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    दिल्ली में पुरानी कारों का अवैध कारोबार, आतंकियों को क्यों दे रहा गुमनामी का कवच?

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 01:39 AM (IST)

    दिल्ली में पुरानी कारों का अनधिकृत बाजार सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। बिना पंजीकरण के हजारों वाहन खरीदे-बेचे जा रहे हैं, जिससे अपराधियों को गुमनामी मिल रही है। लाल किले के हमले में इस्तेमाल कार भी इसी बाजार से खरीदी गई थी। पुलिस और परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण यह बाजार फल-फूल रहा है, जहाँ जाली दस्तावेज़ों और चोरी की गाड़ियों का कारोबार भी हो रहा है।

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    दिल्ली में पुरानी कारों का अनधिकृत बाजार सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है।

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के हर इलाके में पुरानी कारों (सेकंड हैंड कारों) का एक बड़ा अनधिकृत बाजार पनप गया है, जहां हजारों वाहन बिना पंजीकरण के खरीदे-बेचे जाते हैं। चेसिस और इंजन नंबर की क्लोनिंग और उचित दस्तावेज के बिना वाहनों की अवैध खरीद-बिक्री एक बड़ा खतरा बन रही है।

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    सोमवार को लाल किले पर हुए आतंकवादी हमले की जांच में पता चला है कि घटना में इस्तेमाल की गई i20 कार को सेकंड हैंड कार बाजार के जरिए एक बार नहीं, बल्कि कई बार खरीदा-बेचा गया था। मुख्य आरोपी डॉ. उमर इसका इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन कार उसके नाम पर नहीं थी। उसने यह कार अपने इस्तेमाल के लिए नहीं, बल्कि अपने एक करीबी सहयोगी के नाम पर खरीदी थी।

    इस पैटर्न पर पहले भी कई आतंकवादी घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इन जानकारियों के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में इतना बड़ा, बिना पंजीकरण वाला सेकंड हैंड कार बाजार इतने खुलेआम क्यों फल-फूल रहा है?

    सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस और परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण, यह अनधिकृत सेकेंड-हैंड कार बाज़ार आतंकवादी और आपराधिक नेटवर्कों को गुमनामी का कवच प्रदान कर रहा है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा को बड़ा खतरा है।

    मंगलवार को दैनिक जागरण की एक पड़ताल में पता चला कि परिवहन विभाग की इस पर कोई निगरानी नहीं है, और दावा किया कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। दिल्ली पुलिस भी इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला मानती है, इसीलिए दोनों में से किसी का भी इस पर सीधा नियंत्रण नहीं है, जिससे दिल्ली में सेकेंड-हैंड कार बाज़ार एक संगठित उद्योग बन गया है।

    दिल्ली-एनसीआर में सेकेंड-हैंड कार बाज़ार का न केवल एक बड़ा नेटवर्क है, बल्कि इसकी आड़ में जाली दस्तावेज़ों का एक बड़ा धंधा भी चल रहा है। आरोप है कि चोरी की गाड़ियों को क्लोनिंग टूल्स का इस्तेमाल करके ऑनलाइन और ऑफलाइन बेचा जा रहा है ताकि चेसिस और इंजन नंबर की क्लोनिंग की जा सके, नकली पंजीकरण प्रमाणपत्र हासिल किए जा सकें और बीमा हासिल किया जा सके।

    दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने हाल ही में हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट बेचने वाली फर्जी वेबसाइटों के एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो बिना असली पंजीकरण के वाहन चलाने में मदद करते थे। इसके अलावा, इस बाज़ार का इस्तेमाल चोरी की कारों को तोड़कर उनके पुर्जे बेचने के लिए भी किया जा रहा है।

    मुख्य तथ्य

    • दिल्ली में सेकेंड-हैंड कार बाज़ार: लगभग 2500 करोड़ रुपये सालाना
    • दैनिक बिक्री: 2000 से 2500 वाहन
    • वार्षिक बिक्री: लगभग 10 लाख वाहन
    • अनधिकृत सेकेंड-हैंड कार डीलर: 3500 से ज़्यादा
    • प्रमुख क्षेत्र: करोल बाग, चावड़ी बाज़ार, कश्मीरी गेट, प्रीत विहार, पीतमपुरा, लक्ष्मी नगर, शाहदरा, द्वारका सहित सभी प्रमुख क्षेत्र
    • प्रत्यक्ष भागीदारी: लगभग 10,000 लोग, जिनमें डीलर, ब्रोकर, एजेंट, मैकेनिक, वर्कशॉप आदि शामिल हैं।
    • अप्रत्यक्ष भागीदारी: लगभग 50,000 लोग, जिनमें लोन और फाइनेंस एजेंट, स्क्रैप डीलर, डिजिटल विज्ञापन, वेबसाइट संचालक और दस्तावेज़ निर्माता शामिल हैं।