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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 10 वकीलों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के मामले में 10 वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इन वकीलों पर आरोप है कि उन्होंने अदालत को गुमराह करने के लिए एक झूठी विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। याचिका में नीतीश कटारा हत्याकांड के एक मात्र चश्मदीद गवाह अजय कटारा के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप की फिर से जांच कराने की मांग की गई थी।

By Rakesh Kumar Singh Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Tue, 26 Nov 2024 03:19 PM (IST)
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नीतीश कटारा हत्याकांड अदालत को गुमराह करने के आरोप में 10 वकीलों पर FIR। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली।Nitish Katara murder case: बहुचर्चित नीतिश कटारा हत्याकांड से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत को गुमराह करने के आरोप में 10 वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

बीते सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसमें नीतीश कटारा हत्याकांड के एक मात्र चश्मदीद गवाह अजय कटारा के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप की फिर से जांच कराने की मांग करते हुए एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी।

कई अधिवक्ताओं की सहायता से याचिका हुई थी दायर

न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा था कि अजय कटारा के खिलाफ याचिका कई अधिवक्ताओं की सहायता से याचिका दायर की गई। याचिका उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के रहने वाले भगवान सिंह के नाम पर उनकी जानकारी व सहमति के बिना दायर की गई।

भगवान सिंह की बेटी की तरफ से आरोप लगाया गया कि अजय कटारा ने उसके साथ दुष्कर्म किया और उक्त आरोप को खारिज करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2019 के फैसले को रद्द करने के लिए आपराधिक अपील दायर की गई।

झूठी कार्यवाही शुरू करने के इरादे से दायर हुई याचिका

बाद में सिंह ने एक हलफनामा दायर कर कहा था कि उन्होंने मामले से संबंधित किसी भी आपराधिक अपील पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए थे। इस पर अदालत ने कहा था कि याचिका किस आधार पर दायर की गई।

अदालत ने पाया था कि झूठा और मनगढ़ंत दस्तावेज पेश कर सिंह के नाम से झूठी कार्यवाही शुरू करने के इरादे से याचिका दायर की गई। इसपर कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। अदालत ने सीबीआइ निदेशक को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने और इस अदालत को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

भगवान सिंह ने कभी किसी वकील से नहीं की मुलाकात

जांच में सीबीआई को पता चला कि सुखपाल, उनकी पत्नी और कई वकीलों ने एक-दूसरे और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश रचकर झूठी विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। भगवान सिंह कभी भी किसी अधिवक्ता से नहीं मिले थे और न ही अधिवक्ताओं को उनकी ओर से कोई याचिका दायर करने का निर्देश दिया था।

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