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संजौली मस्जिद मामला: स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने की याचिका खारिज, 18 को होगी अगली सुनवाई

संजौली मस्जिद मामले में स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। मुस्लिम पक्ष ने बहस के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ता नगर निगम आयुक्त के निर्णय को चुनौती दे सकते हैं या नहीं इस पर अगली सुनवाई में निर्णय होने की संभावना है। अगली सुनवाई में निर्णय होने की संभावना है।

By rohit nagpal Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 15 Nov 2024 11:45 AM (IST)
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संजौली मस्जिद मामला: स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने की याचिका खारिज।
जागरण संवाददाता, शिमला। राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद मामले में स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने की याचिका न्यायालय ने रद कर दी है। वीरवार को इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग की अदालत में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने बहस के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। अब सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

याचिकाकर्ता नगर निगम आयुक्त के निर्णय को चुनौती दे सकते हैं या नहीं, इस पर अगली सुनवाई में निर्णय होने की संभावना है। सुनवाई के दौरान स्थानीय लोगों के अधिवक्ता जगत पाल ने कहा कि इस मामले को चुनौती नहीं दी जा सकती है।  स्थानीय लोगों का तर्क है कि याचिकाकर्ता न स्थानीय निवासी हैं और न ही हितधारक, ऐसे में उनकी याचिका रद की जाए।

तीन मंजिलें तोड़ने का आदेश जारी

याचिका मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी पांवटा साहिब, जामा मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी बिलासपुर और अल हुदा एजुकेशनल सोसायटी मंडी ने की है। पिछली सुनवाई में नगर निगम शिमला ने न्यायालय में मस्जिद का रिकार्ड पेश किया था। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता विश्व भूषण ने कहा कि नगर निगम आयुक्त की अदालत के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें आयुक्त ने मस्जिद की तीन मंजिलें तोड़ने का आदेश जारी किया था।

कोर्ट के समक्ष 25 पन्नों का तर्क पेश

याचिका में कहा गया है कि मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ भवन गिराने की अनुमति मांगने का शपथपत्र देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। नगर निगम के आयुक्त न्यायालय ने पांच अक्टूबर को पांच मंजिला मस्जिद की अवैध तीन मंजिलें तोड़ने की अनुमति दी है। स्थानीय लोगों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जगत पाल ने कहा कि उन्होंने कोर्ट के समक्ष 25 पन्नों का तर्क पेश किया है।

न्यायालय के समक्ष पक्ष रख दिया

मामले में उनके पार्टी बनने से अधिक असर तो नहीं पड़ता है लेकिन उन्होंने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रख दिया है। यह मामला नगर निगम शिमला व वक्फ बोर्ड के बीच चल रहा है। नगर निगम शिमला के अंतर्गत क्षेत्रों में जो भी निर्माण होता है उसमें निगम की अनुमति लेना आवश्यक होता है। 

लेकिन वक्फ बोर्ड ने निर्माण के लिए अनुमति नहीं ली। उन्होंने बताया बताया कि इस मामले में तीसरे पक्ष की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने जिला अदालत के समक्ष वह तथ्य रखे, जो कुछ नगर निगम की अदालत में हुआ था।

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