Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हैदराबाद मेट्रो और वायुसेना में नौकरी दिलाने के मामले में 50 लोगों से लाखों की ठगी करने वाला मास्टरमाइंड गिरफ्तार

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 08 Apr 2022 01:47 PM (IST)

    जांच के दौरान पता चला कि पीडि़तों को आधिकारिक ओएनजीसी ई-मेल खाते से ई-मेल प्राप्त हुआ था और उनका एक सरकारी कार्यालय में साक्षात्कार हुआ था। पीड़ितों को रणधीर सिंह उर्फ कुणाल किशोर नाम के एक व्यक्ति से मिलवाया गया था।

    Hero Image
    हैदराबाद मेट्रो और वायु सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर 50 लोगों से ठगी

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ओएनजीसी में पैन-इंडिया फर्जी भर्ती घोटाला मामले के मास्टर माइंड रविचंद्र को अपराध शाखा ने हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में इस गोरख धंधे को अंजाम दे रहा था। यह फर्जीवाड़ा के कई मामलों में शामिल है। हैदराबाद मेट्रो और वायुसेना में नौकरी दिलाने के मामले में 50 लोगों से लाखों की ठगी के मामले में वह पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डीसीपी रोहित मीणा के मुताबिक 14 मई 2018 को तिलक राज शर्मा, चीफ मैनेजर (एचआर), ओएनजीसी ने वसंतकुंज उत्तरी थाने में शिकायत कर आरोप लगाया था कि युवाओं को ओएनजीसी में सहायक अभियंता के रूप में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा जा रहा है। मामला दर्ज कर जांच के लिए केस को अपराध शाखा में ट्रांसफर कर दिया गया था। जांच के दौरान पता चला कि पीडि़तों को आधिकारिक ओएनजीसी ई-मेल खाते से ई-मेल प्राप्त हुआ था और उनका एक सरकारी कार्यालय में साक्षात्कार हुआ था। पीड़ितों को रणधीर सिंह उर्फ कुणाल किशोर नाम के एक व्यक्ति से मिलवाया गया, जिसने प्रति व्यक्ति से ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के लिए 22 लाख रुपये की मांग की थी।

    बाद में रणधीर सिंह भूमिगत हो गया था। 13 सितंबर 2018 को अपराध शाखा ने सात आरोपित किशोर कुणाल, निवासी सीतामढ़ी, बिहार, वसीम ,मेरठ, अंकित गुप्ता, बागपत रोड, मेरठ, विशाल गोयल, मेरठ, सुमन सौरभ, लक्ष्मी नगर, संदीप कुमार , नजफगढ़ व जगदीश राज को गिरफ्तार कर लिया था। मुख्य आरोपित रविचंद्र फरार था। वह लगातार गिरफ्तारी से बच रहा था। रवि चंद्रा के खिलाफ गंभीर आरोप थे, क्योंकि पीडि़तों को उसके द्वारा मुख्य साजिशकर्ता रणधीर सिंह (असली नाम कुणाल किशोर) से मिलवाया गया था और वह पैसों के लेनदेन में शामिल था। रविचंद्र से पूछताछ में पहले उसने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की।

    बाद में उसने खुलासा किया कि 2017 में वह हैदराबाद में टीम वेब तीन के नाम से एक कंसल्टेंसी ऑफिस चला रहा था। मई, 2017 में, उसके एक पूर्व छात्र बाला ने रणधीर ¨सह को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसके मंत्रालय में संपर्क हैं। उसी के बाद ठगी का धंधा शुरू किया गया। हैदराबाद में एक कंसल्टेंसी फर्म चलाने वाले रवि चंद्रा ऐसे पीडि़तों को चुनता था जो सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए पैसे देने को तैयार थे और उन्हें कुणाल किशोर से मिलवाया जाता था। कुणाल दावा करता था कि उसका साला ओएनजीसी का कर्मचारी है और ओएनजीसी में उसका अच्छा प्रभाव है।

    वह पीडि़तों से शिक्षा प्रमाण पत्र और पैसे एकत्र करता था और अपने सहयोगी वसीम की मदद से फर्जी इंटरव्यू कॉल लेटर तैयार किया था जो विशेषज्ञ वेब डिजाइनर है। वसीम ने कुणाल किशोर के लिए फर्जी वोटर कार्ड भी तैयार किया था। रवि चंद्रा पेशे से वेब डिजाइनर है। 2017 में उसने एशियन ब्राइट करियर नामक एक कंसल्टेंसी फर्म खोली, जहां वह छात्रों को नौकरियों, आईटी कौशल, संचार कौशल आदि के लिए प्रशिक्षण देता था। लेकिन वह उक्त कार्यालय की आड़ में नकली नौकरी भर्ती घोटाला चला रहा था।