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आप भी नहीं जानते होंगे दिल्ली के इस पुल के बारे में, LG के प्रयास के कारण पर्यटन स्थल के रूप में हो रहा विकसित

दिल्ली के ऐतिहासिक बारापुला पुल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। एलजी वीके सक्सेना के प्रयासों से पुल से अतिक्रमण हटाया गया है और अब इसे संरक्षित किया जा रहा है। पुल के ऊपर बैठने की व्यवस्था सूचना बोर्ड और दिल्ली के इतिहास से जुड़ी जानकारी दी जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस परियोजना पर काम कर रहा है।

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 25 Nov 2024 12:50 PM (IST)
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ऐतिहासिक बारापुला पुल को पर्यटन स्थल के रूप में किया जाएगा विकसित।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। ऐतिहासिक बारापुला पुल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके ऊपर से अतिक्रमण हटाने के बाद गेट लगाकर इसे अतिक्रमणकारियों से बचाया जा रहा है। कुछ माह पहले एलजी वी के सक्सेना की सक्रियता के बाद इस पुल से वर्षों से चला आ रहा अतिक्रमण हटाया जा सका है। अब यहां पर लोगों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी तथा इसके इतिहास से रूबरू कराने वाले सूचना बोर्ड लगेंगे। पुल के ऊपर दिल्ली के इतिहास और क्षेत्र में स्थित अन्य स्मारकों के बारे में जानकारी दी जाएगी ।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इसके लिए योजना बना रहा है । इस ऐतिहासिक बारापुला के नाम पर एक नाले का नाम पड़ा और अब इसी नाम से सात किलोमीटर एलिवेटेड रोड बना है जिसे अगले वर्ष 10 किलाेमीटर किया जाना है। मगर लोगों को इस ऐतिहासिक बारापुला पुल के बारे मेें जानकारी नहीं है। एएसआई यह प्रयास करने जा रहा है कि इस पुल की पहचान लौटे।

पुल की कैमिकल क्लीनिंग कराई जाएगी

इसके लिए बनाई गई एएसआई की योजना के तहत सबसे पहले इस पुल का बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य कराया जाएगा। वर्षों से उपेक्षित इस पुल के नीचे के भाग में आ चुकीं दरारों को भरा जाएगा। इसके ऊपर भी जरूरत के हिसाब से संरक्षण कार्य कराया जाएगा। इसके बाद इसकी कैमिकल क्लीनिंग कराई जाएगी, जिससे यह साफ सुथरा दिख सके।

एएसआई के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद प्रवीण सिंह कहते हैं कि लंबे समय से इस पुल पर अवैध कब्जे थे जिसे अब हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास अब इस पुल को उसकी पहचान दिलाना है। क्योंकि लोग भूल चुके हैं कि बारापुला के नाम से कोई ऐतिहासिक पुल भी है। जल्द ही इसके लिए काम शुरू होगा।

बारापुला का इतिहास

इस पुल का निर्माण 1612 से 13 से लेकर 1621-22 के मध्य हुआ है। कुछ इतिहासकार इसका निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर के कार्यकाल 1612 से 13 में भी बताते हैं। कहा जाता है कि बादशाह ने इस पुल का निर्माण हुमायूं का मकबरा और निजामुद्दीन दरगाह और आगरा की ओर जाने आने के लिए कराया था। आगरा से आने जाने वालों के लिए उस समय यह मुख्य मार्ग था और नाला पार करने के लिए यह पुल बनाया गया था जो उस समय इस इलाके का इकलौता था।

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