MCD Mayor Election: मेयर चुनाव में सदन में मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे पार्षद, जल्द ही एसओपी जारी करेगी निगम
दिल्ली में होने वाले महापौर चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव की तरह ही महापौर चुनाव में भी सदन के अंदर मोबाइल फोन ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। हालांकि सांसदों के सदन की बैठक में भाग लेने की वजह से सुरक्षा जांच का मामला अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में महापौर चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के सामने धर्म संकट उत्पन्न होने जा रहा है क्योंकि स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव की तर्ज पर महापौर चुनाव में भी सदन में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। इसको लेकर जल्द ही निगम एसओपी जारी कर सकता है। हालांकि सांसदों के सदन की बैठक में भाग लेने की वजह से सुरक्षा जांच का मामला अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
उल्लेखनीय है कि 26 सितंबर को निगम की स्थायी समिति में 18वें सदस्य के लिए चुनाव हुआ था लेकिन आप पार्षदों ने यह कहते हुए विवाद उत्पन्न कर दिया था कि उन्हें सदन में जाने के लिए पुलिस कर्मियों द्वारा तलाशी लेने पर पाबंदी है। यह इसलिए भी हुआ था क्योंकि सदन की बैठक में चुनाव की गोपनीयता को देखते हुए मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित कर दिया था।
भाजपा प्रत्याशी सुंदर सिंह यह चुनाव जीत गए
इसकी वजह से ही उपराज्यपाल के आदेश पर एमसीडी एक्ट के अनुच्छेद 487 का उपयोग करते हुए 27 सितंबर को स्थायी समिति के 18 वें सदस्य का चुनाव कराया था और आप पार्षदों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था। नतीजतन भाजपा प्रत्याशी सुंदर सिंह यह चुनाव जीत गए थे। हालांकि मामला महापौर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। ऐसे में फिलहाल स्थायी समिति के गठन पर रोक लग रखी है।आप ने मोबाइल पर प्रतिबंध करने का विरोध किया
ऐसे में 14 नवंबर को होने वाले महापौर चुनाव में आप कैसे हिस्सा लेगी यह बड़ा सवाल है क्योंकि पहले आप ने मोबाइल पर प्रतिबंध करने का विरोध किया था। अगर, वह मोबाइल ले जाते हैं तो नियमों का उल्लंघन होगा और नियम मान लेते हैं तो सुप्रीम कोर्ट में पुराना चल रहा मामला इससे प्रभावित हो सकता है। इसलिए आप के सामने इस पर धर्म संकट रहेगा।
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भाजपा के पास 122 तो आप के पास 143 सदस्य
उल्लेखनीय है कि निगम में तीसरे वर्ष के लिए महापौर का चुनाव होगा। यह वर्ष अनुसूचित जाति के पार्षद को महापौर बनाने के लिए आरक्षित है। निगम में संख्या बल की बात करें तो 273 (पार्षद, विधायक और सांसदों) के सदस्यों वाले सदन में भाजपा के पास 122 तो आप के पास 143 तो कांग्रेस के पास 8 सदस्य हैं।
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