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Himachal Festivals: लोसर-साजो-हल्दा... हिमाचल के इन पर्वों में है संस्कृति की झलक, नाच-गाने संग छलकते हैं जाम

Himachal Pradesh festivals आइए जानते हैं कि पहाड़ों में मनाए जाने वाले वो कौन-कौन से त्योहार हैं जिसे न सिर्फ वहां के स्थानीय लोग बल्कि बहार से आए पर्यटक भी मनाते हैं। पर्यटक यहां छुट्टियां लेकर त्योहार मनाने आते हैं।

By Nidhi VinodiyaEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Sat, 10 Jun 2023 06:08 PM (IST)
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हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले ये त्योहार, जिसमें नाच गाने के साथ पी जाती है कॉकटेल
शिमला, जागरण डिजिटल डेस्क । Famous Festivals of Himachal Pradesh: पूरे विश्व में भारत ऐसा देश है, जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और सभी धर्म और समुदाय के लोग अपनी-अपनी संस्कृति के आधार पर अपने-अपने त्योहार भी मनाते हैं। यही कारण है कि भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है। भारत में माने जाने वाले त्योहार देश की संस्कृति को दर्शाते हैं।

देश के सभी त्यौहार पौराणिक कहानियों, उत्सवों और लोक कलाओं से जुड़े हुए हैं। इसी प्रकार देश के विभिन्न राज्यों के अपने-अपने समुदाय और उनके अपने त्योहार होते हैं। कुछ त्योहार तो मौसम से भी संबंधित होते है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले त्योहारों के बारे में।

Winter Festival of Himachal Pradesh

इस राज्य के लोग इसकी समृद्ध संस्कृति, सामाजिक विविधता और परंपरा को बड़े धूमधाम से मनाते हैं और इसकी पूरे प्रदेश में छाई प्राकृतिक सुंदरता के लिए आभार व्यक्त करते हैं। यहां के लोग अपनी और अपने प्रदेश के लोगों के समृद्धि के लिए सर्वशक्तिमान का आशीर्वाद मांगते है।

हिंदू, बौद्ध समेत कई धर्मों के लोग रहते हैं

इस राज्य में प्रमुख हिंदू आबादी के अलावा, हिमाचल बौद्ध, मुस्लिम और कुछ जनजातियों जैसे गद्दी, किन्नर, जादुन, तनोलिस, गुर्जर, पंगावल और लाहौली का भी घर है, प्रत्येक के अपने-अपने त्योहार हैं। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों और जमीनी इलाकों के आधार पर भी त्योहार मनाए जाते हैं।

आइए, जानते हैं कि पहाड़ों में मनाए जाने वाले वो कौन-कौन से त्योहार हैं, जिसे न सिर्फ वहां के स्थानीय लोग, बल्कि बहार से आए पर्यटक भी मनाते हैं। पर्यटक यहां छुट्टियां लेकर त्योहार मनाने आते हैं।

पोरी महोत्सव

Himachal Pradesh Pori festivalपोरी महोत्सव

पोरी महोत्सव हर साल बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। पोरी महोत्सव हर साल अगस्त के तीसरे सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। इस त्योहार में बहुत ही बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह त्योहार एक बहुत ही पवित्र अवसर है।

त्योहार की शुरुआत त्रिलोकनाथ मंदिर के पवित्र परिसर में शुरू होती है, जहां भक्त उनके स्थानीय देवता के आगे अपना शीश झुकाते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। इसके बाद वे परिक्रमा दीर्घा में जाते हैं, जहां वे दीर्घा की दक्षिणावर्त परिक्रमा पूरी करते हैं।

त्योहार की खास बातें:

  • पोरी महोत्सव तीन दिवसीय उत्सव है।
  • यह हिमाचल प्रदेश में रहने वाले हिंदुओं और बौद्ध दोनों धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
  • हिमालयी हाइलैंड्स, और इस क्षेत्र के समृद्ध का आदर्श उदाहरण है।
  • सांस्कृतिक एकीकरण।
  • इस त्योहार के उत्सव में घोड़ा का स्थान प्रमुख है। पहले उसे मीठे पानी से नहलाया जाता है, भरपूर और स्वस्थ भोजन खिलाया जाता है, और खूबसूरती से सजाया जाता है।
  • त्रिलोकनाथ के मंदिर में भगवान की प्रतिमा को दूध और दही से स्नान कराया जाता है।
  • अपने संगीत, नृत्य और खेल के साथ-साथ यह त्योहार पर्यटकों को इस हिमालयी जगह पर बार-बार आने की इच्छा जगा देता है।

Halda Festival of Himachal Pradesh

हलदा

लाहौल के लोग इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। ये त्योहार अपने विदेशी कॉकटेल, मदहोश कर देने वाले डांस और खुशमिजाज पारिवारिक समारोहों के साथ एक न भूलने वाली याद दे जाता है। प्रदेश के लोगों के लिए ये अवसर बड़े ही खुशी का होता है, क्योंकि इस समय सभी लोग एकजुट होकर नया साल मनाते हैं ।

फेस्टिवल की खास बातें:

  • हल्दा महोत्सव का उत्सव दो दिनों तक मनाया जाता है।
  • ये त्योहार बिलकुल दीपावली की तरह मनाया जाता है, इसलिए इसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है।
  • यह माघ महीने के पूर्णिमा की रात में मनाया जाता है।
  • हल्दा महोत्सव हिमालयी इलाकों में लाहौल, केलांग, चंद्रा और भागा नदी घाटियों में मनाया जाता है।
  • हल्दा महोत्सव हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है।

Himachal Pradesh Losar Festival

लोसर

हिमाचल प्रदेश के लाहौल जिले में रहने वाले लोगों के जीवन में बहुत महत्व रखता है। लोसर महोत्सव प्रतिवर्ष तिब्बती कैलेंडर के पहले महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर के मध्य और दिसंबर के पहले सप्ताह के बीच आता है।

यह त्योहार तिब्बत में अपने पूर्व-बौद्ध काल के दौरान उत्पन्न हुआ था, जब इसे कृषि महोत्सव के रूप में जाना जाता था। इसे कृषि महोत्सव इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह खुबानी के पेड़ों के खिलने के समय मनाया जाता है।

ये त्योहर तिब्बती नववर्ष की शुरुआत करता है। यह त्योहार लाहौल में बौद्ध बस्तियों और मोनेस्ट्री में मनाया जाता है। त्योहार के पहले दिन को 'लामा लोसर' के रूप में जाना जाता है। भक्त इस दिन दलाई लामा की पूजा करते हैं, जो तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक प्रमुख हैं। लोग इस दिन उनके सम्मान में जीवंत जुलूस निकालते हैं।

फेस्टिवल की खास बातें:

  • लोसर उत्सव 15 दिनों तक चलने वाला है, जिसमें पहले तीन दिनों में मुख्य उत्सव मनाया जाता है।
  • इस त्योहार के दौरान कई लोकप्रिय व्यंजन और ड्रिंक्स तैयार किए जाते हैं जैसे 'चंग' (मादक पेय) और 'कपसे' (केक)।
  • लोसर महोत्सव के शुरू होने से कुछ दिन पहले, 'खेपा' मनाया जाता है। इसमें कांटेदार झाड़ियों की शाखाओं को
  • घरों के दरवाजे पर रखा जाता है, जिससे बुरी आत्माओं से बचा जा सके।
  • लोसार महोत्सव के उत्सव की तिथि लामाओं के चंद्र कैलेंडर के अनुसार तय की जाती है।
  • यह हिमाचल प्रदेश की लाहौल और स्पीति घाटी में सर्दियों के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।

Sazo Festival Himachal Pradesh

साजो

साजो हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में मनाया जाने वाला एक प्राचीन त्योहार है। यह अपने अनोखे रीति-रिवाजों, भव्य सांस्कृतिक समारोहों और शानदार दावतों के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस त्योहार के दौरान देवता थोड़े समय के लिए स्वर्ग चले जाते हैं। इस दिन को पूरा जिला एक धार्मिक उत्साह में रूप में मनाता है।

सबसे पवित्र और शुभ माने जाने वाले इस त्योहर में लोग गर्म झरने में नहाते हैं । अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए यहां के लोग सतलुज नदी में भी जाते हैं। कहा जाता है कि इस समय उनके भगवान विश्राम करते हैं, इसलिए मंदिरों के दरवाजों को भी बंद रखा जाता है।

त्योहार की खास बातें:

  • साजो उत्सव के अवसर पर पुजारियों की बड़ी पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता है।
  • उन्हें सम्मान के रूप में अनाज और अन्य खाद्य सामग्री भी दी जाती है।
  • इस त्योहार के दौरान देवताओं को चढ़ाए जाने वाले भोजन में मुख्य रूप से चावल, दाल, सब्जियां और हलवा शामिल होता है।
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