हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन कानून को हाईकोर्ट में चुनौती, गोरक्षकों की 'पुलिसिया' पावर पर लगेगा ब्रेक?
हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन कानून को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून निजी व्यक्तियों और गोरक्षक समूहों को तलाशी और जब्ती का अधिकार देता है। न्यायालय ने हरियाणा सरकार, पुलिस महानिदेशक और हरियाणा गोसेवा आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका में अधिनियम की धारा 16 और 17 को चुनौती दी गई है।

-प्रदेश सरकार, पुलिस महानिदेशक और गोसेवा आयोग को नोटिस जारी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन कानून को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून कथित रूप से निजी व्यक्तियों और गोरक्षक समूहों को तलाशी और जब्ती के बलपूर्वक कार्य करने का अधिकार देता है।
नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वीमेन द्वारा दायर जनहित याचिका चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई है। बुधवार को संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायालय ने हरियाणा सरकार, पुलिस महानिदेशक और हरियाणा गोसेवा आयोग को नोटिस जारी कर दिया।
याचिका में गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्धन अधिनियम 2015 की धारा 16 और 17 को चुनौती देते हुए गोरक्षक समूहों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है।
याची के वकील ने दलील दी कि केवल पुलिस अधिकारी या सरकारी अधिकारी को ही ऐसे कार्य सौंपे जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह शक्तियां राज्य की हैं और इन्हें किसी अन्य को नहीं सौंपा जा सकता।
उन्होंने कहा कि निजी व्यक्ति कारों को रोक रहे हैं। दावा कर रहे हैं कि उनके पास शक्तियां हैं और यहां तक कि वे वाहनों को जब्त भी कर रहे हैं। इससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो रही है ।
जनहित याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार ने जुलाई 2021 में प्रत्येक जिले के लिए विशेष गोसंरक्षण कार्य बल (एससीपीएफ) को अधिसूचित किया था। इसका उद्देश्य जनता से मवेशी तस्करी और वध के बारे में जानकारी एकत्र करना और जनता से प्राप्त विशिष्ट इनपुट के बाद ऐसी अवैध गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई करना था।
एससीपीएफ में हरियाणा गोसेवा आयोग के अध्यक्ष द्वारा नामित तीन सदस्य तथा गोरक्षक समितियों व प्रसिद्ध गोसेवकों में से दो सदस्य होते हैं, जिन्हें उपायुक्त द्वारा नामित किया जाता है।
याचिकाकर्ता के अनुसार अधिनियम की धारा 16 और 17 न्यूनतम योग्यता, मानदंड या सुरक्षा उपाय निर्धारित किए बिना भी किसी भी निजी व्यक्ति पर तलाशी, प्रवेश, निरीक्षण और जब्ती की संप्रभु पुलिस शक्तियों को प्रदान करने की अनुमति देती है।
याचिका में कहा गया है कि अधिनियम के तहत प्रवेश, निरीक्षण, तलाशी और जब्ती से संबंधित आवश्यक पुलिस शक्तियों का प्रत्यायोजन मनमाना और असंवैधानिक है। इन प्रविधानों के कारण हरियाणा और अन्य स्थानों पर गोरक्षकों की गतिविधियां व्यवस्थित रूप से बढ़ी हैं, जहां कई स्वयंभू गोरक्षक उभरे हैं। कानून के बल पर उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, जिन्हें वे गोतस्करी या वध का 'दोषी' पाते हैं।

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