महज 100 रुपये में होगी सर्विकल कैंसर की जांच, देश में हर घंटे करीब 9 महिलाओं की होती है इस बीमारी से मौत
एम्स के विशेषज्ञों का दावा है कि इस किट की मदद से बिना किसी बड़े लैब के महज 100 रुपये में सर्विकल कैंसर की जांच संभव होगी। देश में हर वर्ष करीब सवा लाख महिलाएं सर्विकल कैंसर से पीड़ित होती हैं और 80 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है। सर्विकल कैंसर से हर घंटे करीब नौ महिलाएं जान गंवा देती हैं।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। देश में सर्विकल कैंसर से हर घंटे करीब नौ महिलाएं जान गंवा देती हैं। इसका कारण समय पर बीमारी की पहचान और इलाज नहीं मिल पाना है।
इसके मद्देनजर एम्स के डॉक्टरों ने मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल क्वांटम डाट्स कपल्ड इम्यूनो-नैनो फ्लोरेसेंस ऐसे (एमएनक्यूडीसीआइएनएफए) तकनीक का इस्तेमाल करके सर्विकल कैंसर की जांच की एक नई तकनीक व किट विकसित की है, जो पैप स्मीयर से बेहतर और इम्यूनोफ्लोरेसेंस व हिस्टोपैथोलाजी (बायोप्सी) के बराबर सौ प्रतिशत प्रभावी होगी।
बिना किसी बड़े लैब के होगी जांच
एम्स के विशेषज्ञों का दावा है कि इस किट की मदद से बिना किसी बड़े लैब के महज 100 रुपये में सर्विकल कैंसर की जांच संभव होगी। मौजूदा समय में सर्विकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए ज्यादातर अस्पतालों में पैप स्मीयर जांच की जाती है। इसकी रिपोर्ट करीब दो सप्ताह में आती है। रिपोर्ट पॉजिटिव पाए जाने पर सर्विकल कैंसर की पुष्टि के लिए इम्यूनोफ्लोरेसेंस व हिस्टोपैथोलाजी जांच होती है।हर वर्ष करीब सवा लाख महिलाएं होती हैं सर्विकल कैंसर से पीड़ित
इसकी रिपोर्ट तैयार होने में भी वक्त लगता है। देश में हर वर्ष करीब सवा लाख महिलाएं सर्विकल कैंसर से पीड़ित होती हैं और 80 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है। लिहाजा, एम्स के इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप सुविधा केंद्र में सर्विकल कैंसर की जांच की आसान तकनीक विकसित करने के लिए एनाटमी विभाग व गायनी विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर शोध किया और एक किट तैयार किया है।
ये भी पढ़ें-
सर्विकल कैंसर की जल्द पहचान के लिए स्वदेशी किट का ट्रायल शुरू, फ्रांस से आए 1200 सैंपल
एम्स के एनाटमी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि इस किट का पैप स्मीयर जांच में पॉजिटिव पाए गए 600 पॉजिटिव सैंपल व 400 निगेटिव सैंपल पर ट्रायल हो चुका है। इसकी हिस्टोपैथोलाजी जांच की रिपोर्ट से भी तुलनात्मक अध्ययन किया गया। जिसमें सौ प्रतिशत सटीक पाई गई। इस तकनीक में दो तरह के साल्यूशन ( क्वांटम डाट्स कपल्ड इम्यूनोग्लोबुलिन व मैग्नेटिक नैनोंपार्टिकल इम्यूनोग्लोबुलिन) इस्तेमाल किए जाते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।एम्स के एनाटमी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि इस किट का पैप स्मीयर जांच में पॉजिटिव पाए गए 600 पॉजिटिव सैंपल व 400 निगेटिव सैंपल पर ट्रायल हो चुका है। इसकी हिस्टोपैथोलाजी जांच की रिपोर्ट से भी तुलनात्मक अध्ययन किया गया। जिसमें सौ प्रतिशत सटीक पाई गई। इस तकनीक में दो तरह के साल्यूशन ( क्वांटम डाट्स कपल्ड इम्यूनोग्लोबुलिन व मैग्नेटिक नैनोंपार्टिकल इम्यूनोग्लोबुलिन) इस्तेमाल किए जाते हैं।