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चुनावी बेड़ा पार लगाने की आस में फिर डेरों की शरण में नेताजी, आशीर्वाद पाने के लिए नहीं छोड़ रहे कोई कसर

हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरे और मठों की भूमिका अहम होती है। डेरा सच्चा सौदा राधा स्वामी सत्संग ब्यास राधा स्वामी दयानंद निरंकारी डेरा बाबा मस्तनाथ मठ सहित कई डेरे हरियाणा की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके लाखों अनुयायी हैं और इनके आशीर्वाद के लिए सभी राजनीतिक दल लालायित रहते हैं। इस बार के चुनाव में भी डेरे और मठों से जुड़े कई प्रत्याशी मैदान में हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 22 Sep 2024 10:01 AM (IST)
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विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ ही कई प्रत्याशियों ने डेरों से गुपचुप साधा संपर्क

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। प्रदेश में विधानसभा के चुनावी रण में बेड़ा पार लगाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दल और प्रत्याशी एक बार फिर डेरों की शरण में है। डेरे और मठों का आशीर्वाद पाने तथा उनके लाखों अनुयायियों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशियों ने डेरों से गुपचुप संपर्क साधा है।

डेरा सच्चा सौदा द्वारा राजनीतिक विंग भंग किए जाने के बावजूद विभिन्न दलों के नेता जहां निरंतर डेरे में हाजिरी लगा रहे हैं, वहीं डेरा राधा स्वामी दिनौद और डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास, लक्ष्मणपुरी डेरा (गोकर्ण), बाबा मस्तनाथ मठ से आशीर्वाद पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

डेरा सच्चा सौदा भंग कर रखी है राजनीतिक विंग

डेरा सच्चा सौदा ने पिछले लंबे समय से राजनीतिक विंग भंग कर रखी है, लेकिन फिर भी उम्मीद रखने वालों को डेरे से समर्थन मिलने की उम्मीद बरकरार है। साल 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई नेता डेरे की कृपा से विधानसभा चुनकर पहुंचे थे।

प्रदेश के सबसे बड़े और प्रभावशाली डेरों में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा का नाम आता है। इसके प्रमुख गुरमीत राम रहीम वर्ष 2017 से विभिन्न दोषों में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हाल ही में दसवीं बार पैरोल पर बाहर आए राम रहीम हालांकि फिर जेल लौट चुके हैं, लेकिन डेरे में नेताओं का पहुंचना निरंतर जारी है। इनमें हर छोटी-बड़ी पार्टी के नेता शामिल होते हैं।

डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास भी काफी प्रभावशाली

डेरे की ओर से अभी किसी तरह का इशारा अपने समर्थकों को नहीं किया गया है। चुनाव प्रचार में काफी समय है। इसी तरह से डेरा राधा स्वामी दिनौद और डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास भी काफी प्रभावशाली डेरा माना जाता है। डेरे के अनुयायी दुनिया के 90 देशों में फैले हुए हैं।

हालांकि यह डेरा किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता है। डेरे को मानने वालों में दलितों की आबादी बहुत अधिक है। यही वजह है कि डेरा प्रमुख का आशीर्वाद लेने हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्री पहुंचते रहते हैं। राधा स्वामी सत्संग ब्यास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी आ चुके हैं।

दो दर्जन सीटों पर निरंकारी डेरे का प्रभाव

निरंकारी डेरे का जीटी रोड बेल्ट के अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र और सोनीपत समेत कई जिलों में खास प्रभाव है। रोहतक का लक्ष्मणपुरी डेरा (गोकर्ण) भी काफी बड़ा है। डेरा के गद्दीनशीन जूना अखाड़ा के बाबा कपिल पुरी महाराज के लाखों अनुयायी पूरे प्रदेश में हैं। माना जाता है कि प्रदेश की दो दर्जन सीटों पर इस डेरे का प्रभाव है।

बाबा मस्तनाथ मठ का खासा प्रभाव

रोहतक स्थित बाबा मस्तनाथ मठ का हरियाणा और राजस्थान में खासा प्रभाव है। नाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाबा बालकनाथ इस समय गद्दी पर विराजमान हैं और राजस्थान के तिजारा से भाजपा के विधायक हैं। योगी आदित्यनाथ भी नाथ संप्रदाय से ही हैं।

यादव समाज से आने वाले बालक नाथ का प्रदेश की अहरीवाल बेल्ट रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और रोहतक में काफी प्रभाव माना जाता है। रोहतक में स्थित पुरी धाम, सांपला में डेरा कालीदास महाराजा, सतजिंदा कल्याण डेरा, सती भाई साईं दास और कलानौर में स्थित डेरा बाबा ईश्वर शाह का अच्छा खासा प्रभाव है।

डेरा और मठों से जुड़े आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में

मौजूदा विधानसभा चुनाव में डेरा और मठों से जुड़े आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें बरवाला से महामंडलेश्वर दर्शन गिरि, पानीपत शहर से अग्निवेश, जुलाना से सुनील जोगी, पृथला से अव्दूतनाथ, चरखी दादरी से कर्मयोगी नवीन, तोशाम से बाबा बलवान नाथ लड़ रहे हैं। इसके अलावा बाबा भूमण शाह डेरे के सेवादार बलदेव कुमार ऐलनाबाद और गुरुद्वारा बेगमपुरा ट्रस्ट के सतनाम सिंह अंबाला सिटी से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

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चुनावों की दिशा बदलते रहे डेरे

लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा, डेरों की अहम भूमिका रहती है। प्रचार थमते ही डेरा पदाधिकारी अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए सक्रिय हो जाते हैं। मतदान से ठीक पहले डेरा संचालक अनुयायियों को एक गुप्त संदेश भेजते हैं। वोटों का बड़ा प्रतिशत भाग प्रभावित होता है।

राजनेता भी खुलेआम समर्थन मांगने में सावधानी बरतते हैं। डेरा पदाधिकारी समर्थन से पहले स्कैनिंग करते हैं कि उम्मीदवार या राजनीतिक दल की चुनाव में स्थिति क्या है। डेरे को लेकर रुख क्या रहा है।

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