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जम्मू-कश्मीर में Article 370 की बहाली पर अब सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से पूछा सवाल

अनुच्छेद 370 और विशेष दर्जे की बहाली को लेकर जम्मू-कश्मीर में छिड़ी बहस अब इंटरनेट मीडिया पर भी पहुंच गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी समेत विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि वह सिर्फ वही वापस चाहती है जो गैर-कानूनी तरीके से छीना गया था। जानिए इस बहस के बारे में विस्तार से।

By naveen sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 16 Nov 2024 09:33 PM (IST)
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Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (जागरण फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। अनुच्छेद 370 और विशेष दर्जे की पुनर्बहाली को लेकर प्रदेश विधानसभा में शुरू हुई रार अब इंटरनेट मीडिया पर पहुंच गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस को उसके विरोधी विशेषकर पीडीपी ,उसे विशेष दर्जा की स्पष्ट व्याख्या करने को कह रही है।

कांग्रेस कह रही है कि हम वही चाहते हैं जो गैर-कानूनी तरीके से छीना गया है, वह लौटाया जाए। सभी दल अपने अपने तरीके से विधानसभा में लाए गए विशेष दर्जा बहाली के प्रस्ताव की व्याख्या कर खुद को सही साबित करने में लगे हैं।

केंद्र शासित जम्मू कश्मीर विधानसभा के हाल ही में संपन्न हुए पहले सत्र में प्रदेश सरकार ने विशेष दर्जा बहाली का प्रस्ताव लाया जो पारित हो गया।

इस प्रस्ताव में कहीं भी अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली कोई जिक्र नहीं है। सिर्फ यही कहा गया है कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल किया जाए और इसके लिए केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर के जन प्रतिनिधियों से बातचीत करनी चाहिए।

पीडीपी विधायक ने सोशल मीडिया पर पूछा सवाल

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष और विधायक वहीद उर रहमान परा ने अपने एक्स हैंडल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला से पूछा है कि जिस तरह से उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी प्रस्ताव की व्याख्या कर रहे हैं, क्या वह उससे सहमत हैं, नेशनल कॉन्फ्रेंस उनके साथ है या फिर वह उस दर्जे की मांग कर रहे हैं जो अनुच्छेद 370 के मुताबिक था और जो हमसे छीना गया है।

उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने एक बयान में कहा है कि देश के 11 राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है और उसी तरह हमने भी एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जा मांगा है ताकि यहां स्थानीय लोगों के आर्थिक अधिकारों, जमीन और रोजगार पर उनके अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो सके परा ने आगे सवाल किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं से जब पूछो तो वह कहते हैं कि पांच अगस्त 2019 से पहले के विशेष दर्जे की बात हो रही है जबकि उपमुख्यमंत्री का बयान अलग है।

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खरगे भी अनुच्छेद 370 की बहाली से कर रहे इनकार

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं के बीच बयान को लेकर सहमति नहीं है। उन्होंने इस मामले में कांग्रेस को भी घसीटा है और कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी अनुच्छेद 370 की बहाली से इनकार कर रहे हैं और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष तारिक हमीद करा कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को कानून के तहत विशेष दर्जा प्रदान किया जाए।

उन्होंने अनुच्छेद 370 का नाम लिए बिना कहा कि वह सिर्फ यह मांग कर रहे हैं कि कानून के तहत जो हमसे छीना गया, उसे वापस लौटाया जाए।

श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद अजीम मट्टु ने भी अपने एक्स हैंडल पर अनुच्छेद 370के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को लताड़ा है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कश्मीर के लोगों को एक बार फिर नेहरू-गांधी परिवार और अब्दुल्ला परिवार के रिश्ते की वेदी पर बलिदान देना पड़ा है।

'आर्टिकल 370 के मामले पर कांग्रेस नेकां के साथ'

अवामी इत्तिहाद पार्टी के प्रवक्ता इनाम उन नबी ने भी अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ नहीं है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जो प्रस्ताव पारित किया है, वह सिर्फ एक छलावा है। उसे स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। वहीद पर्रा ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को स्पष्ट करना होगा कि आखिर उसका प्रस्ताव क्या है, उपमुख्यमंत्री जो कह रहे हैं, वह सही या जो कांग्रेस बता रही है।

'प्रस्ताव की गलत व्याख्या का अधिकार नहीं'

अनुच्छेद 370 और 35 ए के मुद्दे पर उसे अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और सांसद आगा सैयद रुहुल्ला ने कहा कि किसी को भी जम्मू कश्मीर विधानसभा में पारित प्रस्ताव की गलत व्याख्या का अधिकार नही है।

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव का मकसद यह था कि जम्मू कश्मीर में साल 1953 से लेकर 2019 के बीच विशेष दर्जे में किए गए संशोधन और विशेष दर्जे को गैर संवैधानिक तरीके से हटाए जाने पर लोगों ने ना मंजूर किया है।

उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के जरिए हम अनुच्छेद 370 और 35ए समेत उन सभी संवैधानिक गारंटियों और सुविधाओं की बहाली की मांग करते हैं जो 1953 से पहले भी प्राप्त थी।

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