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Lok Sabha Election: हर चुनाव में होता है वादा, चिटफंड कंपनियों से 25 लाख से अधिक पीड़ितों को राशि वापसी का इंतजार

छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवाने वाले 25 लाख से अधिक पीड़ितों को वर्षों से राशि वापसी का इंतजार है। पीड़ित कहते हैं कि चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां राशि वापसी कराने का वादा करती हैं लेकिन सरकार गठन के बाद भूल जाती हैं। कांग्रेस सरकार गठन के बाद इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हुई जो नाकाफी साबित हुई।

By Abhishek Rai Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 03 May 2024 06:00 AM (IST)
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चिटफंड कंपनियों से 25 लाख से अधिक पीड़ितों को राशि वापसी का इंतजार

राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवाने वाले 25 लाख से अधिक पीड़ितों को वर्षों से राशि वापसी का इंतजार है। पीड़ित कहते हैं कि चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां राशि वापसी कराने का वादा करती हैं, लेकिन सरकार गठन के बाद भूल जाती हैं।

मोदी की गारंटी में भाजपा ने पीड़ितों को राशि वापस का वादा किया है, जिससे उम्मीद जगी है कि चुनाव के बाद इसके लिए बेहतर प्रयास होंगे। विधानसभा चुनाव-2018 में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पीड़ितों को राहत दिलाने को शामिल किया था। सरकार गठन के बाद इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हुई, जो नाकाफी साबित हुई।

26 लाख निवेशकों के साथ धोखाधड़ी

प्रदेशभर में सात हजार कंपनियों ने रकम दोगुना करने का झांसा देकर 26 लाख निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है। कंपनियों ने निवेशकों से 6,834 करोड़ रुपये जुटाए और फरार हो गईं। बीते पांच वर्षों में तत्कालीन सरकार महज 73 हजार निवेशकों की राशि लौटा पाई। निवेशकों को 44 करोड़ 76 लाख रुपये ही मिले, जो कुल राशि का एक प्रतिशत से भी कम है।

बताया जाता है कि शासन की ओर से रकम वापसी के लिए शासन की ओर से दो से 20 अगस्त-2021 के मध्य आवेदन लिए गए थे। 25,72,223 निवेशकों ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई और रकम वापसी के लिए आवेदन किया था, लेकिन सिर्फ 5,01,634 आवेदनों का ही निराकरण हो पाया। 20 लाख से अधिक आवेदन सरकारी दफ्तरों में धूल खा रहे हैं।

73 करोड़ की संपत्ति नहीं हो पाई नीलामी

प्रदेश में कोर्ट के आदेश के बाद भी कंपनियों की चिह्नित संपत्ति की नीलामी नहीं हो पाई है। इससे करीब 73 करोड़ 23 लाख 74 हजार की राशि निवेशकों को नहीं मिल पाई है। कोर्ट ने धमतरी की दिव्यानी कंपनी, जेएसबी रियल इंफ्रा इंडिया लिमिटेड, रायपुर की बीएन गोल्ड रियल स्टेट लिमिटेड, सनसाइन इंफ्रा बिल्ड कार्पोरेशन लिमिटेड, गुरुकृपा इंफ्रा रियालटी इंडिया कंपनी, किम इंफ्रास्ट्रक्चर और एसपीएनजे कंपनी शामिल है।

ऐसे ही महासमुंद की बीएन गोल्ड कंपनी, रायगढ़ की एसपीएनजे कंपनी, सांई प्रसाद प्रोपर्टीज, पल्स गोल्ड रियल स्टेट और अनमोल इंडिया, कबीरधाम में वी रियालिटिस इंडिया लिमिटेड, मनेंद्रगढ़ और सूरजपुर में पीएसीएल लिमिटेड, कांकेर में गरिमा रियल कंपनी और आरोग्य कंपनी, बलौदाबाजार में पल्स इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर और एजेंट तुकेश्वर देवांगन की संपत्ति, बेमेतरा में केएमजे डेवलेपर्स, सक्ती में कोलकाता वेयर इंडस्ट्रीज, जांजगीर-चांपा में गरिमा होम्स और विनायक होम्स कंपनी तथा बस्तर में माइक्रो फाइनेंस कंपनी की संपत्ति नीलाम होना बाकी है।

18 कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग जिलों में अपराध दर्ज

प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 18 कंपनियों के खिलाफ 28 मामले दर्ज हैं। कंपनियों की संपत्ति नीलाम करके 53 करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक राशि की वसूली की गई है। अहमदाबाद, इंदौर, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में कंपनियों के खिलाफ सुनवाई होने की वजह से राशि वितरण में रोक लगा हुआ है। निवेशकों के जमा किए गए बांड समेत अन्य दस्तवेजों के सत्यापन के कारण भी राशि का वितरण नहीं हो पाया है।

कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष-2015 से 29 फरवरी 2024 तक 214 कंपनियों के खिलाफ थानों में अपराध दर्ज किया गया है। चिटफंड कंपनियों के विरुद्ध 468 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। इसमें से 404 मामले में चालान तैयार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। सात प्रकरण का खात्मा, तीन को खारिज तथा 54 में विवेचना जारी है।