकुर के प्रदर्शन की बात करें तो उन्‍होंने अब तक 19 मैच खेले हैं। इस दौरान उन्‍होंने करीब 29 की औसत और 10.26 की इकॉनमी से 24 विकेट चटकाए हैं। 5/30 लीग में उनका सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन है। पिछले सीजन में यश ठाकुर के प्रदर्शन की बात करें तो उन्‍होंने 10 मुकाबले खेले थे। इस दौरान उन्‍होंने 11 शिकार किए थे।

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ब्रह्म मुहूर्त में खुलते हैं पट

मंदिर के पुजारी के मुताबिक, 'परंपरा का पालन करते हुए ब्रह्म मुहूर्त में बाबा महाकाल के पट खोले गए। इसके बाद दूध, दही, घी, चीनी और शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल का पवित्र स्नान कराया गया। इसके बाद बाबा महाकाल का भांग और चंदन से शृंगार किया गया। उसके बाद ढोल-नगाड़ों और शंख ध्वनि के बीच विशेष भस्म आरती और धूप-दीप आरती की गई।'

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