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    सैन्य सेवा से जुड़ी मानी जाएगी सैनिक की मौत, पत्नी को मिलेगी विशेष पारिवारिक पेंशन; हाईकोर्ट ने परिवार को दी बड़ी राहत

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 10:13 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि यदि सैनिक की बीमारी सेवा के दौरान हुई है, तो परिवार को विशेष पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने जवान पवन कुमार के मामले में यह फैसला सुनाया, जिनकी मृत्यु सेवा के दौरान हुई बीमारी के कारण हुई थी। 

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    सैनिक की मौत के बाद पत्नी को मिलेगी विशेष पारिवारिक पेंशन। सांकेतिक फोटो

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि किसी सैनिक की मृत्यु का कारण भले दर्ज न हो, लेकिन यदि बीमारी सेवा के दौरान उत्पन्न हुई या उसी अवधि में बढ़ी हो, तो उसे सैन्य सेवा से जुड़ा माना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सैनिक के परिवार को विशेष पारिवारिक पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता।

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    यह निर्णय एक सैनिक परिवार को राहत देने के साथ-साथ भविष्य के समान मामलों के लिए मिसाल बनेगा।मामला भारतीय सेना के जवान पवन कुमार से जुड़ा है, जो 31 राष्ट्रीय राइफल्स (स्पेशल फोर्स) में तैनात थे। 26 अप्रैल 2003 को वह अस्वस्थ हो गए और उन्हें उधमपुर के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया। करीब एक माह इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दी गई।

    अस्पताल के रिकॉर्ड में उनकी बीमारी पाइल्स (बवासीर) दर्ज की गई। कुछ ही समय बाद तबीयत दोबारा बिगड़ी और उन्हें पालमपुर के नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां चार सितंबर 2003 को उनका निधन हो गया।

    जवान की पत्नी सुमन कुमारी ने विशेष पारिवारिक पेंशन की मांग की, परंतु अधिकारियों ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी कि बीमारी और मृत्यु का सेवा से संबंध नहीं है। उन्हें केवल सामान्य पारिवारिक पेंशन दी गई। सुमन ने चंडीगढ़ स्थित सशस्त्र बल अधिकरण में अपील दायर की।

    ट्रिब्यूनल ने 26 अगस्त 2022 को उनके पक्ष में निर्णय दिया और केंद्र को विशेष पारिवारिक पेंशन देने का आदेश दिया। केंद्र ने इस आदेश को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी।

    सेवा के दौरान बीमार पड़ा सैनिक

    जस्टिस हरसिमरण सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए कहा कि सैनिक को सेना ने स्वयं इलाज के लिए अस्पताल भेजा था, जिसका अर्थ है कि वह सेवा के दौरान बीमार पड़ा।

    अदालत ने कहा कि जब कोई सैनिक सेवा के दौरान बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होता है और कुछ ही महीनों बाद उसकी मृत्यु हो जाती है तो यह मानना उचित है कि उसकी मृत्यु सैन्य सेवा से संबंधित है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पेंशन अधिकार का विषय है, इसे विलंब के आधार पर नकारा नहीं जा सकता।