1984 Sikh Riots: जगदीश टाइटलर ने हाईकोर्ट से मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने का किया अनुरोध, जानें क्या दी दलीलें
जगदीश टाइटलर ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में उनके खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि जब तक हाईकोर्ट उनके खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय करने को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला नहीं कर लेता तब तक निचली अदालत मामले में आगे न बढ़े।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने दिल्ली हाईकोर्ट से वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान उत्तरी दिल्ली के पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या से संबंधित मामले में उनके खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
टाइटलर की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि मामला मंगलवार को निचली अदालत के समक्ष अभियोजन पक्ष के गवाह के साक्ष्य दर्ज करने के लिए सूचीबद्ध है और निचली अदालत को निर्देश दिया जाना चाहिए कि जब तक हाईकोर्ट उनके खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय करने को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला नहीं कर लेता, तब तक वह मामले में आगे न बढ़े।
टाइटलर की याचिका 29 नवंबर को हाईकोर्ट में सूचीबद्ध
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने रजिस्ट्री को दिन के दौरान दस्तावेज को रिकार्ड में रखने का निर्देश दिया। टाइटलर की याचिका, जिसमें उनके खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती दी गई है, पहले ही 29 नवंबर को हाई कोर्ट में सूचीबद्ध है और इसके लंबित रहने के दौरान, टाइटलर ने मामले की सुनवाई पर रोक लगाने के लिए आवेदन दायर किया है।आवेदन में कहा गया है कि अभियोजन पक्ष की गवाह लोकेंद्र कौर का साक्ष्य निचली अदालत द्वारा दर्ज किया गया था और बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा उसकी जिरह 12 नवंबर को निर्धारित की गई है। टाइटलर की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका ने अभियोजन पक्ष की मंशा और सीबीआई द्वारा की गई जांच पर पर्याप्त सवाल उठाए हैं।
चौथी बार गवाह मंगलवार को अदालत में पेश होंगी
पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने स्थगन आवेदन का विरोध किया और कहा कि गवाह वृद्ध है और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। उसे कई बार निचली अदालत में पेश होना पड़ रहा है। अधिवक्ता ने दलील दी कि चौथी बार वह मंगलवार को अदालत में पेश होंगी। टाइटलर ने अपनी याचिका में दावा किया कि वह जासूसी का शिकार है और दलील दी कि उसके खिलाफ आरोप तय करने का ट्रायल कोर्ट का आदेश विकृत, अवैध और विवेकहीन था।सीबीआई के वकील ने टाइटलर की याचिका का विरोध किया
उन्होंने याचिका में कहा कि आक्षेपित आदेश के माध्यम से, ट्रायल कोर्ट ने आरोप के बिंदु पर कानून के स्थापित सिद्धांतों की अनदेखी करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ गलत तरीके से आरोप तय किए हैं। टाइटलर के अधिवक्ता ने दावा किया है कि उनका मुवक्किल घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं था। सीबीआई और पीड़ितों के अधिवक्ता ने टाइटलर की याचिका का विरोध किया।
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