Haryana Politics: हरियाणा में हार के बाद इनेलो ने भंग किया संगठन, अभय चौटाला ने बताया आगे का प्लान
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने संगठन भंग कर दिया है। पार्टी नेता अब किसानों और जनता के बीच जाएंगे। बैठक में विधानसभा के लिए जमीन के बदले में जमीन देने का विरोध सहित चार प्रस्ताव पारित किए गए। अभय चौटाला ने कहा कि चंडीगढ़ हरियाणा का है और हम इसे किसी भी कीमत पर पंजाब को नहीं जाने देंगे।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने विधानसभा चुनाव में हार के कारणों पर मंथन के बाद संगठन भंग कर दिया है। संगठन का पुनर्गठन कर पार्टी नेता किसानों और जनता के बीच में जाएंगे।
शनिवार को इनेलो की राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारिणी की बैठक कुल चार प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें विधानसभा के लिए जमीन के बदले में जमीन देने का विरोध, कानून व्यवस्था, पराली जलाने और डेंगू के बढ़ते मामले शामिल हैं।
हार के कारणों पर हुई बात
बैठक में पार्टी पदाधिकारियों एवं विधानसभा चुनाव लड़े उम्मीदवारों ने हार के कारणों पर खुलकर अपनी बात रखी। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा, प्रधान महासचिव अभय चौटाला के साथ पदाधिकारी आरएस चौधरी, महेंद्र सिंह मलिक और प्रकाश भारती तथा विधायक आदित्य देवीलाल और अर्जुन चौटाला मौजूद रहे।'15 से 20 सीटें जीतने जा रहे थे लेकिन...'
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हम 15 से 20 सीटें जीतने जा रहे थे, लेकिन आखिरी के दो दिनों में अचानक बड़ा फेरबदल हुआ। अब पार्टी संगठन में नए लोगों को अहम भूमिका दी जाएगी। सभी पदों पर चार साल के बाद पदाधिकारी का बदलाव किया जाएगा ताकि नए साथी पार्टी से जुड़ सकें। सभी निर्णय लेने के लिए चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को अधिकृत किया गया है।
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चंडीगढ़ पंजाब को नहीं जाने देंगे- अभय चौटाला
नई विधानसभा बनाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा 60-40 के अनुपात का अनुपालन करने संबंधी बयान पर अभय ने कहा कि चंडीगढ़ हरियाणा का है। शाह आयोग की रिपोर्ट में साफ लिखा था कि या तो चंडीगढ़ या फिर 107 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दिए जाएं। राजीव लोंगोवाल समझौते में भी यह साफ लिखा हुआ था।
उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर चंडीगढ़ पंजाब को नहीं जाने देंगे। यदि चंडीगढ़ चाहिए तो 107 हिंदी भाषी गांव हरियाणा में जोड़े जाएं। मुख्यमंत्री नायब सैनी अगर यह कहें कि जमीन के बदले जमीन लेंगे तो इसका हम विरोध करते हैं। यह भाजपा सरकार की कमजोरी है कि वह जमीन के एवज में जमीन दे रही है।
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