Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली के 40 हजार से अधिक व्यापारियों को मिला बड़ा तोहफा, MCD ने जनरल ट्रेड लाइसेंस को संपत्ति कर से जोड़ा

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 08:26 PM (IST)

    एमसीडी ने दिल्ली के व्यापारियों को राहत देते हुए जनरल ट्रेड लाइसेंस को संपत्ति कर भुगतान प्रणाली में शामिल करने की मंजूरी दी है। अब संपत्ति कर का 15% ...और पढ़ें

    Hero Image

    जनरल ट्रेड लाइसेंस को संपत्ति कर भुगतान व्यवस्था में शामिल करने से 40 हजार 952 दुकानदारों को बड़ी राहत मिलेगी

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। फैक्ट्री लाइसेंस को संपत्तिकर से जोड़ने के बाद ईज आफ डूइंग बिजनेस की प्रक्रिया में अब एमसीडी ने दिल्ली के हजारों व्यापारियों को बड़ी राहत दी है। उसने जनरल ट्रेड लाइसेंस को संपत्ति कर भुगतान व्यवस्था में शामिल करने को मंजूरी दे दी है, इससे मौजूदा व्यवस्था में 40 हजार 952 दुकानदारों को बड़ी राहत मिलेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एमसीडी ने कुल संपत्तिकर का 15 प्रतिशत जनरल ट्रेड लाइसेंस शुल्क के रूप में निर्धारित किया है। इसी वर्ष जुलाई में एमसीडी ने फैक्ट्री लाइसेंस को संपत्तिकर से जोड़कर करीब 30 हजार उद्यमियों को भ्रष्टाचार व इंस्पेक्टर राज से मुक्ति दी है। अब निगम सदन की बैठक में जनरल ट्रेड लाइसेंस में राहत देकर व्यापारियों को भी मुस्कुराने का मौका दिया है।

    एमसीडी ने मंगलवार को इसे बड़े सुधार को मंजूरी दी। निगम ने सदन में पारित इस बड़े निर्णय के तहत डीएमसी एक्ट की धारा 417 के अंतर्गत जारी किए जाने वाले जनरल ट्रेड लाइसेंस (जीटीएल) को अब संपत्ति कर भुगतान प्रणाली में शामिल कर दिया जाएगा। इससे लाइसेंस के लिए अलग से आवेदन करने या कोई अलग दस्तावेज प्राप्त करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

    इस निर्णय के बाद व्यापारी और व्यवसायिक प्रतिष्ठान मालिक अब अपने वार्षिक संपत्ति कर के साथ ही ट्रेड लाइसेंस शुल्क का भुगतान कर सकेंगे। भुगतान की रसीद पर ही एक अनुमोदन अंकित होगा, जो इसे वैध जनरल ट्रेड लाइसेंस माने जाने के लिए पर्याप्त होगा। यह अनुमोदन अन्य एजेंसियों के आवश्यक प्रदूषण, अग्नि सुरक्षा और अन्य वैधानिक नियमों के अनुपालन पर आधारित रहेगा।

    निर्णय का स्वागत करते हुए महापौर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि यह सुधार पारदर्शिता और नागरिक केंद्रित शासन की दिशा में एक बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय दिल्ली के व्यापारिक समुदाय के लिए अत्यंत राहतकारी सिद्ध होगा। अनावश्यक प्रक्रियाओं को समाप्त कर और संभावित उत्पीड़न के अवसरों को कम करके निगम ने लाइसेंसिंग प्रक्रिया को संपत्ति कर से जोड़ते हुए इसे अधिक सरल, पारदर्शी और व्यवसाय-अनुकूल बना दिया है।

    उन्होंने कहा कि नगर निगम ईमानदार करदाताओं के साथ खड़ी है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि शासन और भी सुगम, न्यायपूर्ण और कुशल बने। यह कदम सुरक्षा मानकों या राजस्व दायित्वों से समझौता किए बिना अनुपालन बोझ को कम करेगा।

    नई व्यवस्था के तहत संबंधित परिसरों पर लागू संपत्ति कर का 15 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क निर्धारित किया गया है। इससे पहले शुल्क व्यापार के प्रकार, क्षेत्रफल और स्थानीयता की श्रेणी जैसे जटिल मानकों पर आधारित था। आंकड़ों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि यह नया माडल राजस्व के मामले में संतुलित है और सभी श्रेणी के व्यापारियों के लिए अधिक न्यायसंगत और पूर्वानुमेय व्यवस्था प्रदान करेगा।

    निगम के एक अधिकारी के अनुसार, यह सुधार लाइसेंस शुल्क मूल्यांकन को कई मापदंडों से अलग कर देगा, जिससे फील्ड निरीक्षणों की आवश्यकता में उल्लेखनीय कमी आएगी। इससे अनावश्यक हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार की संभावनाएं घटेंगी।