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ब्यास नदी के ऊपर झूले में फंस गई थी महिला, पीड़ा देख अपनी जान खतरे में डाल चला गया जांबाज, हर तरफ बहादुरी की चर्चा

मंडी में ब्यास नदी के ऊपर झूले में फंसी एक महिला को राजकीय आईटीआई कोटली के प्रशिक्षक महेश कुमार ने अपनी जान जोखिम में डालकर बचाया। महेश कुमार ने बिना किसी प्रशिक्षण के डेढ़ घंटे से झूले में फंसी महिला को सुरक्षित बाहर निकाला। उनकी बहादुरी की हर जगह प्रशंसा हो रही है। उन्होंने इंसानियत की नई परिभाषा लिखते हुए महिला को बचाया।

By Mukesh Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 17 Nov 2024 08:50 PM (IST)
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मुकेश ने ब्यास नदी के ऊपर झूले में फंसी महिला की बचाई जान।
जागरण संवाददाता, मंडी। ब्यास नदी के ऊपर झूले में फंसी महिला की जान बचाने वाले राजकीय आईटीआई कोटली के प्रशिक्षक 38 वर्षीय महेश कुमार ने बिना किसी प्रशिक्षण के अपनी जान को खतरे में डालकर महिला को बचाया है। रविवार को उनकी बहादुरी की सब जगह प्रशंसा हो रही थी।

महेश कुमार ने बताया कि जब वह ड्यूटी से घर जाने के लिए कून का तर में झूला पुल पर पहुंचे तो वहां बुजुर्ग महिला को लटका पाया। महिला घबराहट में चिल्ला रही थी। डेढ़ घंटे से वह झूले में फंसी थी। उन्होंने अन्य लोगों से सलाह कर झूले तक जाने का निर्णय लिया।

किसी तरह महिला को झूले से सुरक्षित कोटली तक पहुंचाया। उन्होंने बताया कि वह आईटीआई में पलंबर प्रशिक्षक हैं और हर शनिवार को अपने घर कूट जाते हैं। जब वह कून का तर पहुंचे तो देखा की महिला झूला पुल की तारें उलझने के कारण फंसी थी।

डेढ़ घंटे से फंसी महिला की हो रही थी हालत खराब

मौके पर अन्य लोग भी थे, लेकिन जिस स्थान पर महिला फंसी थी, वहां नीचे गहरा पानी और चट्टानें भी थीं। ऐसे में कोई जाने का साहस नहीं कर रहा था। महिला डेढ़ घंटे से फंसी थी और उसकी हालत खराब हो रही थी। उनको देखकर निर्णय लिया कि लटककर जाता हूं।

इसके बाद झूले तक पहुंचा और फिर उलझी रस्सियों को ठीक कर उन्हें जोगेंद्रनगर की ओर ले गया। वहां जाकर बुजुर्ग महिला को पानी पिलाया और उसके बाद अन्य युवक के साथ उनको कोटली की ओर भेजा।

महिला कुम्हारड़ा की रहने वाली थी और जोगेंद्रनगर गई थी। उधर, महेश कुमार की हिम्मत के लिए उनको सम्मानित करने की मांग की जा रही है।

अपनी जान देकर मां ने बेटे को बचाया

वहीं, दूसरी तरफ एक मां ने अपने जिगर के टुकड़े के लिए खुद को मौत के गले लगा लिया। अपने तीन वर्षीय बेटे को रंगड़ों के हमले से बचाने के लिए खुद मौत को गले लगा लिया। इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है, वहीं इस बहादुर मां के चर्चे हर जुबां पर हैं।

सिरमौर जिले के शिलाई विधानसभा क्षेत्र की कांडो भटनोल निवासी 28 वर्षीय अनु शनिवार शाम अपने तीन वर्षीय बेटे को साथ लेकर खेत में घास काटने गई थी। 

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