City Of Dreams 3 Review: साहेब-पूर्णिमा के बीच सत्ता संघर्ष और एक बड़ा ट्विस्ट, नये किरदारों से बढ़ा रोमांच
City Of Dreams Season 3 Review नागेश कुकुनूर निर्देशित सिटी ऑफ ड्रीम्स का तीसरा सीजन डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो गया है। महाराष्ट्र की सत्ता को केंद्र में रखकर लिखी गयी सीरीज में अतुल कुलकर्णी और प्रिया बापट मुख्य भूमिकाओं में हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। City Of Dreams Season 3 Review: किसी वेब सीरीज के जब कई सीजन बनाये जाते हैं तो निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसकी पकड़ बनाये रखने को लेकर होती है। अक्सर देखा गया है कि जिन सीरीज के पहले सीजन बेहद पसंद किये गये, उनके अगले सीजन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज सिटी ऑफ ड्रीम्स का तीसरा सीजन इस मामले में धोखा नहीं देता।
इस पॉलिटिकल सीरीज के पहले दो सीजन जितने मनोरंजक रहे, तीसरा उससे ना तो कम है, ना ज्यादा। सिटी ऑफ ड्रीम्स से दर्शकों की जो अपेक्षाएं हैं, सीजन 3 उस पर खरा उतरता है। कहानी में कुछ नये ट्विस्ट्स और कलाकारों ने इस सीजन को नयापन दिया है। हालांकि, सीरीज का मिजाज वही रहता है।
'सिटी ऑफ ड्रीम्स 3' की कहानी क्या है?
कहानी के केंद्र में इस बार भी महाराष्ट्र की सत्ता है। पिछले सीजन के अंत में साहेब यानी अमेय गायकवाड़ को सत्ता में वापसी के लिए छटपटाते हुए देखा गया था और वो मुख्यमंत्री पद पर बैठी बेटी पूर्णिमा गायकवाड़ से कुर्सी छीनने के लिए बेचैन था।
मगर, सीजन 3 की शुरुआत इसी ट्विस्ट के साथ होती है कि अपने इकलौते बेटे को बम ब्लास्ट में खोने के बाद पूर्णिमा टूट जाती है और सब छोड़कर कहीं चली जाती है। सीनियर इंस्पेक्टर और पूर्णिमा के साथी वसीम खान (एजाज खान) उसे बैंकॉक में खोज निकालता है और अमेय के निर्देश के मुताबिक उसे वापस लाता है।
यहां सबसे शॉकिंग ट्विस्ट आता है कि अमेय और पूर्णिमा अतीत भूलकर हाथ मिला लेते हैं और साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना शुरू करते हैं। इस दौरान दोनों को कई राजनीतिक चुनौतियों के साथ निजी जीवन की दुश्वारियों से भी निपटना पड़ता है। सचिन पिलगांवकर का किरदार बीच-बीच में शो की जड़ता को खत्म करने का काम बखूबी करता है।
कैसा है स्क्रीनप्ले, अभिनय और संवाद?
नागेश कुकुनूर और रोहत बनावलिकर ने इस बार दो नये किरदारों को सीरीज में जोड़ा है, जिन्हें रणविजय सिंह और दिव्या सेठ ने निभाया है। मौजूदा दौर की सियासी घटनाओं की झलक कुछ प्लॉट्स में देखने को मिलती है।
कलाकारों के अभिनय की बात करें तो पूर्णिमा के किरदार में प्रिया बापट ने अपनी अदाकारी से शो के थ्रिल को बनाकर रखा है। बेटे की मौत के गम में डूबी मां से उनकी स्क्रीन प्रेजेंस दमदार लगती है।
पिछले सीजनों में अतुल कुलकर्णी का किरदार अमेय जिस तरह से शातिर और ताकतवर बनकर उभरता है, उसकी तुलना में इस बार यह किरदार हल्का हुआ है। यह ऐसा पहलू है, जो सीरीज के चाहने वालों को शायद पसंद ना आये, क्योंकि जो लोग इस बार सत्ता के लिए साहेब की नई चालों का इंतजार कर रहे थे, उन्हें निराशा हो सकती है। हालांकि, हालात के मद्देनजर सीजन का यह ट्विस्ट जस्टिफाई होता है।
कलाकार: अतुल कुलकर्णी, प्रिया बापट, सचिन पिलगांवकर, एजाज खान, रणविजय सिंह, दिव्या सेठ आदि।
निर्देशक: नागेश कुकुनूर
निर्माता: एप्लॉज़ एंटरटेनमेंट
रेटिंग: 3 स्टार