6 अंकों ने कैसे बदल दी भारत की डाक व्यवस्था, जानें कब और क्या सोचकर की गई थी PIN Code की शुरुआत
अपने घर या किसी जगह का पता बताने के लिए PIN Code का इस्तेमाल होता है। हर जगह का अपना अलग पिनकोड होता है जो उस जगह की पहचान होती है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि सबसे पहले इसकी जरूरत कब महसूस हुई और भारत में कैसे पिनकोड की शुरुआत हुई? अगर नहीं तो आइए इस आर्टिकल में आपको (History Of PIN Codes) बताते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय डाक विभाग के इतिहास में पिन कोड (PIN Code) का आगमन एक क्रांतिकारी मोड़ था। बढ़ती आबादी और समान नाम वाले स्थानों की संख्या के कारण डाक वितरण में अक्सर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती थी। चिट्ठियों का गलत स्थान पर पहुंच जाना आम बात थी। इस समस्या के समाधान के लिए एक विशिष्ट और व्यवस्थित कोडिंग सिस्टम की जरूरत महसूस हुई। इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए पिन कोड की शुरुआत की गई। आइए जानते हैं कि कैसे पिन कोड ने भारतीय डाक व्यवस्था (Indian Postal Service) को एक नई दिशा दी और पहली बार कब इसकी जरूरत महसूस की गई।
पिनकोड क्या है?
पिनकोड का पूरा नाम पोस्टल इंडेक्स नंबर है। यह छह अंकों का एक अद्वितीय कोड होता है जो भारत के प्रत्येक डाकघर को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है। पिनकोड का इस्तेमाल डाक वितरण को सुगम बनाने और डाक वस्तुओं को उनके गंतव्य तक तेजी से पहुंचाने में किया जाता है।कब हुई पिनकोड की शुरुआत?
भारत में पिनकोड सिस्टम की शुरुआत 15 अगस्त, 1972 को हुई थी। इस व्यवस्था को शुरू करने का श्रेय केंद्रीय संचार मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव श्रीराम भिकाजी वेलांकर को जाता है।
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पिनकोड की शुरुआत के कारण
डाक वितरण में दक्षता
बढ़ती जनसंख्या और डाक वस्तुओं की संख्या के साथ, डाक वितरण प्रणाली में अत्यधिक दबाव था। डाक वस्तुओं को सही पते तक पहुंचाने में कई बार देरी होती थी और कई बार डाक वस्तुएं खो भी जाती थीं।डाकघरों का वर्गीकरण
देश में हजारों डाकघर थे और इनका कोई व्यवस्थित वर्गीकरण नहीं था। इससे डाक वितरण प्रणाली को समझना और उसका प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता था।पिनकोड सिस्टम कैसे काम करता है?
पिनकोड सिस्टम में देश को विभिन्न जोनों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जोन को एक अद्वितीय कोड दिया गया है। पिनकोड के पहले दो अंक जोन को दर्शाते हैं, तीसरा अंक डाकखाने के क्षेत्र को दर्शाता है, और अंतिम तीन अंक डाकखाने की शाखा को दर्शाते हैं।पिनकोड के फायदे
- डाक वितरण में तेजी: पिनकोड सिस्टम के आने से डाक वितरण प्रणाली में काफी सुधार हुआ है। अब डाक वस्तुओं को उनके गंतव्य तक तेजी से पहुंचाया जा सकता है।
- डाक वस्तुओं का सही वितरण: पिनकोड सिस्टम के कारण डाक वस्तुओं को गलत पते पर जाने का खतरा काफी कम हो गया है।
- डाकघरों का बेहतर प्रबंधन: पिनकोड सिस्टम के माध्यम से डाकघरों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।
- आधुनिक डाक सेवाओं का विकास: पिनकोड सिस्टम ने आधुनिक डाक सेवाओं जैसे स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड पोस्ट आदि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।