Ponniyin Selvan 2 Review: भव्यता में अव्वल, मगर रफ्तार में मात खा गयी ऐश्वर्या राय बच्चन और विक्रम की फिल्म
Ponniyin Selvan 2 Review मणि रत्नम ने फिल्म का निर्देशन किया है। यह कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास पर आधारित फिल्म है। तमिल भाषा में बनी पीएस 2 पैन इंडिया रिलीज किया गया है। हिंदी में भी फिल्म बड़े स्तर पर रिलीज की गयी है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। अक्सर फिल्म जब दो या तीन भागों में बनती है तो उसकी रिलीज के बीच कई बार लंबा अंतर हो जाता है। हालांकि, मणि रत्नम ने अपनी फिल्म पीएस 2 के साथ ऐसा नहीं होने दिया। पीएस 1 की रिलीज के सात महीने में ही उन्होंने पीएस 2 को रिलीज कर दिया।
कल्कि कृष्णमूर्ति के तमिल उपन्यास पोन्नियिन सेल्वन पर आधारित यह फिल्म अपने दूसरे पार्ट में अंजाम तक पहुंचने का प्रयास करती है। फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पर पहले पार्ट की कहानी खत्म हुई थी।
क्या है PS-2 की कहानी?
चोल साम्राज्य के दुश्मन वीरपांड्या (नासर) के अंगरक्षकों को लगता है कि तंजोर के राजकुमार अरुणमोड़ी वर्मन उर्फ पोन्नियन सेल्वन (जयम रवि) और उसके भाई आदित्य कलिकारन (विक्रम) के दोस्त और योद्धा वल्लावरायन वंदितेवन (कार्ती) समुद्र में डूब चुके हैं। इस खबर से उनके भाई आदित्य कलिकारन, कुंदवई (तृषा) और चोल साम्राज्य के सम्राट सुंदर चोल (प्रकाश राज) दुखी हैं।
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हालांकि, सफेद बालों वाली मौनी रानी (ऐश्वर्या राय बच्चन) अरुणमोड़ी को डूबने से बचा लेती है। नंदिनी (ऐश्वर्या राय बच्चन- डबल रोल में) प्रतिशोध की आग में जल रही है, क्योंकि उसको पालने वाले वीरपांड्या को आदित्य ने मार दिया था। बदला लेने के लिए नंदिनी ने चोल साम्राज्य के ही कोषाध्यक्ष पर्वतेश्वर (आर शरत कुमार) से शादी कर ली थी, ताकि वह आदित्य से बदला लेकर चोल साम्राज्य की गद्दी पर बैठ सके।
वहीं, सुंदर के बड़े भाई का बेटे मधुरांत्कन (रहमान) भी गद्दी की चाह रखता है। नंदिनी, पांड्या के साथ मिलकर सम्राट, अरुणमोड़ी और आदित्य को मारने की योजना बनाती है। क्या नंदिनी अपना बदला ले पाएगी, क्या मधुरांत्कन (रहमान) चोल की गद्दी पर बैठ पाएगा, मौनी रानी कौन है, उनका चेहरा नंदिनी से क्यों मिलता-जुलता है, इन सभी सवालों के जवाब दूसरे भाग में दिए गए हैं।
कैसा है PS-2 का स्क्रीनप्ले, डायलॉग और अभिनय?
पहले भाग में बहुत सारे पात्रों के इंट्रोडक्शन में ही फिल्म की कहानी लंबी हो गई थी, इस पार्ट में कहानी सीधे आगे बढ़ती जरूर है, लेकिन इसके लिए पहले पार्ट को देखकर आना होगा। फिल्म की शुरुआत में अनिल कपूर के वॉइसओवर में पीएस 1 की कहानी को तेजी से बताया गया है, लेकिन जिसने फिल्म नहीं देखी, वह पात्रों के नामों में ही उलझकर रह जाएगा।
अगर आप मणि रत्नम की स्लो मोशन स्टाइल में सितारों की एंट्री का इंतजार कर रहे हैं, तो निराशा हाथ लगेगी। ऐश्वर्या का एक छोटा सा इंट्रोडक्शन सीन है, लेकिन विक्रम का कोई एंट्री सीन नहीं है। फिल्म के हिंदी संवाद दिव्य प्रकाश दुबे ने लिखे है, जो हिंदी में डब हुई इस फिल्म के साथ जंचते हैं।
नंदिनी और आदित्य की युवा प्रेम कहानी दिलचस्प तो है, लेकिन जब दोनों कई वर्षों बाद आमने-सामने आते हैं, तो आदित्य का दिलजलापन और प्रतिशोध में जल रही नंदिनी दोनों पर नजरें टिक जाती हैं। आदित्य को मारने वाला सीन भी बहुत ड्रामाटिक है। एआर रहमान का संगीत और सिनेमैटोग्राफर रवि वर्मन के कैमरे में कैद खूबसूरत लोकेशन और भव्य सेट आपको एक हजार साल पीछे ले जाते हैं।
क्लाइमैक्स में होने वाला युद्ध भव्य तरीके से शूट तो किया गया है, लेकिन पहले पार्ट की ही तरह इस बार भी युद्ध होने के कारणों को बहुत स्पष्टता से नहीं दिखाया गया है। इसलिए उस युद्ध को देखने का रोमांच कम हो जाता है। आदित्य करिकालन की मृत्यु के बाद नंदिनी जब अपना जीवन खत्म कर लेती है तो लगता है कि बस अब कहानी को यही समाप्त कर देना चाहिए, लेकिन उसके बाद भी 20 मिनट तक फिल्म चलती रहती है।
दरअसल, मणि रत्नम पोन्नियन सेल्वन की कहानी को जस्टिफाइ करना चाहते थे कि वह कितने वीर और महान योद्धा थे, कैसे उन्होंने भाई की मौत का बदला लेने के साथ ही अपनी राजगद्दी को मधुरांत्कन को दे दिया था। इस चक्कर में फिल्म लंबी और धीमी हो गई है।
ऐश्वर्या जाने-अनजाने फिल्म का जिम्मा अपने ऊपर ले लेती हैं। बदला लेने वाली बेटी और अपने प्रेमी पर ही वार करने वाली प्रेमिका की भूमिका को ऐश्वर्या कभी अपने संवादों से तो कभी केवल आंखों से निभा जाती हैं। विक्रम जब भी पर्दे पर आते हैं, उन्हें और देखने की चाह उठती है। पोन्नियन सेल्वन की भूमिका में जयम रवि जंचते हैं।
पिछली फिल्म से इतर तृषा को उतना स्क्रीन स्पेस नहीं मिला है। कार्ती को एक बार फिर कई जबरदस्त एक्शन सीन और डायलॉगबाजी करने का मौका मिला है, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया है।
कलाकार: ऐश्वर्या राय बच्चन, विक्रम, प्रकाश राज, जयम रवि, कार्थी, त्रिषा, आर शरत कुमार, जयराम, रहमान आदि।
निर्देशक: मणि रत्नम
मूल कथा: कल्कि कृष्णमूर्ति
अवधि: 165 मिनट
रेटिंग: ढाई