हरियाणा में नए DGP की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू, 7 सीनियर IPS अधिकारियों का पैनल तैयार
हरियाणा में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। गृह विभाग ने सात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल यूपीएससी को भेजने की तै ...और पढ़ें

हरियाणा कार्यवाहक डीजीपी ओपी सिंह (फाइल फोटो)।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। गृह विभाग की ओर से नए डीजीपी के लिए सात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल तैयार कर लिया गया है। यह पैनल जल्द ही संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के पास भेजा जाएगा। यूपीएससी की ओर से सभी अधिकारियों के ‘ट्रैक रिकार्ड’ को जांचने-परखने के बाद तीन नाम तय करके प्रदेश सरकार के पास भेजे जाएंगे।
वर्तमान में ओपी सिंह हरियाणा के डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार संभाले हुए हैं। आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या के बाद से डीजीपी शत्रुजीत कपूर लंबी छुट्टी पर चल रहे हैं, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने ओपी सिंह को यह चार्ज सौंपा हुआ है। ओपी सिंह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से बनाए गए पैनल में शत्रुजीत कपूर का नाम भी शामिल है। मोहम्मद अकील का नाम इसलिए शामिल नहीं किया है क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति नजदीक है। डीजीपी पद के लिए बनने वाले पैनल में उन्हीं अधिकारियों के नाम शामिल हो सकते हैं, जिनकी सेवानिवृत्ति में छह महीने या इससे अधिक का समय हो।
दूसरी शर्त यह भी है कि जिन आईपीएस अधिकारियों की सर्विस के 30 वर्ष पूरे हो चुके हैं, उनके भी नाम पैनल में होंगे। इसी वजह से एडीजीपी रैंक के नवदीप सिंह विर्क व उनकी पत्नी कला रामचंद्रन का नाम भी पैनल में शामिल किया गया है।
पैनल में 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर के बाद 1991 बैच के संजीव कुमार जैन, 1992 बैच के अजय सिंघल तथा 1993 बैच के आलोक मित्तल और एएस चावला का नाम भी शामिल है। आलोक मित्तल व एएस चावला को पिछले दिनों ही एडीजीपी से डीजीपी रैंक में प्रमोट किया गया है। सरकार की ओर से अधिकारियों के नाम का पैनल यूपीएससी के पास भेजा जाएगा। इसके बाद यूपीएससी चेयरमैन की ओर से एक चयन समिति का गठन होगा।
इसमें हरियाणा के मुख्य सचिव व होम सेक्रेटरी भी बतौर सदस्य शामिल होंगे। चयन समिति अधिकारियों के नाम की छंटनी करेगी। उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट के अलावा कई तरह के दस्तावेजों की जांच होगी। इसके बाद यूपीएससी तीन नाम का फाइनल पैनल बनाकर सरकार को भेजेगा। तीन अधिकारियों में से किसी को भी डीजीपी चुनने का अधिकार प्रदेश सरकार के पास रहेगा।

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