गलत जानकारी देकर पासपोर्ट हासिल करने के मामले में उपहार अग्निकांड के दोषी सुशील अंसल पर आरोप तय
उपहार अग्निकांड के दोषी सुशील अंसल पर पासपोर्ट बनवाने के लिए गलत जानकारी देने का आरोप लगा है। पटियाला हाउस कोर्ट ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य अपराधो ...और पढ़ें

सुशील अंसल के खिलाफ कोर्ट में झूठ बोलने, धोखाधड़ी और दूसरे अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। उपहार अग्निकांड मामले में दोषी करार दिए गए सुशील अंसल पर कानून का शिकंजा एक बार फिर कसने लगा है। तमाम जानकारियों को छिपाकर पासपोर्ट हासिल करने के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट की चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सुशील अंसल के खिलाफ कोर्ट में झूठ बोलने, धोखाधड़ी और दूसरे अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया है।
चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट श्रेया अग्रवाल ने आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा कि पहली नजर में सुशील अंसल ने 2007 में उपहार मामले में सजा के आदेश सहित अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी जानबूझकर छिपाई है। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए आरोप तय करने के लिए मामले को 13 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि आरोपित सुशील अंसल ने गलत/कम जानकारी के आधार पर प्राधिकारियों को एक खास तरीके से काम करने के लिए उकसाया और इसके जरिए गलत तरीके से पासपोर्ट जारी करके फायदा उठाया। अदालत ने कहा कि यह भारतीय दंड संहिता की धारा- 420 और पासपोर्ट एक्ट की धारा-12 के तहत दंडनीय अपराध किए।
अदालत ने कहा कि अंसल ने न सिर्फ गलत जानकारी दी, बल्कि एक सरकारी कर्मचारी के पास झूठा हलफनामा भी दाखिल किया। इस मामले में ये दोनों अपराध बनते हैं।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि आरोपित सुशील अंसल का बाद में अनजाने में हुई गलती को मानना पिछली गलती को कम नहीं कर सकता, क्योंकि उनके पास पासपोर्ट था। अदालत ने कहा कि गलत जानकारी के साथ हासिल किए गए पासपोर्ट का सुशील अंसल ने पूरे समय इस्तेमाल किया था।
यह पूरा मामला उपहार त्रासदी के पीड़ितों के एसोसिएशन (एवीयूटी) द्वारा दायर एक याचिका पर दिसंबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक निर्णय पर आधारित है। कार्रवाई के दौरान यह पता चला था कि आरोपित सुशील अंसल ने झूठी जानकारी देकर या जरूरी तथ्य छिपाकर कई पासपोर्ट हासिल किए थे। अंसल पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में पासपोर्ट आवेदन के साथ दिए गए शपथपत्र में अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की जानकारी और सजा का निर्णय छिपाया था।
सुशील अंसल ने 2018 में दाखिल किए गए आवेदन के साथ दिए गए अंडरटेकिंग में अपने खिलाफ दूसरे लंबित मुकदमों से जुड़ी जानकारी भी छिपाई ताकि रीजनल पासपोर्ट आफिस (आरपीओ) को पासपोर्ट जारी करने के लिए मैनिपुलेट किया जा सके। दिल्ली पुलिस ने भी अपनी रिपोर्ट में अदालत को बताया था कि सुशील अंसल ने 2000, 2004 और 2013 में कई बार पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदन किया था और तथ्य छिपाए थे।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि उसने बिना किसी सत्यापन के कई पतों का इस्तेमाल करके पासपोर्ट हासिल किए थे। गलत घोषणा का आरोप मुख्य रूप से साल 2013 में किए गए अावेदन के लिए है, जब अंसल ने एक शपथपत्र फाइल किया था। इसमें उसने झूठा दावा किया गया था कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है और न ही किसी कोर्ट ने उसके खिलाफ कोई सजा का आदेश दिया है, जबकि उक्त दावा गलत और गुमराह करने वाला था।

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