दिल्ली में प्रदूषण से घुट रहा दम, फिर भी नहीं लगे वाटर मिस्टिंग सिस्टम; आखिर क्यों है इतनी सुस्ती?
Delhi AQI News दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे लोगों का दम घुट रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है। वाटर मिस्टिंग सिस्टम लगाने में देरी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें फंड की कमी, तकनीकी दिक्कतें और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी शामिल हैं। प्रदूषण के कारण दिल्ली की जनता परेशान है।
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अफ्रीका एवेन्यू मार्ग पर प्रदूषण को कम करने लिए खंबो पर लगे मिस्ट स्प्रे के बीच गुजरते वाहन। जागरण
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी प्रदूषण की मार झेल रही है, लोगों का दम घुट रहा है। इसके बावजूद धूल प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए हो रहे उपायों में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) हर योजना को लेकर सुस्ती में दिख रहा है। एक ओर जहां एंटी स्माग गन व पानी का छिड़काव करने वाले सभी टैंकर अभी तक जमीन पर नहीं उतर सके हैं।
वहीं दूसरी ओर ऑटोमैटिक वाटर मिस्टिंग योजना को लेकर भी अधिकारी हीलाहवाली कर रहे हैं। ऑटोमैटिक वाटर मिस्टिंग सिस्टम स्ट्रीट लाइटों के खंभों पर लगाया जाएगा, जो पानी का छिड़काव करके धूल प्रदूषण को रोकेगा। प्रदूषण का दौर शुरू हो चुका है, पीडब्ल्यूडी आरकेपुरम में स्ट्रीट लाइटों पर यह व्यवस्था शुरू करने के लिए अभी टेंडर ही जारी कर रहा है।

इस योजना की प्रक्रिया का काम पूरा होने में ही अभी एक माह से अधिक समय लग सकता है। नवंबर बीत जाने के बाद ही वाटर मिस्टिंग योजना का लाभ मिलना शुरू होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतनी सुस्ती क्यों है।
इस पूरी योजना पर 2.5 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। हालांकि पीडब्ल्यूडी ने इस योजना के तहत रानी झांसी रोड पर कुछ भाग में ऑटोमैटिक वाटर मिस्टिंग सिस्टम लगाया है। यहां, बता दें कि इस योजना के तहत नई दिल्ली नगर परिषद और दिल्ली विकास प्राधिकरण अपने-अपने क्षेत्र में सिस्टम लगा चुके हैं।
पानी की फुहार, सड़कों से उड़ती धूल पर करती है प्रहार
- इस सिस्टम के माध्यम से व्यस्त इलाकों में पानी की बारीक फुहारें डालकर धूल के स्तर को कम किया जाता है।
- यह सिस्टम 2,000 लीटर प्रति दिन की क्षमता वाले आरओ वाटर पंपिंग यूनिट से चलेगा।
- मिस्टिंग सिस्टम दो शिफ्ट में काम करेगा। सुबह छह बजे से दोपहर 2 बजे तक और दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक।
- सिस्टम धूल के कणों को दबाने और कार्बन उत्सर्जन का प्रभाव कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ऑटोमैटिक वाटर मिस्टिंग सिस्टम ऐसे करता है काम
इसमें स्ट्रीट लाइट के खंभे पर हाई-प्रेशर पंप युक्त एक बाक्स लगा होता है, जो बिजली से चलता है। इसमें पानी को पतली पाइपों के नेटवर्क के माध्यम से विशेष रूप से डिजाइन किए गए नोजल तक पहुंचाता है। ये नोजल पानी को अत्यंत सूक्ष्म बूंदों में आगे बढ़ाते हैं और छिड़काव होता है। इसमें लगे टाइमर या सेंसर यह नियंत्रित करते हैं कि सिस्टम कब चालू और कब बंद होगा, जिससे यह पूरी प्रक्रिया स्वचालित हो जाती है।

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