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Sunil Chhetri Retirement: 151 मैच में 94 गोल, क्रिकेट प्रेमियों के देश में सुनील छेत्री ने भारतीय फुटबॉल को इंटरनेशनल लेवल पर दिलाई पहचान

सिकंदराबाद में जन्मे 39 साल के सुनील छेत्री की पारिवारिक पृष्ठभूमि फुटबॉल वाली रही है। उनकी मां व जुड़वां बहनें नेपाल की राष्ट्रीय महिला टीम के लिए खेल चुकी हैं। छेत्री के बचपन का ज्यादातर समय दार्जिलिंग में बीता। उन्होंने छोटी उम्र में ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था और विभिन्न टूर्नामेंटों में हिस्सा लेते थे। असाधारण प्रतिभा के बल पर वे आगे बढ़ते चले गए।

By Jagran News Edited By: Abhishek Nigam Published: Thu, 06 Jun 2024 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2024 10:23 PM (IST)
सुनील छेत्री ने दागे 94 गोल। फाइल फोटो

 विशाल श्रेष्ठ, जागरण, कोलकाता : लगातार 19 साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेलना, 151 मैचों में 94 गोल दागना साधारण बात नहीं है। वह भी ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करते हुए, जहां क्रिकेट का जादू सिर चढ़कर बोलता है। सुनील छेत्री ने भारतीय फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है। इसे गंभीरता से लेना सिखाया है। फुटबॉल प्रेमी अब मैदान पर सुनील छेत्री की 11 नंबर जर्सी को उतना ही मिस करेंगे, जितना क्रिकेट प्रेमी सचिन तेंदुलकर की 10 नंबर जर्सी को करते हैं।

परिवार का फुटबॉल से रहा जुड़ाव

सिकंदराबाद में जन्मे 39 साल के सुनील छेत्री की पारिवारिक पृष्ठभूमि फुटबॉल वाली रही है। उनकी मां व जुड़वां बहनें नेपाल की राष्ट्रीय महिला टीम के लिए खेल चुकी हैं। छेत्री के बचपन का ज्यादातर समय दार्जिलिंग में बीता। उन्होंने छोटी उम्र में ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था और विभिन्न टूर्नामेंटों में हिस्सा लेते थे। असाधारण प्रतिभा के बल पर वे आगे बढ़ते चले गए। उन्होंने 21 साल की उम्र में पाकिस्तान के विरुद्ध पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला और फिर सफलता के पायदान चढ़ते चले गए। उनके शानदार खेल की बदौलत भारत ने 2007, 2009, 2012 में नेहरू कप और 2011, 2015 व 2021 में सैफ चैंपियनशिप जीती।

क्लब स्तर पर दागे 250 गोल

सात बार 'एआइएफएफ प्लेयर आफ द ईयर' रहे छेत्री क्लब स्तर पर भी 250 से अधिक गोल कर चुके हैं। छेत्री के पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में उनके साथी रहे सैयद रहीम नबी ने कहा, "सुनील ऐसे खिलाड़ी हैं, उन्हें जब खेलने का मौका नहीं मिल पाता था, तब वे ज्यादा अभ्यास करते थे। उनके रिटायर होने से भारतीय फुटबॉल में जो शून्यता आएगी, उसे भर पाना बेहद मुश्किल होगा।"

गोल दागने की भूख थी

पूर्व भारतीय गोलरक्षक भास्कर गांगुली कहते हैं,"सुनील में त्याग, अनुशासन, समर्पण, दृढ़ निश्चय और महत्वाकांक्षा का अद्भुत सम्मिश्रण है। उन्होंने फुटबॉल की खातिर मिठाइयां खानी छोड़ दी थी, जो उन्हें सबसे अधिक पसंद थी ताकि अपने शरीर को फिट रख सके।" कोलकाता के मशहूर फुटबॉल क्लब मोहनबगान में छेत्री के साथ खेल चुके मेहताब हुसैन ने कहा,"सुनील में गोल दागने की गजब की भूख थी। किसी मैच में गोल नहीं कर पाने पर वे रोते थे। उन्हें अपनी क्षमता का भली-भांति पता है और नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता है।"

जो पसंद है वह नहीं खाता

जाने-माने खेल पत्रकार बोरिया मजुमदार ने बताया, "सुनील देश के ऐसे पहले फुटबॉलर हैं, जिनकी रिटायरमेंट की खबर इतनी सुर्खियों में रही। उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि मैं वह नहीं खाता, जो मुझे पसंद है। मैं वह खाता हूं, जिसकी मुझे जरुरत है। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं मेसी और रोनाल्डो के बराबर नहीं हूं लेकिन उन दोनों से अधिक मेहनत कर सकता हूं। वे अगर 10 घंटे अभ्यास करते हैं तो मैं 20 घंटे कर सकता हूं।"

चौथे सबसे ज्यादा गोल दागे

मालूम हो कि छेत्री पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो (128), ईरान के अली डेई (108) और अर्जेंटीना के लियोन मेसी (106) के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में सबसे ज्यादा गोल दागने वाले खिलाड़ी हैं। पूर्व फुटबॉलर दीपेंदु विश्वास ने कहा, "भारत की जर्सी पहनकर 94 अंतरराष्ट्रीय गोल करना बहुत बड़ी बात है। फीफा ने कुछ समय पहले मेसी-रोनाल्डो के साथ छेत्री की तस्वीर पोस्ट की थी। यह हम सबके लिए बेहद गर्व की बात है।"

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