शादी के 7 महीने में ही Rekha के पति ने किया था सुसाइड, फिर भी क्यों मांग में भरती हैं सिंदूर? वजह कर देगी हैरान
अभिनेत्री रेखा की कोई ना कोई रहस्यमयी कहानी सबको उनकी तरफ खींचती है। रेखा की जीवनी ‘रेखा द अनटोल्ड स्टोरी’ के लेखक और पत्रकार यासिर उस्मान ने सदाबहार अभिनेत्री के बारे में कुछ गहरे राज खोले हैं। प्यार के लिए तरसीं रेखा ने क्यों बेबाकी से किनारा कर लिया और लाइमलाइट से दूर होकर अकेले जिंदगी बिताने लगीं जानिए इस बारे में।
एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। हाल ही में अबू धाबी में संपन्न हुए आइफा अवार्ड्स (IIFA Awards) में दो ही सितारे छाए रहे- पहले सुपरस्टार शाह रुख खान (Shah Rukh Khan) और दूसरी सदाबहार अभिनेत्री रेखा (Rekha)। 69 वर्ष की रेखा अब ना फिल्मों में सक्रिय हैं, ना ही मीडिया में नजर आती हैं, फिर भी क्या बेमिसाल आकर्षण है जो पीढ़ियों की सरहद भी लांघ जाता है।
मुझे रेखा की जिंदगी और उनके फिल्मी करियर पर ‘रेखा द अनटोल्ड स्टोरी’ किताब लिखने का मौका मिला। ये किताब कुछ साल पहले प्रकाशित हुई थी, लेकिन आज तक इससे जुड़े मेल और मैसेज मेरे पास आते रहते हैं। किताब लिखने की शुरुआत में रेखा के प्रशंसकों की तरह मैं भी उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक था। मेरी दिलचस्पी एक सुपरस्टार के साथ रेखा की नजदीकियों के बजाय खुद रेखा के संघर्ष और उनकी जीत में थी।
मजबूरी में जॉइन की इंडस्ट्री
उस कहानी में, जहां एक 14 वर्ष की लड़की अपनी मां के साथ मद्रास (चेन्नई) से बंबई (मुंबई) आती है। आर्थिक संघर्ष से जूझ रहे परिवार को बचाने के लिए हिंदी फिल्मों में जबरदस्ती धकेली गई इस लड़की को हिंदी या उर्दू बोलनी तक नहीं आती थी। वो सालों तक अपने सांवले रंग-रूप और ज्यादा वजन पर भद्दे मजाक झेलती है, शोषण का शिकार होती है, बार-बार उसका दिल टूटता है, लेकिन वही लड़की 10 साल बाद अपनी प्रतिभा, स्टाइल और फिटनेस से बालीवुड के नियम बदलकर रख देती है।
उर्दू-हिंदी में हाथ था तंग
हिंदी-उर्दू न जानने वाली रेखा ‘उमराव जान’ जैसी फिल्म में शानदार उर्दू बोलते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करती है। ये थी वो कहानी जिसने मुझे किताब लिखने के लिए प्रेरित किया था। किताब की रिसर्च के समय एक अजीब सवाल सामने आया। 20वीं शताब्दी के सातवें-आठवें दशक की रेखा के साक्षात्कार देखें तो वो जबरदस्त बिंदास लड़की के रूप में सामने आती हैं। वो ध्यानाकर्षित करने वाली, उत्साही और इस हद तक स्पष्टवादी थीं, जो आज भी भारत में नहीं देखी जाती।
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बयानों के लिए बनीं सुर्खियां
फिल्मी पत्रिकाओं में रेखा के बयान सनसनीखेज हुआ करते थे- ‘मैं सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं हूं, मैं एक ‘बदनाम’ अभिनेत्री हूं जिसका अतीत खराब है।’ ऐसे और भी बहुत बयान थे मगर खुलकर बोल्ड बयान देने वाली रेखा के साथ ऐसा क्या हुआ कि वो आज एकांतप्रिय रेखा बन गईं? ग्रेटा गार्बो जैसी छवि वाली, दुखद और अकेली। तब मेरे सामने आया कि एक हृदयविदारक घटना के बाद फिल्म उद्योग और मीडिया ने उन पर जो क्रूर हमले किए, उसका आघात उनके अंतर्मन पर हावी होता गया। 1990 के आसपास वो बड़ी घटना घटी, जिसने मूल रूप से रेखा को बदलकर रख दिया।
पिता के प्यार को तरसीं
दरअसल रेखा के पिता ने बचपन में उन्हें कबूल नहीं किया। पिता का प्यार नहीं मिला। फिर मुंबई में करियर के शुरुआती वर्षों में रेखा प्यार तलाशती रहीं। वो घर बसाना चाहती थीं। कई अभिनेताओं के साथ उनके करीबी रिश्ते रहे। जीतेंद्र से लेकर विनोद मेहरा और किरण कुमार तक। प्रेम संबंध तक तो सब ठीक रहता, लेकिन बात जब शादी तक पहुंचती तो लड़कों के परिवार को रेखा के मीडिया में दिए बयान, उनकी बोल्ड इमेज, सांवला रंग-रूप और पारिवारिक पृष्ठभूमि खलने लगती।
बार-बार छल्ली हुआ दिल
रेखा का दिल बार-बार टूटता रहा। फिर सालोंसाल तक सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ उनके सिलसिले की चर्चाएं रहीं। एक इंटरव्यू में रेखा से ‘आर्ट फिल्मों’ के बारे में सवाल पूछा गया था। रेखा ने वापस सवाल किया, ‘आर्ट फिल्म किसे कहते हैं आप? वही न, जो सच्चाई के करीब हो? तो मैं फिल्म ‘सिलसिला’ को यादगार ‘आर्ट फिल्म’ मानती हूं’। मगर फिल्म ‘कुली’ में अमिताभ के साथ हुए हादसे के बाद कई साल तक रेखा-अमिताभ के रिश्ते की चर्चाओं पर भी विराम लग गया था।
पति ने सात महीने के अंदर की आत्महत्या
इसी मोड़ पर उनकी जिंदगी में आए दिल्ली के बिजनेसमैन मुकेश अग्रवाल। मुलाकात के एक महीने के भीतर ही दोनों ने शादी कर ली, लेकिन रिश्ता चला नहीं। शादी के सात महीने बाद डिप्रेशन से जूझ रहे मुकेश ने अपने फार्म हाउस में आत्महत्या कर ली। ये अपने आप में दहला देने वाली त्रासदी थी। रेखा उस वक्त मुकेश के साथ नहीं रहती थीं। मुकेश की मौत के समय वो अमेरिका में थीं, लेकिन उस दौर के मीडिया ने मुकेश की मौत का जिम्मेदार सीधे रेखा को ठहरा दिया। खबर छपी कि मुकेश ने रेखा के दुपट्टे से लटककर जान दी।
ससुराल ने रेखा को बुलाया डायन
मुकेश की मां ने कहा, ‘वो डायन मेरे बेटे को खा गई।’ महीनों तक आरोपों का ऐसा हमला जारी रहा, जिसने रेखा को छलनी कर दिया। फिल्म इंडस्ट्री ने भी इस दौर में तकरीबन उनका बॉयकॉट कर दिया। उस दौर की ‘शेषनाग’ जैसी उनकी फिल्मों के पोस्टरों पर कालिख मली गई। रेखा खामोश हो गईं। हालांकि मुकेश के साथ उनका तलाक नहीं हुआ था, फिर भी रेखा ने उनकी संपत्ति लेने की कोशिश तक नहीं की।
अमिताभ संग जुड़ा नाम
लिया तो बस एक कैमरा, जो उनके साथ बिताए समय की यादों का प्रतीक था। महीनों तक बिना मीडिया से बात किए वो मेहनत करती रहीं। आखिरकार फिल्म ‘फूल बने अंगारे’ से शानदार वापसी की। प्रशंसकों ने तो उन्हें फिर स्वीकार कर लिया मगर रेखा हमेशा के लिए बदल चुकी थीं। आने वाले सालों में कई हिट फिल्में दीं मगर अब ना वो स्वछंदता थी, ना ही खिलखिलाकर हंसना। अमिताभ के साथ उनकी नजदीकियों पर कयास लगाए जाते रहे।
क्यों मांग में सिंदूर भरती हैं रेखा?
राज्यसभा में जब जया बच्चन और रेखा एक साथ आईं तो मीडिया में सिलसिला फिर गर्म हो गया। ये सिलसिला इस दौर के पापुलर कल्चर की सबसे बड़ी किंवदंती बना रहा, लेकिन रेखा व अमिताभ इस पर गरिमापूर्ण चुप्पी साधे रहे। रेखा शादीशुदा नहीं हैं फिर भी मांग भरती हैं, कहने वाले जो चाहे कहें। फिल्म ‘उमराव जान’ के लिए जब उन्हें नेशनल अवार्ड दिया जा रहा था तब तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने उनसे पूछा था, ‘आप मांग में सिंदूर क्यों भरती हैं?’ रेखा ने जवाब दिया था, ‘मैं जिस शहर से आती हूं, वहां मांग में सिंदूर भरना आम बात है...फैशन है!’
पुराने जमाने की वो बेबाक लड़की आज हिंदी सिनेमा की रिक्लूसिव (एकांतप्रिय) डीवा के नाम से मशहूर है। अतीत कहीं पीछे छूट गया, फिल्मों का दौर बदल गया, गुजरते वक्त में पुराने सितारों के चेहरे धुंधले पड़ गए मगर रेखा की आभा मानो और भी रोशन होती गई। यही खासियत है जो रेखा को सदाबहार बनाती है।
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